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मध्य प्रदेश
श्री बदनावर तीर्थ
पेढ़ी : श्री आदिनाथ जैन श्वेताम्बर मन्दिर डाकघर बदनावर जिला धार-454 668 (मध्य प्रदेश)
जैन तीर्थ परिचायिका मूलनायक : श्री आदीश्वर भगवान, पद्मासनस्थ मार्गदर्शन : यह तीर्थ विंध्य पर्वतमाला के पठार पर बदनावर गाँव में स्थित है। यहाँ से बड़नगर
13 कि.मी. तथा रतलाम 44 कि.मी. दूर है। यहाँ से बसों की सुविधा उपलब्ध हैं। बस स्टैण्ड से मन्दिर सिर्फ 2 फलांग दूर है। । मन्दिर तक कार जा सकती है। उज्जैन से यह स्थान
58 कि.मी. दूरी पर है। परिचय : कहा जाता है लगभग 2250 वर्ष पूर्व सम्राट अशोक के पौत्र श्री संप्रति राजा द्वारा इस
प्रतिमा की प्रतिष्ठा हई थी। मन्दिर भोयरे में है। अनेको बार जीर्णोद्धार होने का भी संकेत मिलता है। अंतिम जीर्णोद्धार यहाँ के श्रीसंघ द्वारा वि. सं. 1984 में पन्यासजी श्री मोतीविजय जी के सुहस्ते पुनः प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी। यह अत्यन्त चमत्कारिक स्थल है, जब ही गत शताब्दियों में मन्दिरों पर अनेकों प्रहार होने पर भी इस प्रतिमा को कोई आँच नहीं आई। प्रति वर्ष भादरवा शुक्ला प्रतिपदा को जन्मवाचन के पश्चात् श्रावकगण बाजों-गाजों सहित प्रभु के दर्शनार्थ जाते हैं वह आरती उतारी जाती है। कहा जाता है उस समय भोयरे की दीवारों पर पानी की बूंदे प्रकट होती हैं। हमेशा भक्तजनों को प्रभु के तीन रूपबाल्यावस्था, युवावस्था व प्रौढावस्था के दर्शन होते हैं। मन्दिर के निकट ही एक और मन्दिर है जिसमें मणिभद्रस्वामी की मूर्ति है, वह लगभग 200 वर्ष प्राचीन बतायी जाती है। मन्दिर
का नवनिर्माण हो जाने के कारण प्राचीन कला कम नजर आती है। ठहरने की व्यवस्था : ठहरने के लिए धर्मशाला है जहाँ बिजली, पानी की सुविधा उपलब्ध है।
आगरा से 115 कि.मी. दूर अपने दुर्ग के लिए प्रसिद्ध है। झाँसी से यह 69 कि.मी. दूर है। दिल्ली- जिला ग्वालियर भोपाल रेलमार्ग पर स्थित ग्वालियर पर दक्षिण भारत से दिल्ली जाने वाली सभी ट्रेनों का
है। इन्दौर. मम्बई से दिल्ली (भोपाल होकर) जाने वाली टेने भी ग्वालियर रुककर ग्वालियर आगे बढ़ती हैं। ग्वालियर से आगरा, झाँसी, शिवपुरी, दिल्ली, खजुराहो, इन्दौर, उज्जैन के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध है। ग्वालियर का दुर्ग 5 कि.मी. लम्बा व 10 मीटर ऊँची प्राचीर से घिरा है। इसके दो प्रवेश द्वार हैं उत्तर-पूर्व एवं दक्षिण-पश्चिम में। दक्षिण-पश्चिम द्वार लश्कर की ओर है। लश्कर से प्रवेश करने पर रास्ते में जैन मन्दिर पहाड़ी को काटकर बनाए गये हैं। इन मन्दिरों की कला अत्यंत मनोरम और दर्शनीय है। यहाँ प्रभु आदिनाथ की 17 मीटर ऊँची भव्य प्रतिमा विराजमान है। निकट ही प्रभु नेमिनाथ की 10 मीटर ऊँची मनभावन प्रतिमा मन को असीम शान्ति प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त दुर्ग में सूरजकुंड, मस्जिद आदि दर्शनीय हैं। उत्तरपूर्व द्वार को गोयालियर द्वार भी कहते हैं। यहाँ से प्रवेश करते ही गुजारी महल आता है इसकी निर्माण कला मनलुभावन है। आगे चतुर्भुज मंदिर है। हस्ती द्वार से आगे मान मन्दिर पैलेस अपनी कलात्मक एवं उत्कृष्ट कारीगरी के कारण दर्शनीय है। दुर्ग के बाहर पुराने शहर में रेल्वे स्टेशन के सामने ग्वालियर का म्यूजियम भी कम दर्शनीय नहीं है। सिंधिया राजघराने के लिए नये शहर में बने जयविलास के संग्रह मन मुग्ध कर देते हैं। ग्वालियर में बना सूर्य मन्दिर अपना अलग ही आकर्षण रखता है। ग्वालियर प्रमुख औद्योगिक नगर होने के कारण यहाँ धर्मशालाओं, होटलों आदि सभी उपलब्ध हैं। शहर में सवारी साधन भी उपलब्ध हैं।
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