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उत्तर प्रदेश
जिला हरिद्वार हरिद्वार
पेढ़ी: श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर मन्दिर भूपतवाला, ऋषिकेश मार्ग, हरिद्वार-249 410 (उत्तरांचल) फोन : 0133-425263,
423773 सम्पर्क सूत्र-दिल्ली: श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर मन्दिर न्यास सी/- मोतीलाल बनारसीदास 40-41 यू. ए. बगलो रोड, दिल्ली-7 फोन : 3911985, 3918335
जैन तीर्थ परिचायिका मूलनायक : चिन्तामणि पार्श्वनाथ। मार्गदर्शन : दिल्ली से हरिद्वार सड़क व रेल मार्ग द्वारा सीधे जुड़ा हुआ है। नई दिल्ली तथा
पुरानी दिल्ली दोनों स्टेशनों से रेल सेवा उपलब्ध है। सड़क मार्ग से दिल्ली से हरिद्वार की दूरी 200 कि.मी. है तथा लगभग 5 घंटे में पहुँचा जा सकता है। प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल देहरादून हरिद्वार से केवल 55 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। हरिद्वार प्रमुख हिन्दू तीर्थ होने के कारण यहाँ सभी प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। गंगा के किनारे बसा यह प्राचीन नगर उत्तर भारत के सभी प्रमुख क्षेत्रों से सड़क व रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। हरिद्वार स्टेशन पर टैक्सी
आदि की सुविधा भी उपलब्ध है। परिचय : नवीन तीर्थों में हरिद्वार का चिन्तामणि पार्श्वनाथ तीर्थ अपने कलात्मक सौन्दर्य और
भव्यता के लिए ख्याति प्राप्त करता जा रहा है। जैसलमेर के पीले पाषाण से निर्मित भव्य दो मंजिला जिनालय का सौन्दर्य दर्शनीय है। मख्य तल पर मलनायक श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ की भव्य प्रतिमा विराजमान है, उसी रंगमंडप में श्री शान्तिनाथ भगवान एवं नेमिनाथ भगवान की प्रतिमाएँ हैं। कौली मण्डप में पार्श्व पद्मावती एवं पार्श्व यक्ष प्रतिष्ठित हैं। भूतल पर भगवान आदिनाथ की सुन्दर प्रतिमा विराजमान है। अभी भी जिनालय में शिल्प व श्रृंगार का कार्य अनवरत चल रहा है। मंदिर के पार्श्व में आदिनाथ भगवान के चरण पगले रायण वृक्ष के नीचे सुशोभित हैं। वर्तमान में लुप्त अष्टापद जी तीर्थ की तलहटी स्वरूप
ये चरण पगले पूजनीय हैं। ठहरने की व्यवस्था : धर्मशाला में ठहरने एवं भोजनशाला की उत्तम व्यवस्था है। नवनिर्मित
धर्मशाला के सम्पूर्ण होने पर यहाँ 1000 से 1500 यात्री ठहर सकते हैं। दर्शनीय स्थल : मनसा देवी का मन्दिर जिस पर रोप वे द्वारा भी जाया जा सकता है यहाँ का
दर्शनीय मन्दिर है। घाटी का सुरम्य दृश्य यहाँ से परिलक्षित होता है। गंगा घाट-हर की पौड़ी देखकर मन आनन्दित हो उठता है। हरिहर आश्रम में शिवलिंग एवं रुद्राक्ष वृक्ष भी दर्शन योग्य हैं। 5 कि.मी. दूर कनखल देखने योग्य स्थान है।
जिला झाँसी मूलनायक : श्री शान्तिनाथ भगवान, कायोत्सर्ग मुद्रा में। श्री देवगढ़ तीर्थ
मार्गदर्शन : यह तीर्थ ललितपुर स्टेशन से 31 कि.मी. दूर पहाड़ी पर स्थित है। ललितपुर से
बस, टैक्सी की सुविधा है। यहाँ कार व बस ऊपर पहाड़ तक जा सकती हैं। पहाड़ पर पेढ़ी :
घना जंगल है। झाँसी से देवगढ़ 106 कि.मी. दूर है। श्री देवगढ़ क्षेत्र दिगम्बर
परिचय : यह तीर्थ क्षेत्र प्राचीन तो है ही, मुख्यतः इसकी विशेषता विभिन्न शैली की प्राचीन मूर्ति जैन प्रबन्ध समिति, देवगढ़ . डाकघर जाखलोन,
कला है। जिन प्रतिमाओं, यक्ष यक्षिणियों, मण्डपों, स्तम्भों, शिलापट्टों में उत्कीर्ण भारतीय तहसील ललितपुर
शिल्पकला का उत्कृष्ट नमूना यहाँ प्रस्तुत है। पहाड़ पर कर्नाली दुर्ग में 31 बड़े मन्दिर हैं जिला झाँसी (उत्तर प्रदेश)
जिनमें विशिष्ट कला के नमूने नजर आते हैं। इस मन्दिर में एक ज्ञानशिलालेख है, जो 18 लिपियों में उत्कीर्ण हैं। इस मन्दिर के अतिरिक्त पहाड़ पर छोटे-बड़े कुल 39 मन्दिर हैं। यहाँ की मूर्ति कला के दर्शन अन्यत्र दुर्लभ हैं। हजारों प्रतिमाएँ विभिन्न शैली में निर्मित हैं। देवगढ़ से 13 कि.मी. दूर दशावतार मन्दिर भी दर्शनीय है। देवगढ़ में उत्तर प्रदेश टुरिज्म विभाग का टूरिस्ट बंग्लो उपलब्ध है।
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