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________________ तमिलनाडु चेन्नई (मद्रास) श्री पुड़ल तीर्थ (चेन्नई) पेढ़ी : श्री आदिनाथ जैन श्वेताम्बर मन्दिर (श्री पुड़लतीर्थ ) पोलाल, चेन्नई-67 फोन : 044-6418292 श्री चन्द्रप्रभुजी महाराज जैन जूना मन्दिर पेढ़ी : श्री चन्द्रप्रभु महाराज जैन जुना मन्दिर ट्रस्ट 345, मिन्ट स्ट्रीट, साहुकार पेठ, चेन्नई-79 फोन : 044-5387311 संपर्क सूत्र : श्री एस. मोहनचंद जी ढठा, अध्यक्ष श्री रिखबचंद समदड़िया, मंत्री 166 Jain Education International 2010_03 जैन तीर्थ परिचायिका ब्रिटिश काल में स्थापित यह नगर दक्षिण भारत का प्रवेश द्वार भी माना जाता है। देश के सभी प्रमुख स्थलों से वायु, रेल एवं सड़क मार्ग द्वारा यह महानगर सम्पर्क में है। शहर में हर प्रकार के यातायात के साधन उपलब्ध हैं। शहर के भ्रमण के लिए टूरिज्म विभाग द्वारा कण्डकटैड टूरों की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है। विश्व का विशालतम समुद्र तट यात्रियों के विशेष आकर्षण का केन्द्र है। इस समुद्र तट मैरिना पर भ्रमण मन को आनन्द विभोर कर देता है । शहर से 3 कि.मी. दूर मैरीना-कपालेश्वर मार्ग में पार्थसारथी मन्दिर अपनी सुन्दर कला के लिए प्रसिद्ध है। शहर से 30 कि.मी. दूर अन्ना जुलाजिकल पार्क भी अति दर्शनीय है। यहाँ लायन सफारी भी है। शहर में अनेकों जैन मन्दिर अत्यंत कलात्मक और दर्शनीय हैं। मूलनायक : श्री आदिश्वर भगवान । मार्गदर्शन : यह तीर्थ चेन्नई - कोलकाता मार्ग पर पुडल गांव में चेन्नई से लगभग 15 कि.मी. दूरी पर है। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में सभी प्रकार के साधन उपलब्ध हैं। देश के पांच महानगरों में एक चेन्नई है । देश के हर प्रान्त से यह रेलमार्ग, सड़कमार्ग एवं वायुमार्ग द्वारा संपर्क में है । परिचय : कहा जाता है यह तीर्थ 2500 वर्ष प्राचीन है। एक ही पाषाण से निर्मित इस प्रतिमा चामरधारी इन्द्र, अशोक वृक्ष, छत्र आदि होने से यह अति मनोरम लगती है। केशरियाजी तीर्थ की प्रतिमा के समान प्रभावी एवं सौम्य होने से इस तीर्थ को केशरवाड़ी भी कहते हैं । मन्दिर के ऊपरी खण्ड में श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ की गुलाबी प्रतिमा अत्यंत मनमोहक है। यहां पद्मावती देवी की प्रतिमा भी विराजमान है। निकट ही एक और भव्य मन्दिर का निर्माण चल रहा है । ठहरने की व्यवस्था : यात्रियों के ठहरने हेतु धर्मशाला उपलब्ध है। भोजनशाला व आयम्बिलशाला की भी व्यवस्था उपलब्ध है। मूलनायक : श्री चन्द्रप्रभु भगवान । मार्गदर्शन : चेन्नई महानगर में, साहुकार पेट क्षेत्र में बना, यह प्रथम जैन मन्दिर है । परिचय : मन्दिर की प्रतिष्ठा विक्रम सं 1972 मिनी माघ सुदी 13 को आचार्य श्री जिनसिद्ध सूरिजी की शुभ निश्रा में सम्पन्न हुई। मन्दिर के संस्थापक श्री सुखलाल जी समदड़िया/ श्री जतनलाल जी डागा, श्री लालचंद जी ढढा तथा श्री चम्पालाल जी सावनसुखा हैं। यहां श्री गोड़ी पार्श्वनाथ, श्री संभवनाथ जी एवं श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ प्रभु की श्वेतवर्णीय प्राचीन एवं चमत्कारिक प्रतिमाएं विराजित हैं। प्रथम मंजिल में विशाल श्री सिद्धाचल जी का पट एवं पेढ़ी है। एक अन्य मन्दिर श्री सुमतिनाथ भगवान जैन श्वेताम्बर मन्दिर दादावाड़ी के नाम से है जो विशाल दादावाड़ी के प्रांगण में हैं । यहाँ सभी प्रकार की सुविधाएं की गयी हैं जिससे यात्री बहुतायत में यहां दर्शनार्थ पधारते हैं। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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