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राजस्थान
| जैन तीर्थ परिचायिका दर्शनीय स्थल : रेल्वे स्टेशन से 1 कि.मी. दूर बस स्टैण्ड है। बस स्टैण्ड के निकट ही बीकानेर
का मूल आकर्षण वहाँ का दुर्ग है। दुर्ग के सामने सार्वजनिक उद्यान है। उसके अन्तिम छोर पर गांधी मैदान है। सार्वजनिक उद्यान में जुलॉजिकल गार्डन है और जैन मन्दिर तुलसी है। शुक्रवार को छोड़कर, दुर्ग सुबह 10.00 से सायं 4.30 बजे तक खुला रहता है। भण्डारसा मन्दिर : शहर से 5 कि.मी. दूर 16वीं शताब्दी का जैन मन्दिर परिसर है। स्वर्णमण्डित ध्वज व दण्ड सहित उच्च शिखरवाला यह मन्दिर गौरवोन्नत मस्तक लिए खड़ा है। जैन मन्दिरों में अन्यतम यह मन्दिर 23वें तीर्थंकर भ. पार्श्वनाथ यहाँ मूलनायक के रूप में विराजित हैं। 1505 में निर्मित चिन्तामणि, आदिनाथ मन्दिर भी दर्शनीय हैं। मन्दिर सुबह 6 से 11 एवं सायं 7 से 8 बजे तक खुला रहता है। गंगा गोल्डन म्यूजियम : दुर्ग के सामने गांधी पार्क के निकट राजस्थान टूरिज्म के टूरिस्ट बंगले के निकट बीकानेर का गंगा गोल्डन जुबिली-म्यूजियम है। गुप्त युग के टेराकोटा के साथ कुषाण व हड़प्पा काल के पूर्व के विभिन्न संग्रह इस म्यूजियम की अमूल्य निधि हैं। लालगढ़ प्रासाद : शहर के अन्तिम छोर पर (2.5 कि.मी.) महाराजा गंगा सिंह ने अपने पिता लाल सिंह की स्मृति में गेरुए रंग के बलुआ पत्थरों से लालगढ़ प्रासाद अर्थात् रेड फोर्ट का निर्माण करवाया था। देवी कुण्ड : शहर से 8 कि.मी. दूर बीकानेर के शासकों के स्मृति स्तम्भ देवी कुण्ड में हैं। स्मृति स्तम्भों के बीच राव कल्याण माई स्तम्भ प्राचीनतम है । श्वेत मर्मर पत्थरों से निर्मित राजा सूरथ सिंह की छत्री भी सुन्दर है। कैमेल ब्रीडिंग फार्म : शहर से 10 कि.मी. पश्चिम में सरकार संचालित करीब 300 ऊँटों का एशिया का अन्यतम फार्म है। इस फार्म में पर्यटक ऊँट की सवारी का आनन्द व ऊँटनी के दूध का स्वाद चख सकते हैं। इसके लिए समय अपराह्न 3.00 से 5.00 बजे तक है। करणी जी का मन्दिर : शहर से 26 कि.मी. दूर करणी माता जी का विशेष ख्याति प्राप्त मन्दिर है। दुर्गा की अवतार करणी जी यहाँ की आराध्या हैं। भविष्यवक्ता के रूप में देवी की ख्याति है। इस द्वितल मन्दिर की स्वर्ण छतरी, संगमरमरी पत्थर पर नक्काशी, महाराजा गंगासिंह द्वारा निर्मित चांदी का गेट भी सन्दर है। मन्दिर परिसर में असंख्य मूषक हैं, यदि ये आपकी देह पर चढ़ जायें तो आप पुण्य के भागी होते हैं और इन्हें मारने पर पाप लगता है ऐसा कहा जाता है कि यहाँ एक श्वेत मूषक भी है जो केवल उन्हीं लोगों को दर्शन देता है जिन पर माता की विशेष कृपा होती है। सफेद चूहे के दर्शन करने वाले दर्शनार्थी अपने आपको धन्य मानते हैं। शहर से हर घण्टे मन्दिर के लिये बस सेवा उपलब्ध है। गजन प्रासाद : शहर से दक्षिण-पश्चिम जैसलमेर के मार्ग में 31 कि.मी. जाने पर झील के तट पर यह प्रासाद है। प्रासाद में विभिन्न सामग्रियों, चित्रों व कार्पेट का उल्लेखनीय संग्रह है। गलाब बाग भी सुन्दर है। किसी समय यह राजाओं का आखेट स्थल था। यहाँ नये सिरे व वन्यजीव अभयारण्य बना है। नीलगाय, ब्लैक बक आदि को देखा जा सकता है। शहर से यह बस-सम्पर्क से जुड़ा है। शिकार महल में आज होटल है। बीकानेर से 45 कि.मी. जाने पर बीकानेर जैसलमेर मार्ग पर पवित्र हिन्दू तीर्थ कोलायत के भी दर्शन किये जा सकते हैं। कपिल मुनि ने इसी कोलायत में आश्रम का निर्माण किया था। बीकानेर से जैसलमेर जाते वक्त बस यात्रा के दौरान विश्राम के समय भी कोलायत के दर्शन किए जा सकते हैं।
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