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________________ उत्तर प्रदेश जैन तीर्थ परिचायिका परिचय : यह तीर्थ-क्षेत्र सातवें तीर्थंकर श्री सुपार्श्वनाथ भगवान के समय का माना जाता है। धर्मरुचि व धर्मघोष नामक दो मुनि की कठोर तपस्या से प्रभावित होकर देवी कुबेरा ने वरदान माँगने के लिये अरदास की। मुनियों की किसी प्रकार की आकांक्षा न होने के कारण देवी ने स्वतः ही एक स्तूप का निर्माण किया तथा उसके चारों दिशाओं में मूर्तियाँ विराजमान की जिनमें मूलनायक प्रतिमा श्री सुपार्श्वनाथ भगवान की थी। चौरासी में यही एक मन्दिर है। मथुरा में चार दिगम्बर व एक श्वेताम्बर मन्दिर हैं। यहाँ प्राचीन जैन कला का विपुल भन्डार है। सिद्ध क्षेत्र चौरासी मथुरा में पूजा का समय प्रातः 6.30 से 7.30 बजे तक है। घीयामण्डी में श्री सुपार्श्वनाथ भगवान जैन श्वेताम्बर मन्दिर स्थित है। जहाँ अन्तिम केवली मुनि जम्बूस्वामी के चरण विद्यमान हैं। यह चरण अत्यंत प्राचीन हैं। इसकी व्यवस्था आगरा श्वे. जैन पेढ़ी द्वारा की जा रही है। ठहरने की व्यवस्था : ठहरने के लिए विशाल सुन्दर धर्मशाला है। वृन्दावन में इस्कॉन द्वारा श्रीकृष्ण-बलराम का मन्दिर बनवाया है वह देखने योग्य है। मथुरा से वृन्दावन आते समय मार्ग में 5 कि.मी. दूरी पर गीता मन्दिर भी दर्शनीय है। वृन्दावन का गोविन्द देव जी का पुराना मन्दिर, रंगनाथ जी का मन्दिर, कालिया मर्दन मन्दिर, गोपीनाथ जी का मन्दिर, मीराबाई का मन्दिर, काँच का मन्दिर देखे जा सकते हैं। सिद्ध क्षेत्र चौरासी में 21 डीलक्स रूम, 2 हॉल तथा 11 साधारण कमरे एवं मंदिर प्रांगण में ही 3 छोटी धर्मशालाएँ भी हैं। भोजनशाला की व्यवस्था है। निकट में होटल आदि भी हैं। मूलनायक : श्री शान्तिनाथ प्रभु। जिला मेरठ मार्गदर्शन : यह स्थल मेरठ से 36 कि.मी., दिल्ली से 110 कि.मी., मुजफ्फर नगर से 65 कि.मी. दूर है। निकटतम रेल्वे स्टेशन मेरठ है। जहाँ से बस, टैक्सी सभी सुविधाएँ हस्तिनापुर ताथ उपलब्ध है। मेरठ से दिल्ली, आगरा के लिए प्रत्येक घन्टे बस सेवा उपलब्ध है। मेरठ के । भैंसाली रोडवेज बस अड्डे से प्रत्येक घन्टे बस हस्तिनापुर क्षेत्र के लिए प्रात: 7 बजे से रात्रि पेढ़ी : 8.30 बजे तक जाती है। क्षेत्र से प्रातः 5.15 बजे से आधे-आधे घन्टे के अंतराल से मेरठ व 1. श्री दिगम्बर जैन तीर्थ दिल्ली की बसें उपलब्ध रहती हैं। यहाँ से श्री तिजारा के लिए प्रात: 6.15 बजे बस जाती है। क्षेत्र कमेटी परिचय : पावन तीर्थ श्री हस्तिनापुर का धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व है। आदि तीर्थंकर प्रभु हस्तिनापुर, आदिनाथ जी के वर्षीतप पारणे का यह मूल स्थल है। यहाँ प्रभु ने श्रेयांसकुमार के हाथों से जिला मेरठ-250 404 इक्षुरस ग्रहण कर 400 दिवसीय महान तप का पारणा किया था। श्री शान्तिनाथ, श्री कुन्थुनाथ, (उ. प्र.) श्री अरनाथ प्रभु के च्यवन, जन्म, दीक्षा व केवलज्ञान, कुल 12 कल्याणकों की यह पावन । फोन : 01233-80133 भूमि है। भगवान मल्लीनाथ के समवसरण की पुण्य स्थली भी यहीं है। मुनि सुव्रत स्वामी, श्रीमान भगवान पार्श्वनाथ एवं महावीर स्वामी द्वारा देशना यहीं दी गयी थी। यहाँ पूजा का समय सायं 5 श्वेताम्बर तीर्थ समिति बजे तक है। प्रातः 8 बजे प्रक्षाल होता है। निकट ही स्थित दिगम्बर मन्दिर में पूजा का समय हस्तिनापुर, प्रातः 7 बजे है। यहाँ क्षेत्र पर ऐतिहासिक कैलाश पर्वत रचना का कार्य निर्माणाधीन है। 131 जिला मेरठ-250 404 फुट ऊँचे पर्वत पर 21 फुट ऊँची भगवान आदिनाथ की खड़गासन की मनोहारी प्रतिमा 57 (उ.प्र.) फुट ऊँचे शिखर वाले मन्दिर में स्थापित की जाएगी। मन्दिर के निकट जम्बू द्वीप, शांतिनाथ जी, कुन्थुनाथ जी, अरहनाथ जी के तप के चरण चिह्न भी अत्यन्त दर्शनीय हैं। फोन : 01233-80140 ठहरने की व्यवस्था : श्वेताम्बर तीर्थ समिति की धर्मशालाओं में 400 कमरों की व्यवस्था है। प्रात: नाश्ता/भाता एवं दोपहर एवं सायं भोजन की व्यवस्था है। निकट ही रेस्टोरेन्ट एवं बाजार भी हैं। दिगम्बर क्षेत्र कमेटी के अन्तर्गत पूर्ण सुविधायुक्त 100 डीलक्स व 300 सामान्य रूम उपलब्ध हैं। एक 38 डीलक्स फ्लैटों की धर्मशाला का कार्य निर्माणाधीन है जो शीघ्र ही पूर्ण होगा। क्षेत्र पर भोजन व्यवस्था उपलब्ध है। निकट ही जैन भोजनालय एवं रेस्टोरेंट है। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibr 219
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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