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द्वैतवाद / २७ होता है। प्रातिभासिक केवल साक्षी-दृष्टि है। व्यावहारिक जगत् का ज्ञान प्रत्यक्ष आदि प्रमाणों से होता है।
बौद्ध दर्शन के अनुसार सत्य के दो रूप हैं—पारमार्थिक सत्य और संवृतिसत्य।
अनित्यता का बोध पारमार्थिक सत्य है । यह वही है'-इस प्रकार का सादृश्यबोध संवृतिसत्य है।
वेदान्त के अनुसार व्यावहारिक सत्य तथा बौद्ध दर्शन के अनुसार संवृतिसत्य अवास्तविक हैं । जैन दर्शन के अनुसार व्यवहार नय अवास्तविक नहीं है।
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