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राजस्थान
जैन तीर्थ परिचायिका पार्श्वनाथ चलगिरी जयपुर आगरा रोड पर आगरा से जयपुर जाने के मार्ग पर जयपुर में प्रवेश से पूर्व ही खानिया
जी अरावली पर्वतमाला को जोड़ती एक 400 फुट ऊँची शिखर पर सन् 1953 में आचार्य (अतिशय क्षेत्र)
श्री देशभूषण जी की प्रेरणा से इस क्षेत्र का निर्माण हुआ। इस तीर्थ पर ऋद्धि-सिद्धिदायक विजय पताका महायंत्र अत्यन्त चमत्कारिक है। ऐसी मान्यता है कि यह महायंत्र सर्व प्रकार से संकट मोचक है। पहाड़ी पर जाने के लिए वाहन मार्ग के अतिरिक्त लगभग 1000
सीढ़ियों का मार्ग है। महावीर जी से जयपुर आते हुए यहाँ दर्शनलाभ लिया जा सकता है। नरैना
पश्चिम रेल्वे के फुलेरा स्टेशन से दक्षिण की ओर 11 कि.मी. दूर नरैना स्टेशन है। सड़क के रास्ते अजमेर-आगरा मार्ग पर दूदू से सांभर जाने वाली सड़क पर 13 कि.मी. दूर पड़ता है। तीर्थ न होने पर भी बड़ी मात्रा में पुरातात्विक सामग्री के कारण तीर्थ की संज्ञा प्राप्त नरैना (नरायना) 11वीं-12वीं शताब्दी में बहत समद्ध व्यापारिक केन्द्र था। यहाँ से प्राप्त मर्तियाँ स्थानीय दिगम्बर जैन मन्दिर में विराजमान हैं। यहाँ आवास हेतु धर्मशाला उपलब्ध है।
मौजमाबाद
नरैना के पास दूदू से 11 कि.मी. दक्षिण-पूर्व में दूदू-फागी मार्ग पर स्थित मौजमाबाद भी कला और साहित्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यहाँ सन् 1607 में निर्मित दिगम्बर जैन मन्दिर दर्शनीय है। इसमें भव्य मूर्तियाँ एवं प्राचीन पाण्डुलिपियों का विशाल भण्डार विशेष रूप से दर्शनीय है।
जिला जालोर श्री स्वर्णगिरी तीर्थ (जालोर)
पेढ़ी: श्री स्वर्णगिरी जैन तीर्थ, दुर्ग पेढ़ी,स्वर्णगिरी दुर्ग, जालोर-343 001 (राज.) फोन : (02973) 32316
मूलनायक : श्री महावीर स्वामी श्वेतवर्ण। मार्गदर्शन : यह तीर्थ जालोर शहर के निकट मांडोली से 30 कि.मी. दूरी पर है। किले पर स्थित
इस मंदिर से तलहटी 1 कि.मी. तथा वहाँ से जालोर रेल्वे स्टेशन 1 कि.मी. दूरी पर स्थित है। यहाँ से भाण्डवपुर तीर्थ 60 कि.मी., जहाज मन्दिर माण्डवला 20 कि.मी., राणकपुर 110 कि.मी., नाकोड़ा जी 95 कि.मी. दूर हैं। जोधपुर से यह 141 कि.मी. दूर पर है। रेल द्वारा अहमदाबाद, जोधपुर भीलड़ी से जालोर सीधा संपर्क में है। टैक्सी, रिक्शा की सुविधा तलहटी तक उपलब्ध है। जालोर शहर में प्रातः 6 बजे से रात्रि 9 बजे तक विभिन्न शहरों
से बसों का आवागमन होता रहता है। परिचय : स्वर्णगिरी पर्वत पर स्थित पश्चिम पहाड़ पर अन्य 12 श्वेताम्बर जैन जिनमंदिर हैं। यह
तीर्थ पर्वत पर स्थित है, पहाड पर पैदल जाना पडता है। पहाड पर जाने के लिये आधा घंटा लगता है, डोली की सुविधा उपलब्ध है। पूजा का समय प्रात: 9 बजे से 11 बजे तक है। परम पूज्य स्वर्णगिरि तीर्थोद्वारक राजेन्द्र सूरिश्वर म. सा. की यह साधना भूमि थी। दुर्ग पर गुरुमंदिर दर्शनार्थी का मन मोह लेता है। यहाँ पर स्टेशन रोड पर स्थित नंदीश्वरद्वीप मंदिर एवं कीर्तिस्तम्भ भी दर्शनीय है। जालोर शहर प्राचीनकाल से ही सांस्कृतिक केन्द्र रहा है। यहाँ के हिन्दू राजा कला एवं सौन्दर्य के विशेष प्रशंसक थे। स्वर्णगिरी पर्वत पर स्थित दुर्ग की राजस्थान में अपनी ही महत्ता है। दुर्ग के प्रमुख द्वार के निकट मुगल शासक मलिक शाह का मकबरा एवं मस्जिद है। यहाँ अनेक हिन्दू एवं जैन मन्दिर दर्शनीय हैं।
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