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स्यात् दो स्पर्श, स्यात् तीन स्पर्श, स्यात् चार स्पर्श । ५. पांच प्रदेशी स्कन्ध
स्यात् एक वर्ण, स्यात् दो वर्ण, स्यात् तीन वर्ण, स्यात् चार वर्ण, स्यात् पांच वर्ण । स्यात् एक गंध, स्यात् दो गंध । स्यात् एक रस, स्यात् दो रस, स्यात् तीन रस, स्यात् चार रस, स्यात् पांच रस । स्यात् दो स्पर्श, स्यात् तीन स्पर्श, स्यात् चार स्पर्श । असंख्य प्रदेशी स्कन्ध में पांच प्रदेशी स्कन्ध जैसे - वर्ण, गंध, रस और स्पर्श होते हैं।
सूक्ष्म परिणति वाले अनन्त प्रदेशी स्कन्ध में भी पांच प्रदेशी स्कन्ध जैसे—-वर्ण, गंध, रस और स्पर्श होते हैं । '
चार स्पर्श मौलिक हैं
• परमाणु से लेकर सूक्ष्म परिणति वाले अनन्त प्रदेशी स्कन्ध – ये सब भारहीन होते हैं । परिणति बदलती है, वह सूक्ष्म से स्थूल हो जाती है, तब भार उत्पन्न होता है ।
स्याद्वाद और सद्वाद / ७१
• स्थूल परिणति वाले अनन्त प्रदेशी स्कन्ध में स्यात् एक वर्ण यावत् स्यात् पांच वर्ण, स्यात् एक गंध, स्यात् दो गंध, स्यात् एक रस यावत् स्यात् पांच रस, स्यात पांच स्पर्श यावत् स्यात् आठ स्पर्श होते हैं । ' अष्टस्पर्शी स्कन्ध में लघुत्व और गुरुत्व होता है । जयाचार्य ने स्पर्शवृद्धि की प्रक्रिया बतलाते हुए लिखा है—
शीत, उष्ण, स्निग्ध और रुक्ष – ये चार स्पर्श मौलिक हैं। शेष चार स्पर्श अनन्त प्रदेशी स्कन्ध की स्थूल परिणति के साथ उत्पन्न होते हैं । रुक्ष स्पर्श की बहुलता से 'लघु' स्पर्श उत्पन्न होता है और स्निग्ध स्पर्श की बहुलता से 'गुरु' स्पर्श उत्पन्न होता है । शीत और स्निग्ध स्पर्श की बहुलता से 'मुदृ' स्पर्श उत्पन्न होता है । उष्ण और रुक्ष स्पर्श की बहुलता से 'कर्कश' स्पर्श उत्पन्न होता है । व्यवहार की भिन्नता का निमित्त
क्वाण्टम सिद्धान्त 'पदार्थ का स्वरूप ठोस है'
- भौतिक विज्ञान की इस मान्यता
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१. भगवती, १८ / १११-१६
२. वही, १८/११७ । ३. वही १८/६ ।
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