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यश प्रतिष्ठा-बहुमानकारक मन्त्र एवं यन्त्र मन्त्र : ॐ ह्रीं अहँ नमो यशः सम्मान दायिने भद्रंकराय स्वामिने नमो
नमः। प्रयोग-विधि : साधक, सर्वांग शुद्ध होकर निम्न यन्त्र की विधिवत् सम्मुख स्थापना
करें, स्वयं उत्तर दिशा की ओर मुख करके श्वेत वस्त्र पहनकर श्वेतासन पर बैठें तथा जप के लिए स्फटिकमणि की माला ग्रहण करें | ध्यान की एकाग्रता के लिए श्री सुशील कल्याण मन्दिर स्तोत्र के बाईसवें श्लोक का २१ बार मंगल पाठ कर प्रभु पार्श्वनाथ का ध्यान कर उक्त मन्त्र का विधिवत् शुभ वेला में जप करें। जाप से पूर्व सवा लाख जाप आवश्यक है।
-यन्त्रम्
ॐ नमो भगवते पार्श्वनाथाय नमः
यशः
सम्मानं
अहम
अहम्
अहम्
अर्हम्
ॐ नमो भगवते पार्श्वनाथाय नमः
___ अहम्
ॐ नमो भगवते पार्श्वनाथाय नमः
अर्हम्
कीति
कुरुकुरु अर्ह
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