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जैन तीर्थ परिचायिका
1480 में लोदी वंश के दो शाहजादों ने इस शहर की स्थापना की थी। इसके गुरुद्वारों से लुधियाना गुरु गोविन्द सिंह की विभिन्न स्मृतियाँ जुड़ी हुई हैं। वैसे, लुधियाना का एक और आकर्षण है यहाँ का रेशम, पशम और सूती वस्त्रों की पोशाक । लुधियाना में ही हीरो साइकिल का कारखाना है। पंजाब की हरित क्रांति में लुधियाना कृषि विश्वविद्यालय का योगदान अनुपम है। पुराने दुर्ग में सरकारी होजियरी इन्स्टीट्यूट के अतिरिक्त पीर-ए-दस्तगीर का मन्दिर है । जालन्धर से 57 कि.मी. और अमृतसर से 136 कि.मी. दूर है। रेल व बसों से जुड़ा हुआ है लुधियाना ।
लुधियाना के सिविल लाइन क्षेत्र में रेल्वे स्टेशन से 2 कि.मी. दूरी पर श्री आदिनाथ प्रभु का सुन्दर मनोरम जिनालय स्थापित है। इस मन्दिर की स्थापना सन् 1972 में की गयी थी । इस मन्दिर में मूलनायक प्रभु श्री आदिनाथ प्रभु की चित्ताकर्षक प्रतिमा विराजमान है। प्रभु प्रतिमा के दाईं ओर श्री शान्तिनाथ प्रभु एवं बाईं ओर चंदाप्रभु एवं श्री संभवनाथ जी की प्रतिमाएँ विराजित हैं । यहाँ उपाश्रय है।
रेल्वे स्टेशन से 5 कि.मी. दूरी पर किचलू नगर क्षेत्र में श्री कल्याण पार्श्वनाथ जैन मन्दिर की स्थापना सन् 1990 में हुई है। इसमें प्रभु पार्श्वनाथ की 100 वर्ष प्राचीन प्रतिमा स्थापित की गयी है।
रेल्वे स्टेशन से 2 कि.मी. दूरी पर वल्लभ नगर क्षेत्र में प्रभु विमलनाथ जी का विमलनाथ जैन मन्दिर स्थित है। यहाँ उपाश्रय एवं ठहरने की व्यवस्था है ।
रेल्वे स्टेशन से 3 कि.मी. दूरी पर सुन्दर नगर क्षेत्र में सन् 1989 में श्री शान्तिनाथ जैन मन्दिर में प्रभु शान्तिनाथ जी का प्रतिमा स्थापित की गयी । मन्दिर का निर्माण वर्ष 1985 में किया गया। यहाँ उपाश्रय एवं ठहरने की व्यवस्था है।
रेल्वे स्टेशन से 2 कि.मी. दूरी पर वि. संवत् 1968 में दाल बाजार में कलिकुंड पार्श्वनाथ जैन मन्दिर का निर्माण किया गया था। इसमें प्रभु पार्श्वनाथ जी मूलनायक के रूप में विराजित हैं ।
रेल्वे स्टेशन से 1.5 कि.मी. दूरी पर चौड़ा बाजार में लुधियाना का 140 वर्ष प्राचीन मन्दिर श्री सुपार्श्वनाथ जैन मन्दिर स्थापित है। प्रभु श्री सुपार्श्वनाथ की अत्यन्त आकर्षक प्रतिमा यहाँ मूलनायक जी के रूप में विराजमान है।
रेल्वे स्टेशन से 7 कि.मी. दूरी पर श्री विजय इन्द्र नगर में श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथ जैन मन्दिर है जिसमें श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथ भगवान की विशाल प्रतिमा है । यहाँ उपाश्रय है। रेल्वे स्टेशन से 2 कि.मी. दूरी पर सिविल लाइन बसंत रोड पर श्री विजय वल्लभ सूरी जी म. सा. का समाधि मन्दिर है जो कि देखने योग्य है।
पंजाब, हिमाचल, जम्मू
अतीत में पटियाला सिख राज्य की राजधानी रहा है। पर्यटकों के लिए इसके विशाल दुर्ग, भव्य पटियाला व आकर्षक राजप्रासाद दर्शनीय हैं। पटियाला का मोतीबाग प्रासाद भी दर्शकों के लिए अति आकर्षक है।
पठानकोट से हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश व पंजाब के विभिन्न शहरों में बसें जाती हैं। जो यात्री पठानकोट डलहौजी (3.30 घण्टे), चम्बा (4 घण्टे), धरमशाला (3 घण्टे ), कांगड़ा, ज्वालाजी जाना चाहते हैं, उनके लिए पठानकोट से बस यात्रा ही सुविधाजनक है। पठानकोट का अमृतसर व दिल्ली से भी बस व रेल से सीधा सम्पर्क है। जम्मू की हर ट्रेन पठानकोट होकर जाती है।
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