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________________ मध्य प्रदेश जिला गुना श्री थुवौनजी तीर्थ पेढ़ी: श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र थुवौनजी डाकघर अशोक नगर जिला गुना (मध्य प्रदेश) | जैन तीर्थ परिचायिका मूलनायक : श्री आदीश्वर भगवान, खड्गासन। मार्गदर्शन : यह तीर्थ थुवौन गाँव के निकट नैसर्गिक वातावरण के मध्य लीलट नदी के किनारे स्थित है जहाँ से अशोक नगर रेल्वे स्टेशन 20 कि.मी. दूर है। बस की सुविधाएँ उपलब्ध है। मार्ग में गहन जंगल होने के कारण दिन में ही यात्रा करना उपयुक्त है। तीर्थ स्थल से लगभग 400 मीटर की दूरी पर लीलट नदी बहती है, जिसे प्रायः पैदल पार करके ही यहाँ पहुँचा जा सकता है। परिचय : सेठ श्री पाना शाह के द्वारा 12वीं शताब्दी में यहाँ मन्दिर बनवाने का उल्लेख है। अन्य मन्दिर इसके बाद क्रमश: बने हैं। इस भांति की बनावट के मन्दिर भारत में अन्यत्र नहीं मिलेंगे, जहाँ प्रतिमाएँ शिखर से बड़ी हो। प्रभु प्रतिमा का लगभग आधा भाग प्रवेश द्वार की सतह से नीचा है। कहा जाता है कि फाल्गुन, आषाढ, श्रावण तथा भादों माहों की अर्ध रात्रि में, मन्दिरों में कभी-कभी देवों द्वारा भक्ति से परिपर्ण. समधर गीतों की स्वर-लहरी सनायी देती है। इस मन्दिर के निकट ही 24 और जिनालय हैं। यहाँ स्थित सभी मन्दिरों की प्रतिमाएँ खड्गासन में, विभिन्न कलाओं का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। ठहरने की व्यवस्था : धर्मशाला की व्यवस्था है, जहाँ बिजली, पानी, बर्तन इत्यादि की सुविधाएँ उपलब्ध है। जिला झबुआ श्री लक्ष्मणी तीर्थ पेढ़ी: श्री पद्मप्रभ कल्याणजी श्वेताम्बर जैन पेढ़ी, लक्ष्मणी तीर्थ पोस्ट अलीराजपुर जिला झाबुआ (मध्य प्रदेश) मूलनायक : श्री पद्मप्रभ भगवान, श्वेत वर्ण, पद्मासनस्थ। मार्गदर्शन : यह तीर्थ स्थान अलीराजपुर गाँव से 8 कि.मी. दूर खण्डवा-बड़ौदा मार्ग पर स्थित है। यहाँ से आने-जाने के लिए बसों और टैक्सियों का साधन है। मन्दिर तक पक्की सड़क है। बड़ौदा से 142 कि.मी. दूर है। कुक्षी से 43 कि.मी. अलीराजपुर है। परिचय : यह तीर्थ लगभग 2000 वर्ष पूर्व प्राचीन माना जाता है। इस तीर्थ का अंतिम जीर्णोद्धार विक्रम संवत् 1994 में हुआ, प्रतिष्ठा आचार्य श्री विजय यतीन्द्रसूरीश्वरजी के कर-कमलों द्वारा मिगसर शुक्ला दशमी को सम्पन्न हुई। मन्दिर के भीतर भाग में श्रीपाल जीवनी के 137 कलापूर्ण, रंग-बिरंगे पट दर्शनीय हैं । मन्दिर के निकट ही आचार्य प्रवर श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज का गुरु मन्दिर है। ठहरने की व्यवस्था : मन्दिर के पास ही ठहरने के लिए सुविधायुक्त धर्मशाला है। भोजनशाला की सुविधा उपलब्ध है। जिला इन्दौर इन्दौर मध्य प्रदेश का प्रमुख औद्योगिक नगर इन्दौर 'लघु मुम्बई' के नाम से प्रसिद्ध है। इन्दौर देश के प्रमुख नगरों से रेल एवं सड़क मार्ग से जुड़ा है। रानी अहिल्याबाई ने इस नगर की स्थापना की। जवाहर रोड पर सेठ हुकुमचंद जैन मन्दिर काँच मन्दिर के रूप में विख्यात है। मन्दिर की सुन्दर काँच की नक्काशी मन को मुग्ध कर देती है। रजत वेदी पर प्रभु आदिनाथ, शान्तिनाथ भगवान व चन्द्रप्रभु भगवान की प्रतिमाएँ विराजमान हैं। दूसरे तल्ले पर कांस्य प्रतिमाएँ विराजित हैं। शीशे में प्रतिबिम्बित होकर ऐसा प्रतीत होता है मानों चारो ओर प्रभु ही प्रभु हैं। इसके अतिरिक्त गीता भवन भी अत्यंत दर्शनीय है। यहाँ सर्व धर्म समभाव का रूप दिखाई देता है। मूर्तियों के माध्यम से इसमें पौराणिक कहानियों को साकार किया है। यहाँ का लालबाग पैलेस, अन्नपूर्णा मन्दिर, मानिकबाग पैलेस, चिड़ियाघर, रजवाड़ा भी दर्शनीय हैं। 44 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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