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(७) सप्तभाषी आत्मसिद्धि
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SAPTABHASHI ATMASIDDHI
मूल |
१२ 1, ५i कोश कर्ताकृति AA८० २.
१ rt, anale 0 १५४. ४
ORIGINAL AUTHOR'S
GUJARATI
SANSKRIT
१. गुजराती येतन रतुं नथी, नथी थdi तो भः
| તેથી સહજ સ્વભાવ નહિ, તેમ જ નહિ જીવધર્મ. ૭૫ २. संस्कृत यदि जीवक्रिया न स्यात् संग्रहो नैव कर्मणः ।
अतो न सहजो भावो नैव वा जीवधर्मता ॥७५॥ ३. हिन्दी
जब चेतन करता नहीं, तब नहिं होवें कर्म । तातें सहज स्वभाव ना, त्योंहि न आतम-धर्म ||७५||
HINDI
४. मराठी
MARATHI
जर चेतन करित नसे तर मग घडणार नाही ते कर्म। | तेणे स्वभाव त्याचा न ठरे तेवी नसेच तद्धर्म ।।७५।।
५. बंगला
BENGALI
কর্মের কর্তা আত্মা নহে, তবে নাহি হবে কর্ম। छा८७ मञ्ज नाव नार, नि नार बाजधर्म ॥ १८ ॥
६. कन्नड़
KANNADA
ಜೋ ಚೇತನ್ ರ್ಕತುಂ ನಥೀ, ನಥೀ ಥತಾಂ ತೊ ಕರ್ಮ್ ತೇಥೀ ಸಹಜ್ ಸ್ವಭಾವ್ ನಹಿ, ತೇಮ್ ಜನಹಿ ಜೀವ್ ಧರ್ಮ್ 1175
७. अंग्रेजी
ENGLISH
In any way if soul is still, No bondage it acquires ever; It's thus no nature's work so ill, Nor character of soul's own power. 75
•जिनभारती •JINA-BHARATI .
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