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________________ उत्तर प्रदेश जिला वाराणसी श्री चन्द्रपुरी तीर्थ पेढ़ी : श्री चन्द्रपुरी जैन तीर्थ (दिगम्बर जैन मन्दिर) श्री चन्द्रपुरी जैन तीर्थ (श्री श्वेताम्बर तीर्थ सोसाइटी) मु.पो. चन्द्रावती, जिला वाराणसी फोन : 0542-615331 जैन तीर्थ परिचायिका मूलनायक : श्री चन्द्र प्रभु भगवान। मार्गदर्शन : यह तीर्थ वाराणसी से 23 कि.मी. दूर है। वाराणसी स्टेशन से यहाँ आने के लिए बस, टैक्सी, ऑटो आदि सभी साधन उपलब्ध हैं। यहाँ दिन भर बसों का आवागमन रहता है। मन्दिर पर जीप उपलब्ध है। कादीपुर व राजवीरा रेल्वे स्टेशन यहाँ से 4 कि.मी. दूरी पर है। वाराणसी रेल्वे, सड़क एवं वायुमार्ग द्वारा देश के सभी प्रमुख नगरों से सम्पर्क में है। यह तीर्थ वाराणसी-गाजीपुर मार्ग पर सड़क के दाहिनी ओर स्थित है। परिचय : यह स्थल चन्द्रप्रभु की जन्मस्थली है। आठवें तीर्थंकर श्री चन्द्रप्रभु के चार कल्याण-च्यवन, जन्म, दीक्षा व केवलज्ञान होने के कारण इस तीर्थ का कण-कण वन्दनीय है। गंगा तट पर बसे दिगम्बर और श्वेताम्बर मन्दिर दोनों आस-पास हैं। दोनों के व्यवस्थापक एक ही हैं। गंगा के किनारे स्थित इस पावन स्थली का प्राकृतिक सौन्दर्य अत्यंत मनोरम है। दिगम्बर मन्दिर में पूजा का समय प्रातः 6 बजे; तथा श्वेताम्बर मन्दिर में पूजा का समय प्रात: 8 बजे व सायं 8 बजे है। ठहरने की व्यवस्था : यहाँ दिगम्बर एवं श्वेताम्बर दो धर्मशालाएँ हैं। 15 कमरें हैं। निकट ही होटल व बाजार भी हैं। भोजनशाला की व्यवस्था नहीं है। श्री सिंहपुरी तीर्थ पेढ़ी: श्री चिन्तामणि पाश्वनाथ जैन श्वेताम्बर पंचायती बड़ा मन्दिर एवं सिंहपुरी तीर्थ महासभा के-24/5, रामघाट, वाराणसी-1 फोन : 0542-585017 (सिंहपरी तीर्थ) 321346 (रामघाट हेड ऑफिस) मूलनायक : श्री श्रेयांसनाथ भगवान, पद्मासनस्थ। मार्गदर्शन : यह तीर्थ वाराणसी छावनी स्टेशन से 7 कि.मी. है, जहाँ से बस, टैक्सी, ऑटो व ताँगों की सुविधा है। सारनाथ चौराहे के पास ही दिगम्बर मन्दिर है। श्वेताम्बर मन्दिर सारनाथ से 1 कि.मी. दूर हीरावणपुर गांव में है। चंद्रावती तीर्थ यहाँ से 15 कि.मी. भेलपर तीर्थ 9 कि.मी. तथा भदोनी तीर्थ 11 कि.मी. है। परिचय : इस क्षेत्र का इतिहास वर्तमान चौबीसी के ग्याहरवें तीर्थंकर श्री श्रेयांसनाथ भगवान के समय से प्रारम्भ होता है। यहाँ पर 103 फुट उत्तुंग प्राचीन कलात्मक अष्टकोण स्तूप हैं, जो लगभग 2200 वर्ष प्राचीन माना जाता है। श्री श्रेयांसनाथ भगवान के च्यवन, जन्म, दीक्षा व केवलज्ञान कल्याणक होने का सौभाग्य इस पावन भूमि के प्राप्त हआ है। यहाँ के प्राचीन विशाल स्तूप की विचित्र कला वर्णातीत है। ठहरने की व्यवस्था : ठहरने के लिए मन्दिरों के पास ही श्वेताम्बर व दिगम्बर धर्मशालाएँ हैं. जहाँ सभी सुविधाएँ हैं। श्वेताम्बर धर्मशाला में 1 बड़ा हॉल, 1 छोटा हॉल व 9 कमरे व 2 किचिन रूप है। निकटतम बाजार सारनाथ यहाँ से 1 कि.मी. दूर है। जहाँ गेस्ट हाउस भी उपलब्ध है। भाता व चाय की व्यवस्था उपलब्ध है। फिलहाल भोजनशाला नहीं है। पूर्व सूचना देने पर पूर्ण व्यवस्था हो जाती है। श्री भदैनी तीर्थ पेढी : 1. श्री सुपार्श्वनाथ भगवान जैन श्वेताम्बर मन्दिर मूलनायक : 1. श्री सुपार्श्वनाथ भगवान, पद्मासनस्थ। मार्गदर्शन : यह तीर्थ भेलूपुर तीर्थ (वाराणसी) से 1.5 कि.मी. दूर गंगा नदी तट पर जैन घाट पर है। यह स्टेशन से लगभग 4 कि.मी. दूर है, जहाँ से टैक्सी, ऑटो रिक्शा व ताँगों की सुविधा है मन्दिर से लगभग आधा फलाँग दूर तक कार व बस जा सकती है। परिचय : यह स्थल वाराणसी का एक अंग है। वर्तमान चौबीसी के सातवें तीर्थंकर श्री सुपार्श्वनाथ भगवान के च्यवन, जन्म, दीक्षा व केवलज्ञान कल्याण होने का सौभाग्य इस पावन भूमि को प्राप्त हुआ है। गंगा नदी के तट पर इन मंदिरों का दृश्य अति ही शोभायमान लगता है। शांत वातावरण में कल-कल बहती हुई नदी भी अपनी मन्द मधुर आवाज से मानों प्रभु का नाम निरंतर स्मरण कर रही हो-ऐसा प्रतीत होता है। ठहरने की व्यवस्था : ठहरने के लिए यहाँ श्वेताम्बर व दिगम्बर धर्मशालाएँ हैं। 2. श्री सुपार्श्वनाथ भगवान जैन दिगम्बर मन्दिर भदैनी घाट, वाराणसी Jaiff Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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