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राजस्थान
जैन तीर्थ परिचायिका दर्शनीय स्थल : रेल्वे स्टेशन के सामने मदर गेट पार कर 10/15 मिनट के पैदल रास्ते पर अजमेर का मूल आकर्षण ख्वाजा
साहब की दरगाह है। इस्लाम धर्मावलम्बिओं के लिए भारत में यह सबसे पवित्र तीर्थस्थान है। इसके द्वार हर एक के लिए खुले हुए हैं। दरगाह से 5-7 मिनट के रास्ते त्रिपोलिया गेट पार करते ही दाहिनी ओर ढाई दिन का झोंपड़ा है। यह मुहम्मद गोरी की कृति है, जिसने इसे 1198 में बनवाया था। झोंपड़ा के सामने 3 कि.मी. लम्बा खड़ी चढ़ाई वाले डेढ़ घण्टे का रास्ता तय कर 2055 फीट की ऊँचाई पर तारागढ़ पहाड़ पर स्थित दुर्ग में पहुँचा जा सकता है। अकबर ने 1570 ई. में इसका निर्माण कराया था। शहर के मध्य, स्टेशन के निकट ही सफेद पत्थरों से निर्मित अंतिम मुगलकाल में निर्मित अब्दुल्ला खाँ का मकबरा दर्शनीय है। दो पहाड़ों के बीच लूनी नदी पर बांध बनाकर कृत्रिम झील अन्नासागर बनायी गयी है। सूर्योदय व सूर्यास्त के समय इसमें पड़ते इन्द्रधनुष का प्रतिबिम्ब मन को मोह लेता है। जहाँगीर ने इसके सौन्दर्य पर मुग्ध होकर झील के तट पर सुन्दर उद्यान दौलत बाग का निर्माण करवाया और शाहजहाँ ने 1637 में इसे मरमरी दीवारों पर चार सुन्दर छत्र और संगमरमर की प्राचीर बनाकर इसे और भी सुन्दर और मनोहारी कर दिया। खादिम टूरिस्ट बंगला से राजस्थान टूरिज्म का पर्यटन टूर पुष्कर, ढाई दिन का झोंपड़ा, म्यूजियम, दरगाह, जैन मन्दिर, दुर्ग, लेक आदि घुमाकर लाता है। यह टूर दिन में 2 बार है। पहला चक्र प्रात: 8.00 बजे से 1.00 बजे तक तथा दूसरा चक्र 2.00 से सायं 6.30 बजे तक होता है। स्टेशन से 5 कि.मी. दूरी पर अजय नगर में हाल ही में निर्मित श्री साई बाबा का मन्दिर भी अत्यन्त कलात्मक एवं दर्शनीय है। पुष्कर तीर्थ : विश्व पर्यटन में अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर चुका यह हिन्दू तीर्थ अजमेर से 11 कि.मी. उत्तर-पश्चिम में 1539 फीट की ऊँचाई पर है। अजमेर व पुष्कर के बीच नाग पहाड़ सीमा रेखा का काम करता है। अजमेर रेल्वे स्टेशन के पीछे गांधी भवन से बस पुष्कर जाती है। राज्य बस स्टैण्ड से भी पुष्कर के लिए बसें मिलती है। पुष्कर के दो विपरीत छोरों पर दो बस स्टैण्ड हैं। उचित होगा रेल्वे स्टेशन से बस द्वारा पुष्कर बस स्टैण्ड जाना इस मार्ग पर टैक्सी व ऑटो भी चलते हैं। इस मार्ग पर विश्व का एकमात्र ब्रह्मा मन्दिर है। यहाँ अन्य मन्दिर भी हैं। इनकी संख्या 500 से अधिक है
और पुष्कर में ठहरने हेतु कई धर्मशालाएँ हैं। यहाँ देशी एवं विदेशी पर्यटकों का बहुतायत आवागमन रहता है। पुष्कर में 52 घाट हैं। हालांकि इनमें उल्लेखनीय घाटों की संख्या 15 है। प्रति वर्ष कार्तिक पूर्णिमा (अक्टूबर-नवम्बर) में यहाँ 10 दिनों तक मेला लगता है। अंतेड की माता का मन्दिर चारों ओर अत्यन्त रमणीक वातावरण से घिरा हुआ है। यहाँ प्रत्येक वर्ष रक्षाबंधन पर मेले का आयोजन होता है। अंतेड की माता के मन्दिर के निकट ही अजमेर के दिगम्बर जैन-सम्प्रदाय की छत्रियों एवं चबूतरों का भव्य दर्शन होता है। झील के दूसरी ओर सावित्री पहाड़ है, तीर्थ यात्रियों व पर्यटकों को यह सीधा-सरल मन्दिर काफी प्रभावित करता है, बरबस अपनी ओर खींच लेता है। मन्दिर में सावित्री देवी की पूजा होती है। देवी सरस्वती की भी प्रतिमा है। मन्दिर में केवल महिलाओं को ही पूजा का अधिकार है। बस स्टैण्ड से थोड़ी दूर और आगे बढ़ने पर मगनी राम बांगड़ द्वारा निर्मित रंगनाथ मन्दिर पुष्कर का एक और आकर्षण है। इस मन्दिर की स्थापत्य-शैली में द्रविड़ीय छाप स्पष्ट दिखाई पड़ती है। मन्दिर का सोने का ताड़गाछ भी दर्शनीय है। मन्दिर की शोभा अति मनमोहक है।
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