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जैन तीर्थ परिचायिका
तत्पश्चात् और भी जीर्णोद्धार हुए हैं, ऐसा प्रतीत होता है। वीर निर्वाण की 18 वीं से 22 वीं शताब्दियों के अन्तर्गत यहाँ अनेकों शूर-वीर जैन मन्त्री तथा श्रावक हुए। उन साधकों की साधना आज भी जैन धर्म के इतिहास में अमर और अनुपम मानी जाती है । अनेक प्रमाणों के आधार पर यह भी कहा जाता है कि एक जमाने में यहाँ पर, सात सौ जैन मन्दिर व पौधशालाएँ थीं तथा छः लाख से भी अधिक जैनों की महानगरी आबाद थी । यहीं श्री शान्तिनाथ भगवान का एक और पुरातन मन्दिर है । यह भारत में एक प्रसिद्ध पुरातात्विक स्थल है जहाँ प्राचीन कला और सौन्दर्य के असंख्य अवशेष आज भी दिखायी देते हैं । यहाँ अशर्फी महल, बाज बहादुर का महल, नीलकंठ महल, हाथी महल तथा सागर तालाब पर इकोपोइंट दर्शनीय हैं।
ठहरने की व्यवस्था : ठहरने के लिए मन्दिर के पास विशाल सुविधायुक्त धर्मशाला है । भोजनालय की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। यहाँ होटल एवं धर्मशालाएँ भी उपलब्ध हैं ।
मूलनायक : श्री आदिनाथ भगवान, पद्मासनस्थ ।
मार्गदर्शन : यह तीर्थ राजगढ़ से 2 कि.मी. दूर स्थित है। निकटवर्ती स्टेशन मेघनगर यहाँ से 65 कि.मी. तथा दाहोद 100 कि.मी. दूर है। स्टेशन से नियमित बस सेवा उपलब्ध है। टैक्सी भी उपलब्ध रहती है। राजगढ़ बस स्टैण्ड पर हर समय बसों का आवागमन विभिन्न स्थानों से होता रहता है। यहाँ से भोपावर तीर्थ 14 कि.मी., माण्डव 85 कि.मी. तथा लक्ष्मणी 100 कि.मी. दूर हैं। यहाँ आने के लिए रेल्वे स्टेशन रतलाम, बड़नगर, उज्जैन, महु, इन्दौर से, व्हाया बदनावर होकर, राजगढ़ व मोहनखेड़ा तीर्थ के लिए बस सर्विस उपलब्ध है। अहमदाबाद, बड़ौदा, हिम्मतनगर व नडियाद से यह तीर्थ बस द्वारा संपर्क में है।
परिचय: आचार्य प्रवर श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी महाराज के शुभ हाथों से वीर निर्वाण सं. 2409 के मिगशर शुक्ला सप्तमी के शुभ दिन श्री मोहनखेड़ा तीर्थ की प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी । आचार्य प्रवर श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी महाराज ने इस भूमि को देखकर बताया था कि इसका पुण्योदय होकर यहाँ एक महान तीर्थ बनेगा। प्रति वर्ष यहाँ कार्तिक पूर्णिमा, चैत्र पूर्णिमा तथा पोष शुक्ला सप्तमी को मेले लगते हैं। यह आचार्य प्रवर श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी महाराज का समाधि स्थल है। तीर्थ स्थल ऐसे समतल एवं सुरम्य स्थान पर निर्मित हुआ है जिससे यहाँ के आन्तरिक एवं बाह्य दृश्य अतीव आकर्षक एवं मनोहर प्रतीत होते हैं। यह तीर्थ मालवा का शत्रुंजय है। यहाँ मूलनायक श्री आदिनाथ जी की प्रतिमा के अतिरिक्त श्री पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमाएं भी दर्शनीय है । यहाँ आचार्य देव श्रीमद्विजय यतीन्द्र सूरिश्वरजी म.सा. एवं श्रीमद् विजय विद्याचन्द्र सूरीश्वर जी के समाधि मन्दिर हैं। यहां गुरुकुल विद्यालय एवं चिकित्सालय ट्रस्ट द्वारा संचालित है।
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ठहरने की व्यवस्था : यहाँ 6 धर्मशालाएँ है जिनमें 400 कमरों की व्यवस्था है । यहाँ भोजनशाला एवं भाता दोनों व्यवस्था उपलब्ध है। भोजन का समय प्रातः 11 से 1 बजे तथा सायं 5 से 6 बजे तक है।
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मध्य प्रदेश
श्री मोहनखेड़ा तीर्थ
पेढ़ी :
श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वेताम्बर पेढ़ी,
श्री मोहनखेडा जैन तीर्थ पोस्ट राजगढ़ जिला धार - 454 116 (मध्य प्रदेश)
फोन : (07296) 32225,
34369
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