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(७) सप्तभाषी आत्मसिद्धि
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SAPTABHASHI ATMASIDDHI
१
मूल कर्ताकृति
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५.121
ORIGINAL AUTHOR'S
१. गजराती | stal मा भनो, विभाव व न्याय:
GUJARATI વૃત્તિ વહી નિજભાવમાં, થયો અકર્તા ત્યાંય. ૧૨૧ २. संस्कृत यदा विभावभावः स्याद् भोक्ता कर्ता च कर्मणः। SANSKRIT
यदाऽविभावभावः स्याद् भोक्ता कर्ता न कर्मणः ॥१२१ ३. हिन्दी कर्ता भोक्ता कर्म को, जबलों वृत्ति विभाव |
HINDI भयो अकर्ता आप तब, वृत्ति बहत निज भाव ।।१२१।।।
४. मराठी
MARATHI
वर्ते विभाव जै तो कर्ता भोक्ता नि होइ कर्माचा। वृत्ति रमे निजभावी कर्ता भोक्ता न राहि कर्माचा ।।१२।।
५. बंगला
BENGALI
কর্তা ভােক্তা ফর্মের, বিভাব দশা যত্র। বৃত্তি প্রবাহিত আত্মভাবে, যাইল অকর্তা তত্র । ১২১
६. कन्नड़
KANNADA
ಕರ್ತಾ ಭೋಕ್ಕಾ ಕರ್ಮನೋ, ವಿಭಾವ್ ವರ್ತೆ ಜ್ಞಾಂಯ್ | ವೃತ್ತಿ ವಹೀ ನಿಜ್ ಭಾವ್ಮಾಂ , ಥಯೋ ಅಕರ್ತಾ ತ್ಯಾಂಯ್ 10 21 ||
७. अंग्रेजी
ENGLISH
In delusion one does the deeds, Receives the fruits, but non-doerHe is, when sows the knowledge-seeds, And constantly remains the knower. 121
•जिनभारती •JINA-BHARATI .
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