________________
जैन तीर्थ परिचायिका
| तमिलनाडु मूलनायक : श्री महावीर भगवान, अर्द्ध पद्मासनस्थ।
श्री जिनकांची तीर्थ मार्गदर्शन : यह तीर्थ कांचीपुरम् रेल्वे स्टेशन से 5 कि.मी. दूर तिरूप्पतिकुण्ड्रम में स्थित है। .
स्टेशन से टैक्सी, ऑटो व तांगों की सुविधा है। मन्दिर तक कार व बस जा सकती हैं। पेढ़ी : कांचीपुरम् चेन्नई से 76 कि.मी. दूर है। चेन्नई से बस एवं टैक्सी सविधा उपलब्ध है। चेन्नई श्री त्रैलोक्यनाथ स्वामी जैन समुद्र तट से सायं पैसेन्जर ट्रेन कांचीपुरम् जाती है।
मन्दिर
तिरूरप्पतिकुण्ड्रम, परिचय : इस मन्दिर का निर्माण पल्लव नरेशों के काल में ई. सातवीं सदी में हुआ माना जाता
पोस्टऑफिस सेविलिमेडु, है। इसके निकट ही श्री चन्द्रप्रभ भगवान का इससे भी प्राचीन मन्दिर अभी भी स्थित है।
जिला कांचीपुरम् ई. सं. 1199 में चन्द्रकीर्ति गुरु का वास-स्थान यहाँ होने का उल्लेख है। भट्टारक श्री
(तमिलनाडु) लक्ष्मीसेन स्वामीजी की गद्दी यहीं पर थी। इस मन्दिर को त्रैलोक्यनाथ भगवान का मन्दिर भी कहते हैं। इस मन्दिर के संगीत मण्डप में छत पर रंग-रंगीले प्राचीन चित्र अंकित हैं। श्री आदिनाथ भगवान के पाँच कल्याणक, समवसरण की रचना, श्री महावीर भगवान का जीवन कृत व श्री नेमिनाथ भगवान के पूर्व भवों के वृतांत मनमोहक वर्गों में चित्रित किये गये हैं जो बहुत ही आकर्षक लगते हैं। कांचीपुरम् मंदिरों की नगरी है। भारत की 7 मोक्षपुरियों में कांचीपुरम् अन्यतम है। यहाँ शिवलिंग के अनेकों सुन्दर, दर्शनीय मन्दिर हैं। यहाँ का कैलाश नाथ मन्दिर प्राचीनतम
मन्दिर है। ठहरने की व्यवस्था : कांचीपुरम् में अनेकों होटल एवं धर्मशालाएँ उपलब्ध हैं।
मूलनायक : श्री मल्लिनाथ भगवान, अर्द्ध पद्मासनस्थ।
श्री मन्नारगुड़ी तीर्थ मार्गदर्शन : यह तीर्थ नीडामंगलम से 12 कि.मी. दूर पमनी नदी के निकट बसे मुन्नारगुड़ी के
हरिद्रानदी में स्थित है। निकट के स्टेशन कुंभकोणम् व तंजावर, जो तंजोर के नाम से भी जाना पेढ़ी : जाता है, यहां से क्रमश: 40 तथा 37 कि.मी. दूर है। स्टेशन से बस सुबिधा उपलब्ध हो जाती श्री मल्लिनाथ स्वामी है। यह तीर्थ मन्नारगुड़ी शहर के मध्य में स्थित है। शहर में ऑटो, रिक्शा आदि साधन मिल तीर्थंकर मन्दिर जाते है। दिन में बसों का आवागमन रहता है। कंभकोणम से चिदम्बरम 68 कि.मी. तथा हरिद्रानदी पश्चिमतट, चेन्नई 310 कि.मी. दूर है। तंजोर के लिए जाने वाली सभी ट्रेनें कुम्भकोणम् होते हुए गुजरती मन्नारगुड़ी-614 001 हैं। तंजोर कंभकोणम के मध्य प्रत्येक 10 मिनट पर बस सेवा उपलब्ध है।
(तमिलनाडु)
फोन : 0467-21185 परिचय : यह मन्दिर बारहवीं सदी में चौलन राजा के राज्यकाल में निर्मित हुआ माना जाता है। इस
मन्दिर में श्री सरस्वती देवी, श्री पद्मावती देवी, श्री धर्मदेवी, श्री ज्वाला मालिनी आदि देवियों की प्रतिमाएँ अति ही प्रभावशाली हैं। प्रतिवर्ष वैशाख शुक्ला दशमी को ब्रह्म-महोत्सव का आयोजन होता है। प्रभु-प्रतिमा अति ही सुन्दर व आकर्षक है। यहां निकटवर्ती दर्शनीय स्थल तेखकुल्लम, राजगोपाल स्वामी मन्दिर तथा दीपंगुडी (निरूवा रूट के निकट) हैं। कुम्भकोणम् मन्दिरों का शहर है। यहाँ 18 मन्दिर हैं। तंजोर में श्री वृहदेश्वर मन्दिर अत्यंत सुन्दर और कलात्मक है। तंजोर की कांस्य-मूर्तियों की ख्याति दूर-दूर तक है। मन्दिर के
निकट ही तंजोर का महल भी दर्शनीय है। ठहरने की व्यवस्था : ठहरने हेतु सुविधा उपलब्ध नहीं है। पूर्व सूचना पर भोजन व्यवस्था की
जा सकती है। कुम्भकोणम् में ठहरने के लिए अनेक होटल एवं धर्मशालाएँ उपलब्ध हैं। तंजोर में भी ठहरने हेतु होटल, धर्मशालाओं की व्यवस्था है।
| 165
Jain Education International 2010_03
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org