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________________ राजस्थान श्री अंदेश्वर पार्श्वनाथ जैन तीर्थ परिचायिका मार्गदर्शन : उदयगढ़ रेल्वे स्टेशन से 50 कि.मी. दूर, बांसवाड़ा जिले में चारों ओर सघन वनों से घिरी एक छोटी-सी पहाड़ी पर स्थित है अंदेश्वर पार्श्वनाथ। यह कुशलगढ़ से पश्चिम की ओर 15 कि.मी. व कलिंगड़ा से पूर्व की ओर 8 कि.मी. दूर स्थित है। यह बांसवाड़ा से 35 कि.मी. दूर स्थित है। उदयपुर से बांसवाड़ा 163 कि.मी. तथा रतलाम से 74 कि.मी. दूर है। परिचय : यह एक अतिशय क्षेत्र है जिसके कई अतिशयों की मान्यता भी है। क्षेत्र में कोई बस्ती नहीं है। यहाँ पार्श्वनाथ भगवान के दो दिगम्बर जैन मन्दिर हैं। एक मन्दिर श्री दिगम्बर जैन पंचायत कुशलगढ़ ने बनवाया था इसकी प्रतिष्ठा सं. 1992 में हुई थी। इसी में भगवान पार्श्वनाथ जी की सातिशय चमत्कार सम्पन्न मूर्ति विराजमान है। ठहरने की व्यवस्था : क्षेत्र पर दिगम्बर जैन धर्मशाला है। कार्तिक पूर्णिमा को यहाँ वार्षिक उत्सव होता है। जिला बाड़मेर श्री नाकोड़ाजी तीर्थ पेढ़ी: श्री जैन श्वेताम्बर नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ मु. पो. मेवानगर, स्टेशन बालोतरा जि. बाडमेर-344 025 (राजस्थान) फोन : (02988) 40005 (पेढ़ी); 40096, 40761 (ऑ.) मूलनायक : श्री पार्श्वनाथ भगवान, श्यामवर्ण प्रतिमा। मार्गदर्शन : जोधपुर बाड़मेर मार्ग पर श्री मेवानगर ग्राम में विश्वप्रसिद्ध श्री नाकोड़ा तीर्थ जोधपुर से 120 कि.मी. दूर स्थित है। बाड़मेर यहाँ से 118 कि.मी. दूर है। बालोतरा रेल्वे स्टेशन से लगभग 15 कि.मी. दूर स्थित इस तीर्थ पर पहुँचने के लिए स्टेशन से जीप, बस आदि की सुविधा उपलब्ध है। श्री नाकोड़ा तीर्थ से जोधपुर के लिए नियमित बस सेवाएँ भी उपलब्ध हैं। नाकोड़ा जी से महावीर जी के लिए भी बस सेवा उपलब्ध है। यहाँ से बालोतरा के लिए नियमित बसें हैं। बालोतरा से जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, रामदेवरा आदि स्थानों हेतु बस सेवा उपलब्ध है। बालोतरा से बाडमेर मार्ग पर भैरव सर्किल से दाँयी ओर मेवानगर की ओर सड़क जाती है। परिचय : भारत के प्रमुख तीर्थस्थानों में इस तीर्थ की गणना होती है। तीर्थ के अधिष्ठायक देव श्री नाकोड़ा भैरव जी की बहुत मान्यता होने के कारण यहाँ पर यात्रियों की बहुत भीड़ रहती है। यह स्थान पर्वतों की गोद में रमणीय एवं भव्य है। कहा जाता है कि 2300 वर्ष पूर्व वीरसेन, नाकोरसेन नामक बंधुओं ने वीरपुर, नाकोर नगर बसाए और वहाँ विशाल मंदिर का निर्माण करवाया था। विक्रम संवत् 1300 के बाद मुस्लिम आक्रमण के कारण इस नगरी का विनाश हुआ। उसके बाद फिर से मंदिर का निर्माण किया गया। यहाँ का मुख्य मंदिर श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ भगवान का है, साथ ही परिसर में श्री आदिनाथ भगवान तथा श्री शान्तिनाथ भगवान का मंदिर है। श्री शान्तिनाथ भगवान के मंदिर में प्रभु के जीवन प्रसंग संगमरमर के पत्थर पर उत्कीर्ण कर दीवारों पर लगाये हैं। मुख्य मंदिर में पूजा के लिये बड़ी कतार लगती है। यहाँ पर मन्दिर में चढ़ाया प्रसाद मन्दिर से बाहर नहीं ले जा सकते, ऐसी मान्यता है। प्रातः 11.30 बजे से यहाँ श्री भैरव जी पर तेल चढ़ाया जा सकता है, पेढी के निकट ही मोदी खाने में तेल उपलब्ध हो जाता है। मन्दिर के बाहर ही छोटी-सी पहाड़ी पर दादा गुरुदेव जिनकुशल सूरी जी की दादावाड़ी बनी है जहाँ सीढ़ियों द्वारा चढ़कर दादा देव के पगलियों के दर्शन किये जा सकते हैं। ऊपर पहाड़ी से मन्दिर का भव्य दृश्य अत्यन्त मनोहारी लगता है। Jain 20cation International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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