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पश्चिम बंगाल एवं उड़ीसा श्री कठगोला तीर्थ
पेढ़ी: श्री आदिनाथ भगवान जैन मन्दिर कठगोला, डाकघर नसीमपुर, राजबाटि-342 160 जिला मुर्शीदाबाद (पश्चिम बंगाल)
जैन तीर्थ परिचायिका मूलनायक : श्री आदीश्वर भगवान, पद्मासनस्थ। मार्गदर्शन : यह तीर्थ जियागंज स्टेशन से लगभग 3 कि. मी. दूर बरहमपुर मार्ग पर नसीमपुर
में सुन्दर बगीचे के मध्य स्थित है। मन्दिर तक कार व बस जा सकती है। अजीमगंज यहाँ
से 4 कि.मी. दूर है। परिचय : वि. सं. 1933 में बाबू लक्ष्मीपतसिंह ने अपनी मातुश्री महेताब कुंवर से प्रेरणा पाकर
विशाल उद्यान के बीच इस भव्य मन्दिर का निर्माण करवाया था। इस दो मील विस्तार वाले मनोरम उद्यान में हर वस्तु की निर्माण शैली अत्यन्त सुन्दर व दर्शनीय है। सुन्दर सरोवर के सन्मुख स्थित इस मन्दिर में विभिन्न प्रकार की कलात्मक चीजें नजर आती हैं। पाषाण में निर्मित कला का यह अद्वितीय नमूना है। संगमरमर से बना यह नक्काशीदार मंदिर अपनी अदभुत विशिष्टता के लिए प्रसिद्ध है।
ठहरने की व्यवस्था : जियागंज धर्मशाला में ठहरकर यहाँ दर्शनार्थ आना ही सुविधाजनक
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श्री महिमापुर तीर्थ
पेढ़ी : श्री जगतसेठ जाड़ी, जिला मुर्शीदाबाद (पश्चिम बंगाल)
मूलनायक : श्री पार्श्वनाथ भगवान, पद्मासनस्थ। मार्गदर्शन : यह तीर्थ जियागंज स्टेशन से 4 कि.मी. दूर महिमापुर में स्थित है। मन्दिर तक कार
व बस जा सकती है। परिचय : जगतसेठ ने विदेशी कसौटी के पाषाण से भव्य मन्दिर का निर्माण गंगा नदी के किनारे
करवाया था। नदी में बाढ़ आ जाने के कारण मन्दिर को स्थानान्तर किया गया व उन्हीं पाषाणों से वि. सं. 1975 में उनके वंशज श्री सौभाग्यमलजी द्वारा मन्दिर का निर्माण करवाकर वही प्राचीन प्रतिमा इस मन्दिर में पुनः प्रतिष्ठित करवाई गई। बंगाल की पंचतीर्थी का यह भी एक मुख्य स्थान है। महिमापुर में नवाब मुर्शिदकुली की पुत्री आजिम उन्नीमा
की समाधि है। ठहरने की व्यवस्था : जियागंज धर्मशाला में ठहरकर यहाँ दर्शनार्थ आना ही सुविधाजनक
उपरोक्त चारों तीर्थ एक दूसरे के निकट ही हैं एक दूसरे से 4-4 कि.मी. के अंतराल पर स्थित
इन तीर्थों पर आने के लिए बहरमपुर उतरकर वहाँ से टैक्सी आदि लेकर आना ही सुविधाजनक होता है। बहरमपुर, मुर्शीदाबाद नवाब मुर्शीदकुली के काल की नगरी होने के कारण पर्यटन की दृष्टि से भी दर्शनीय है। बहरमपुर में अनेकों होटल, बाजार आदि हैं। मुर्शीदाबाद रेल्वे स्टेशन से लगभग 2.5 कि.मी. दूर हजार दुआरी है। जिसमें 114 कमरे तथा 1000 दरवाजे हैं। यह अत्यन्त भव्य एवं कलात्मक है। हजारदुआरी से 1 कि.मी. उत्तर में जगत सेठ की कोठी से सटी हुई सड़क काठगोला तीर्थ तक गयी है। मुर्शीदाबाद में जयकाली मन्दिर (नूतन बाजार में) तथा बूड़ो शिव मन्दिर भी देखने योग्य है। मुर्शीदाबाद के सिल्क वस्त्र, हाथी दांत की बनी वस्तुएँ अत्यन्त प्रसिद्ध हैं।
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