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________________ मध्य प्रदेश जिला दुर्ग श्री उवसग्गहरं तीर्थ पेढ़ी : श्री उवसग्गहरं पार्श्वतीर्थ पारस नगर, नगपुरा, दुर्ग (मध्य प्रदेश) जिला धार श्री तालनपुर तीर्थ पेढ़ी : श्री पार्श्वनाथ राजेन्द्र जैन श्वेताम्बर पेढ़ी तालनपुर, डाकघर आली जिला धार (मध्य प्रदेश ) श्री तालनपुर दिगम्बर मन्दिर पेढ़ी तालनपुर, डाकघर आली जिला धार (मध्य प्रदेश) श्री माण्डवगढ़ तीर्थ पेढ़ी : श्री जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी माण्डवगढ डाकघर माण्डु, जिला धार (मध्य प्रदेश) 40 Jain Education International 2010_03 जैन तीर्थ परिचायिका मूलनायक : श्री पार्श्वनाथ भगवान । मार्गदर्शन : दुर्ग से 5 कि.मी. दूर, दुर्ग - राजनांदगाँव मार्ग, राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 6 पर यह सुन्दर भव्य तीर्थ नगपुरा ग्राम में स्थित है। परिचय : नगपुरा तीर्थ की प्राचीनता को 1985 से जीर्णोद्धार कर नवीन भव्य स्वरूप प्रदान किया गया। यहाँ भारत का प्रथम श्री उवसग्गहरं पार्श्व जिनालय श्री पार्श्व प्रभु की चरण पादुका युक्त प्राचीन मंदिर स्थल पर बना है। इसके अतिरिक्त उवसग्गहरं के रचियता श्री भद्रबाहु स्वामी तथा तीर्थपति के प्राण प्रतिष्ठाकारक श्री केशीस्वामी की मूर्तियां प्रतिष्ठित हैं। यहाँ श्री कल्याण मन्दिर जिनालय, श्री नमिऊण पार्श्व जिनालय, श्री मणिभद्र एवं श्री पद्मावती मन्दिर, श्री चारित्र मन्दिर, श्री जिनकुशल सूरिजी दादावाड़ी, तीर्थंकर उद्यान एवं मेरू पर्वत अत्यन्त कलात्मक एवं दर्शनीय है। ठहरने की व्यवस्था : यहाँ ठहरने हेतु सभी सुविधायुक्त 4 धर्मशालाएँ हैं। भोजनशाला की व्यवस्था भी उपलब्ध है । मूलनायक : श्री आदिनाथ भगवान, पद्मासनस्थ । मार्गदर्शन : खण्डवा-बड़ौदा मार्ग पर कुक्षी गाँव से 5 कि.मी. की दूरी पर यह तीर्थ स्थित है। कुक्षी से टैक्सी और बस की सुविधा उपलब्ध है। परिचय : इस स्थान के प्राचीन नाम तारापुर, तारणपुर तथा तुंगियापत्तन आदि थे। नगर कुक्षी में श्री पार्श्वनाथ भगवान का श्वेताम्बर मन्दिर है जहाँ गोड़ी पार्श्व प्रभु की प्रतिमा को प्रतिष्ठित करवाया था । यह प्रतिमा एक बावड़ी में से निर्वाण सं. 2397 विक्रम संवत् 1928 में चमत्कारिक घटनाओं के साथ प्रकट हुई थी । यह क्षेत्र अति प्राचीन है । यहाँ अनेकों प्राचीन बावड़ियाँ हैं और विशाल तालाब हैं। वर्तमान में इसके अतिरिक्त निकट ही एक दिगम्बर मन्दिर है । यह एक प्राचीन व ऐतिहासिक स्थान होने के कारण यहाँ पर अनेकों सुन्दर कलात्मक अवशेष मन्दिरों में से व गाँव के आस-पास जंगल में नजर आते हैं। ठहरने की व्यवस्था : मन्दिर के निकट श्वेताम्बर व दिगम्बर धर्मशालाएँ हैं । मूलनायक : श्री सुपार्श्वनाथ भगवान, पद्मासनस्थ । मार्गदर्शन : मुम्बई आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर गुजारी से 19 और इन्दौर से 95 कि.मी. दूर माण्डु स्थित है। निकटतम रेल्वे स्टेशन मऊ (66 कि.मी.) तथा इन्दौर हैं। दोनों स्थानों से माण्डु लिए नियमित बस सेवाएँ हैं। रतलाम यहाँ से 105 कि.मी. दूर है। माण्डु से प्रात: 5.30 बजे भोपाल के लिए, प्रातः 7.15 एवं 11.30 व सायं 5 बजे इन्दौर के लिए, 3 बजे उज्जैन तथा धार के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध है। यहाँ से धार (35 कि.मी.) होकर अहमदाबाद एवं बड़ौदा के लिए भी बस सेवा है। भोपाल से माण्डु 285 कि.मी. दूर है। यहाँ आटो रिक्शा आदि सवारी साधन उपलब्ध I परिचय : वीर वंशावली के अनुसार श्री संग्राम सोनी ने मक्षी में श्री पार्श्वनाथ भगवान के मन्दिर की प्रतिष्ठापना करवायी। संभवतः विक्रम संवत् 1472 में यह तीर्थ पुनः सुसंपादित हुआ है। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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