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पंजाब, हिमाचल, जम्मू ।
अमृतसर
जैन तीर्थ परिचायिका अमृतसर पाक की सीमा पर स्थित है। सिख धर्म व संस्कृति का अन्यतम पीठस्थान अमृतसर
ही है। सिख धर्म का सर्वोच्च तीर्थस्थल भी अमृतसर ही है। अमृतसर में प्राचीन जैन मन्दिर दर्शनीय है। स्वर्णमन्दिर : महाराजा रणजीत सिंह (1780-1839) ने इस भव्य, आस्थापरक, धर्मस्थल-तीन तल्ले के संगमरमरी मन्दिर का निर्माण कराया। मन्दिरों के गुम्बदों पर ताँबे को 400 किलो सोना से मढ़वा दिया। चाँदी के दरवाजे पर विशेष दिनों पर सोने की परतें भी चढ़ाई जाती थीं। तभी से इस मन्दिर का नाम स्वर्णमन्दिर पड़ा। स्वर्ण मन्दिर का विशेष आकर्षण जगमगाते दीप-पुंजों का त्यौहार दीपावली है। पूरा शहर ही प्रकाश रश्मियों से झिलमिला उठता है। स्वर्णमन्दिर से सटे सरोवर के किनारे स्वर्ण-गुम्बद के पास पाँच तल्ले का अकाल तख्त अर्थात् चिरकालीन देव सिंहासन भवन है। रेल स्टेशन से रिक्शा या ताँगा से स्वर्ण मन्दिर पहुंचा जा सकता है। जालियांवाला बाग : भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के दीवानों की दीवानगी, उत्सर्ग का साक्षी यह बाग आज भारतीयों के लिए पवित्र तीर्थ स्थल है। चारों ओर मकान और ऊँची दीवारों से घिरा यह बाग है। इसका एकमात्र प्रवेश पथ काफी संकरा है। स्वर्णमन्दिर से जालियांवाला बाग की दूरी मात्र 2 फर्लाग है। दुर्गियाना मन्दिर : रेल स्टेशन व स्वर्णमन्दिर के बीच स्वर्णमन्दिर से 15 मिनट के रास्ते में गली-कूचे से होते हुए 16वीं शताब्दी के हिन्दू मन्दिर दुर्गियाना मन्दिर तक पहुँचा जा सकता है। इसमें श्वेत संगमरमर की माँ दुर्गा की प्रतिमा है। लेक के बीच नये सिरे से मन्दिर बना है, जिसमें हिन्दू देवता लक्ष्मी व नारायण पूज्य, आराध्य देव हैं। गोविन्द दुर्ग : रेल स्टेशन के दक्षिण-पूर्व दुर्गियाना होकर गोविन्दगढ़ दुर्ग तक रास्ता गया है। सिखों का पहला दुर्ग गोविन्दगढ़ प्रहरी के रूप में खड़ा है। रामबाग उद्यान : रेल स्टेशन के उत्तर-पूर्व नये शहर के आभिजात्य क्षेत्र में रामबाग उद्यान है। प्रशस्त, विस्तत उद्यान में कई खेल-कूद के संगठन हैं. इसके मनोरम फलों की शोभा भी न्यारी है। वायुयान : कोलकाता, वाराणसी-लखनऊ, मुम्बई सेन्ट्रल, बरोद कोटा-मथुरा, नई दिल्ली, भूसावल, आगरा से वायुयान की सुविधा है। रेलमार्ग द्वारा भी अमृतसर देश के प्रमुख नगरों से सीधा सम्पर्क में है। शहर से 10 कि.मी. दूर रामतीर्थ है। किवदंती है कि रामायण के नायक श्री रामचन्द्रजी के पुत्र लव व कुश का जन्म इसी रामतीर्थ में हुआ था। 24 कि.मी. दक्षिण पूर्व गुरु अर्जुन देव की वास-स्थली तरण-तारण सिखों का एक और तीर्थ-स्थल है।
जालन्धर
अमृतसर से 65 कि.मी. दक्षिण-पूर्व में जालन्धर है। जालन्धर से होशियारपुर, फिरोजपुर,
अम्बाला, सहारनपुर, लुधियाना, पठानकोट, जम्मू, कटरा, चण्डीगढ़ सहित उत्तर भारत के हर कोने के लिए ट्रेन व बस सेवाएँ उपलब्ध हैं। जालन्धर प्राचीन शहर है। जालन्धर अतीत काल में हिन्दू राजाओं की राजधानी था। किन्तु, आज जालन्धर की प्रसिद्धि खेलकूद के विभिन्न साज-सामानों के लिए है। यहाँ जामा मस्जिद, नासिर खाँ समाधि व हिन्दू तीर्थ देवी ताल अर्थात सरोवर दर्शनीय है। जालन्धर में ठहरने के लिए होटल भी हैं। जालन्धर से 18 कि.मी. उत्तर-पश्चिम में 11वीं शताब्दी का शहर कपूरथला है।
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