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________________ किसी पर जिनदत्तसूरि के सम्मुख त्रिभुवनगिरि (वर्तमान-तिहुणगढ-भरतपुर) के राजा कुमारपाल बैठे हैं। किसी में सोमचन्द्र (दीक्षानाम) तो उनके सम्मुख दूसरे आचार्य बैठे हैं। इनमें से कुछ काष्ठ पट्टिकायें आज भी जैसलमेर ग्रन्थ भंडार में हैं और कुछ इधर-उधर चली गयी हैं। अजयमेरु नरेश अर्णोराज इनके भक्त थे। इनके द्वारा प्रदत्त जिस भूमि पर विधि चैत्य का निर्माण हुआ था उस चैत्य को विदेशी आक्रमणकारियों ने मस्जिद के रूप में बदल दिया। उक्त मंदिर के कई अवशेष इस मस्जिद के लगे हैं। यह मस्जिद आज अढ़ाई दिन का झोंपड़ा कहलाता है। अजमेर में मदार नामक एक टेकरी (छोटी पहाड़ी) है, उसके बारे में कहा जाता है कि वह जिनदत्तसूरि की साधनाभूमि थी। आज से ६० वर्ष पूर्व तक उस मदार पर चरणचिह्न तक विद्यमान थे, परन्तु वे आज वहाँ नहीं हैं, साथ ही स्थानीय जैन समाज का भी उस टेकरी से कोई सम्बन्ध नहीं रहा। ___जिनदत्तसूरि के सम्बन्ध में कुछ असत् प्रलाप धर्मसागर जी ने किया, किन्तु उसका तत्काल ही उपा० जयसोम, उपा० गुणविनय आदि ने अपनी रचनाओं में सचोट उत्तर दे दिया था, अतः उसका यहाँ उल्लेख करना अनावश्यक प्रतीत होता है। स्व० श्री भंवरलाल जी नाहटा के मतानुसार महावीर स्वामी का मंदिर, डागों की गवाड़, बीकानेर में वि०सं० ११७६ मार्गसिर वदि ६ का एक लेख है। यह लेख एक परिकर पर उत्कीर्ण है। इसमें जांगलकूप दुर्ग नगर में विधि चैत्य-महावीर चैत्य का उल्लेख है। इसी वर्ष, माह और तिथियुक्त एक अन्य अभिलेख भी प्राप्त हुआ है। यह अभिलेख चिन्तामणि पार्श्वनाथ जिनालय, बीकानेर में संरक्षित एक प्रतिमा के परिकर पर उत्कीर्ण है। इन दोनों लेखों में "वीरचैत्ये विधौ” और “विधिकारिते" शब्द से ऐसा लगता है कि ये जिनदत्तसूरि द्वारा ही प्रतिष्ठापित रहे हैं। कुछ ऐसी भी जिन प्रतिमायें प्राप्त हुई हैं जिन पर स्पष्ट रूप से “प्रतिष्ठितं खरतरगणाधीश्वर श्रीजिनदत्तसूरिभिः" ऐसा शब्द उत्कीर्ण है। इसकी लिपि परवर्तीकालीन है। दूसरे इस समय तक खरतरगच्छ शब्द का प्रयोग ही नहीं हुआ था, अतः ये लेख अप्रमाणिक मानने में कोई आपत्ति नहीं है। (बीकानेर जैन लेख संग्रह, लेखांक २१८३) 卐卐卐 संविग्न साधु-साध्वी परम्परा का इतिहास (५३) Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002594
Book TitleKhartar Gacchha ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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