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________________ उत्तर प्रदेश प्रभासगिरि पेढ़ी : श्री पद्म प्रभु दिगम्बर जैन अतिशय तीर्थ क्षेत्र प्रभासगिरि (पभौषा) डाकघर गोराजू, जिला कौशाम्बी (इलाहाबाद) उ.प्र. फोन : 05331-911 66144 इलाहाबाद अध्यक्ष : डॉ. प्रेमचन्द्र जी जैन 37, चाह चन्द जीरो रोड इलाहाबाद फोन : (0532) 400044; 400045 जैन तीर्थ परिचायिका मूलनायक : श्री पद्मप्रभुजी।। मार्गदर्शन : इलाहाबाद-कानपुर राष्ट्रीय मार्ग नं. 2 पर इलाहाबाद से मंदरी मोड़ होकर । 65 कि.मी., भरवारी से 30 कि.मी., सिराथू (सैनी) से 40 कि.मी. दूरी पर यह तीर्थ है। 3 कि.मी. दूरी पर गोराजू तक इलाहाबाद से प्रत्येक घन्टे बस सेवा है। गोराजू से तीर्थ तक आने का साधन रिक्शा-ट्राली उपलब्ध है। जो यात्रियों को लाने-ले जाने का कार्य करती है। इलाहाबाद से एक रोडवेज बस सायं 5 बजे सीधी तीर्थ के लिए आती है और प्रात: वापस जाती है। गोराजू से पक्की डामर की सड़क है। इलाहाबाद नेहरू पार्क कौशाम्बी प्राइवेट बस स्टैण्ड से दिन भर बसें गोराजू गाँव मोड़ तक आती जाती रहती हैं। परिचय : प्रभासगिरी तीर्थ पूर्व में पभौषा के नाम से जाना जाता रहा है। छठवें तीर्थंकर भगवान पद्म प्रभु ने कौशाम्बी के समीप स्थित 'मनोहर' उद्यान (श्री प्रभासगिरि) में दीक्षा ली। छः माह पश्चात घोर तप कर यहीं पर उन्हें केवलज्ञान की प्राप्ति हुई। यह स्थली प्रभु की दीक्षा व केवलज्ञान कल्याणक स्थल होने के कारण यहाँ का कण-कण पवित्र है। वर्तमान में यहाँ 4 जिन मन्दिर हैं-दो तलहटी में और दो पहाड़ी पर । तलहटी पर एक प्राचीन जैन मन्दिर है जो धर्मशाला के ही एक कमरे में है। इसमें भूगर्भ से निकली कुछ प्राचीन जैन प्रतिमाएँ भी हैं। दसरा मन्दिर तीन शिखर और तीन वेदियों वाला नव निर्मित मन्दिर है। मध्य वेदी में भगवान पद्म प्रभु की गुलाबी वर्ण की विशाल पद्मासनस्थ मूर्ति स्थापित है। शेष दोनों वेदियों में भगवान चन्द्र प्रभु व शान्तिनाथ जी की मूर्तियाँ हैं। धर्मशाला के बाहर कुछ ही दूरी पर 184 सीढ़ियाँ चढ़कर पहाड़ी पर स्थित तीसरे मन्दिर में पहुँचा जाता है। इसी मन्दिर में मूलनायक भ. पद्म प्रभु की अतिशय युक्त पद्मनस्थ प्रतिमा है। कुछ सीढ़ियाँ चढ़कर पहाडी के शिखर पर भगवान की तपस्थली एवं ज्ञानस्थली के दर्शन होते हैं। इन स्थानों पर चरण स्थापित हैं। इस स्थान से पहाड़ी के नीचे बहती हुई यमुना अपनी ओर आकर्षित करती है। यह पहाड़ी गंगा और यमुना के मध्य द्वाबा में अवस्थित है। तीसरे मन्दिर से उतरते समय बाईं ओर चौथा मन्दिर पड़ता है जिसमें एक चतुर्मुखी प्रतिमा व अन्य प्रतिमाएँ हैं। पूजा का समय प्रात : 6 बजे से 9 बजे तक का है। ठहरने की व्यवस्था : क्षेत्र पर आधुनिक सुविधाओं युक्त पचास कमरों की धर्मशाला है। अतिथि गृह एवं बड़ा हॉल है जिसमें 300-400 यात्रियों के विश्राम की व्यवस्था हो सकती है। वर्तमान में भोजनशाला नहीं है परन्तु यात्रियों के आदेशानुसार पुजारी द्वारा भोजन उपलब्ध करा दिया जाता है। जिला मथुरा श्री मथुरा तीर्थ पेढ़ी : अंतिम केवली श्री 1008 जम्बूस्वामी दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र, चौरासी मथुरा (उ. प्र.) फोन : 0565-420983 मूलनायक : भगवान श्री महावीर के द्वितीय पट्टधर अन्तिम केवली श्री जम्बू स्वामी जी; ___ चरणपादुकाएँ। श्री 1008 भगवान अजितनाथ जी। मार्गदर्शन : यह तीर्थ मथुरा स्टेशन से लगभग 4 कि.मी. दूर चौरासी में स्थित है, स्टेशन से बस, टैक्सी व ताँगा की सुविधा है। बस व कार मन्दिर तक जा सकती हैं। आगरा- दिल्ली मुख्य मार्ग पर आगरा से 50 कि.मी. दूरी पर मुख्य मार्ग से 1 कि.मी. अंदर ही यह तीर्थ है। श्रीकृष्ण जन्मस्थली होने के कारण यहाँ उत्तर भारत के अधिकांश क्षेत्रों से बस सेवा उपलब्ध है। भरतपुर से मथुरा 34 कि.मी. दूर है। भरतपुर से मथुरा दर्शन करते हुए भी आगरा जाया जा सकता है। दिल्ली यहाँ से लगभग 150 कि.मी. दूर पड़ता है। आगरा एवं दिल्ली से मथुरा के लिए लगभग प्रत्येक घंटे ट्रेन सुविधा उपलब्ध है। मुम्बई से दिल्ली आने वाली ट्रेनों का मथुरा ठहराव है। Jal fedulation International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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