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(७) सप्तभाषी आत्मसिद्धि
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SAPTABHASHI ATMASIDDHI
मूल
| कर्ताकृति
५३॥ १.eni, २-३ate nance,
होने Omt, क - Rite. ८५
ORIGINAL AUTHOR'S
१. गुजराती
GUJARATI
પરમ બુદ્ધિ કુશ દેહમાં, સ્થૂળ દેહ મતિ અલ્પ; દેહ હોય જો આતમા, ઘટે ન આમ વિકલ્પ. ૫૬
२. संस्कृत
SANSKRIT
३. हिन्दी
HINDI
कृशे देहे घना बुद्धिरघना स्थूलविग्रहे । स्याद् देहो यदि आत्मैव नैवं तु घटना भवेत् ॥५६॥ परमबुद्धि कृश-देह में, स्थूल देह मति अल्प | देह होय जो आतमा, घटे विरोध न स्वल्प ||५६|| कृश देहा घन-बुद्धि, स्थूल देहाप्रति असे मती अल्प। हा देह जरी आत्मा असता, असला घडे न विकल्प ।।५६।। কৃশ দেহে বিশিষ্ট বুদ্ধি, স্থূল শরীরে অত্যল্প। | দেহ যদি আত্মা হয়, হবে অঘটিত বিকল্প ॥ ৫৬ ॥
४. मराठी
MARATHI
५. बंगला
BENGALI
६. कन्नड़
ಪರಮ್ ಬುದ್ದಿ ಕೃಶ್ ದೇಡ್ ಮಾಂ, ಸ್ಕೂಲ್ ದೇಡ್ ಮತಿ ಅಲ್ಸ್ || KANNADA ದೇಹ್ ಹೋಮ್ ಜೋ ಆತ್ಮಾ , ಘಟೇ ನ ಆಮ್ ವಿಕಲ್ಸ್ 115611
७. अंग्रेजी
ENGLISH
Supreme in thought, though bodies thin, In fat, strong bodies no cleverness; This proves that the body is the inn, And not the soul, there is no oneness. 56
•जिनभारती •JINA-BHARATI .
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