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पेढ़ी:
जैन तीर्थ परिचायिका
उत्तर प्रदेश मलनायक: श्री पार्श्वनाथ भगवान, पद्मासनस्थ।
श्री भेलूपुर तीर्थ मार्गदर्शन : यह तीर्थ वाराणसी स्टेशन से 3 कि.मी. दूर भेलूपुर में स्थित है। मन्दिर तक कार
व बस जा सकती है। स्टेशन पर यातायात के सभी साधन उपलब्ध हैं। परिचय : यहाँ का इतिहास युगादिदेव श्री आदिनाथ भगवान के समय से प्रारम्भ हो जाता है।
1. श्री जैन श्वेताम्बर तीर्थ प्रकट प्रभावी, साक्षात्प्रभावी भक्तों के संकट हरनार तेईसवें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ भगवान के
सोसायटी, भेलुपुर चार कल्याणक च्यवन, जन्म, दीक्षा व केवलज्ञान से यह भमि पावन बनी है। इन मन्दिरों 2. श्री दिगम्बर जैन के अतिरिक्त 12 श्वेताम्बर व 11 दिगम्बर मन्दिर हैं। यहाँ राजघाट व अन्य स्थानों पर खुदाई पार्श्वनाथ मन्दिर, के समय जो पुरातत्व सामग्री प्राप्त हुई हैं वह स्थानीय कलाभवन में सुरक्षित हैं। इनमें पाषाण भेलुपुर, वाराणसी व धातु की अनेक कलात्मक प्राचीन जैन प्रतिमाएँ भी हैं।
(उ. प्र.)
फोन : 0542-313407 ठहरने की व्यवस्था : मन्दिर के निकट ही श्वेताम्बर व दिगम्बर धर्मशालाएँ हैं। श्वेताम्बर
धर्मशाला में भोजनशाला की भी व्यवस्था है। दर्शनीय स्थल (वाराणसी): दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग पर वाराणसी स्थित है। तथा देश के सभी
प्रमुख नगरों से रेल, वायु व सड़क मार्ग द्वारा सम्पर्क में है। यहाँ से कोलकाता 680 कि.मी., इलाहाबाद 125 कि.मी., अयोध्या 200 कि.मी., आगरा 577 कि.मी., दिल्ली 780 कि.मी.
दूरी पर स्थित हैं। श्री श्वेताम्बर पंचायती बड़ा मन्दिर (फोन : 321346)
यह मन्दिर वाराणसी स्टेशन से लगभग 3 कि.मी. दूर नगर के मध्य चौक में गंगा के किनारे स्थित है। इसकी कला अत्यंत दर्शनीय है। प्रभु पार्श्वनाथ का उपदेश स्थल होने के कारण यह स्थान अत्यंत पवित्र माना जाता है। मन्दिर में विशाल वर्तमान चौबीसी जी हैं। भूत, वर्तमान और भविष्य चौबीसी तथा बीस बिरहमान और शाश्वता तीर्थंकरी का संगमरमर का पट्टा एवं कुल 96 तीर्थंकरों की प्रतिमाएं यहां हैं। ऐसी भव्य प्रतिमाएँ अत्यंत दुर्लभ हैं। यहां उपाश्रय और शास्त्रों का विशाल भंडार भी है। मन्दिर के निकट ही आठ और श्वेताम्बर मन्दिर हैं। निकट ही ठठेरी बाजार है।
गंगा के तट पर बसी पवित्र तीर्थ नगरी वाराणसी अत्यन्त प्राचीन नगरी है। इसका प्राचीन नाम काशी था। यहाँ का विश्वनाथ मन्दिर हिन्दुओं की अनन्य आस्था का प्रतीक है। यहाँ दिन भर पूजा अर्चना चलती रहती है। सायंकालीन आरती अपनी ही भव्यता लिए होती है। वाराणसी नगरी मन्दिरों की नगरी है। हर गली हर राह पर यहाँ मन्दिर ही मन्दिर हैं। वाराणसी से 8 कि.मी दूरी पर बौद्ध धर्म के स्तूप की नगरी सारनाथ है। भगवान बुद्ध ने यहीं से अपने धर्म का प्रचार प्रारम्भ किया था। यहाँ धामेक स्तूप तथा उसके निकट ही निर्मित जैन मन्दिर भी अत्यन्त दर्शनीय है। सारनाथ में ही सम्राट अशोक द्वारा निर्मित प्रसिद्ध अशोक स्तम्भ है। जिसके चार सिंह वाली मूर्ति एवं चक्र आज राष्ट्रीय चिह्न बने हैं। यहाँ धर्मराजिक स्तूप भी अवलोकनीय है। वाराणसी से 17 कि.मी. दूर राम नगर में स्थित राजमहल भी देखने योग्य है। मार्ग में व्यास देव के मन्दिर हैं। वाराणसी उत्तर प्रदेश की एक प्रमुख नगरी होने के कारण यहाँ होटल, धर्मशालाएं एवं गेस्ट हाऊस बहुतायत में हैं। यहाँ की बनारसी साड़ियाँ विश्व में प्रसिद्ध हैं। यहाँ का बनारसी पान व ठंडाई की अलग ही पहचान है।
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