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________________ जैन तीर्थ परिचायिका मूलनायक : श्री चन्द्रप्रभु स्वामी। मार्गदर्शन : यह मंदिर साहुकारपेठ में मिन्ट स्ट्रीट, चेन्नई में स्थित है। परिचय : श्री चन्द्रप्रभु स्वामी की मूलनायक के रूप में संवत् 1982 मि. जेठ सुदि 13 को इस मंदिरजी में प्रतिष्ठा हुई थी। द्वितीय मंजिल पर श्री पार्श्वनाथ प्रभु को सं. 1985 में विराजमान किया गया था। संघ ने यहाँ शिखरबद्ध जिनालय बनाने का निर्णय लिया एवं एक भव्य कलात्मक देव विमान तुल्य अति ही रमणीय मंदिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ किया गया। इस नये मंदिर की अंजनशलाका प्रतिष्ठा प. पू. आचार्य श्रीमद् विजयकलापूर्णसूरीश्वरजी म. सा. की शुभ निश्रा में सं. 2050 मिति माघ शुक्ला तेरस, दि. 24.2.1994 के शुभ दिन सम्पन्न हुई। इस मंदिरजी के मूलनायक श्री चन्द्रप्रभुस्वामी श्वेत वर्णीय 51 इंच के पद्मासनस्थ अवस्था में है। मूलनायक भगवान के साथ ही शांतिनाथ भगवान एवं आदिनाथ भगवान महावीरस्वामी एवं पार्श्वनाथ भगवान विराजमान हैं। मूल गम्भारे के बाहर श्री मुनिसुव्रत स्वामी एवं वासुपूज्य स्वामी तथा श्री मल्लीनाथ एवं श्री सीमंधरस्वामी विराजमान हैं। रंगमण्डप में ज्वालादेवी एवं श्री पद्मावतीदेवी, श्री विजययक्ष एवं श्री मणिभद्रवीर विराजमान है। प्रथम मंजिल पर मूलनायक स्वरूप श्वेतवर्णीय श्री चन्द्रप्रभ स्वामी, श्री अजितनाथजी, श्री चन्द्रप्रभुस्वामी तथा महावीरस्वामी, श्री सुपार्श्वनाथजी, श्री नेमिनाथजी, विराजमान है। गम्भारे के बाहर श्री शीतलनाथजी एवं श्री गौतमस्वामी जी, श्री नेमनाथजी एवं श्री सुधर्मास्वामीजी विराजमान हैं। दूसरे मंजिल पर श्वेतवर्णीय श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान, श्री जीरावला पार्श्वनाथ एवं श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ, श्री गोडी पार्श्वनाथ एवं श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ विराजमान | तमिलनाडु श्री चन्द्रप्रभु जैन नया मन्दिर ही श्री चन्द्रप्रभ जैन नया मंदिरजी ट्रस्ट 142, मिन्ट स्ट्रीट, साहुकारपेठ, चेन्नई 79 फोन : 582628 सम्पर्क सूत्र : श्री जी. पुखराजजी जैन (अध्यक्ष) श्री गोकुलचन्दजी जैन (सेक्रेटरी) गम्भारे के बाहर श्री पार्श्वयक्ष एवं श्री पद्मावती देवी विराजमान हैं। इस मंदिर पेढ़ी से सम्बन्धित उपाश्रय श्री जैन आराधना भवन नं. 351, मिन्ट स्ट्रीट में बना हुआ है। इस भवन के चौथे मंजिल पर यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था है जिसमें 6 कमरे एवं एक हॉल है। महिलाओं का उपाश्रय मंदिरजी के बाजु में चन्द्रप्रभु स्वामी पेढ़ी के ऊपर है। एवं इसी संस्था के अर्न्तगत सुव्यवस्थित आयम्बिल खाता भी चालू है। धार्मिक पाठशाला श्री जैन तत्व ज्ञान केन्द्र में चलती है। _Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrar167
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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