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कर्नाटक
जैन तीर्थ परिचायिका जिला दक्षिण कन्नड मूलनायक : श्री नेमिनाथ भगवान, अर्द्ध पद्मासन की मुद्रा में।
मार्गदर्शन : यह तीर्थ मेंगलूर स्टेशन से 50 कि.मी. दूर कारकल के निकट ही स्थित है। यहाँ श्री कारकल तीर्थ
पर बस, टैक्सी तथा रिक्शों आदि की सुविधा उपलब्ध है। मूडबिद्री यहाँ से 16 कि.मी. दूर
है यहाँ से 32 कि.मी. दूर उडिपी है। पेढ़ी: श्री जैन धर्म जीर्णोद्धार संघ
- परिचय : यह तीर्थ विक्रम संवत् 1514 से पूर्व का है। मन्दिर के सामने 59 फुट ऊँचा एक 'मान
स्तम्भ' है, जो एक ही पत्थर का बना है। गाँव के निकट पहाड़ी पर श्री बाहुबली भगवान हीरेअगडी, डाकघर
की 13 मीटर ऊँची भव्य प्रतिमा है। एक ओर श्री आदीश्वर भगवान का मन्दिर है, जिसमें कारकल,
चौमुखी प्रतिमा है। हीरे अगडी में आठ और मन्दिर हैं। यहाँ की मूर्ति कला प्रसिद्ध है। जिला दक्षिण कन्नड़
कारकल की ख्याति कॉफी और काजू के व्यापार के लिए भी है। (कर्नाटक)
ठहरने की व्यवस्था : ठहरने के लिए मन्दिर के पास ही धर्मशाला है जहाँ पर सभी सुविधा
उपलब्ध है। दर्शनीय स्थल : यहाँ से 32 कि.मी. दूर उडिपी का कृष्ण मन्दिर भी अत्यन्त दर्शनीय है। मंगलोर
में मंगला देवी का मन्दिर भी प्रमुख आकर्षण है।
श्री वारंग तीर्थ
पेढ़ी: श्री दिगम्बर जैन मन्दिर डाकघर वारंग, जिला दक्षिण कन्नड़ (कर्नाटक)
मूलनायक : श्री पार्श्वनाथ भगवान, खड्गासन की मुद्रा में। मार्गदर्शन : यह तीर्थ कारकल से 16 कि.मी. दूर वनयुक्त पहाड़ की तलहटी सरोवर के मध्य
स्थित है। परिचय : यह कर्नाटक का प्राचीन तीर्थ है। यह मन्दिर दक्षिण प्रांत के जल मन्दिर के नाम से विख्यात है। हर शुक्रवार को यहाँ सैकड़ों लोग दर्शनार्थ आते हैं। इस जल मन्दिर के
अतिरिक्त निकट ही दो और मन्दिर विद्यमान हैं। मन्दिर का शिखर अत्यन्त निराले ढंग से
निर्मित है। प्राकृतिक सौन्दर्य और शान्ति के बीच प्राचीन कला का सुन्दर नमूना है। ठहरने की व्यवस्था : यहाँ पर ठहरने के लिए विशेष सुविधाएँ नहीं हैं। कारकल से यहाँ आना ।
ठीक रहता है।
श्री मडबिद्री तीर्थ मूलनायक : श्री पार्श्वनाथ भगवान, कायोत्सर्ग मुद्रा में।
__मार्गदर्शन : यह तीर्थ मेंगलूर रेल्वे स्टेशन से 34 कि. मी. दूर मूडबिद्री में स्थित है। स्टेशन से पेढ़ी:
बस व टैक्सी की सुविधा है। मेंगलोर देश के सभी प्रमुख नगरों से रेल द्वारा संपर्क में है। स्वस्ति श्री चारूकीर्ति
मंगलोर से बेंगलोर 347 कि.मी., मैसूर 248 कि.मी., हसन 160 कि.मी. दूर है। स्वामीजी श्री जैन मठ
परिचय : आचार्य महाराज को श्री पार्श्वप्रभु की विशालकाय इस मनोज्ञ प्रतिमा के दर्शन हुए। डाकघर मूडबिद्री-574 227
उन्होंने उसी स्थान पर सुन्दर जिनालय का निर्माण करवाकर ई. सं. 714 में इस अपूर्व सुन्दर जिला दक्षिण कन्नड़
प्रभु प्रतिमा को प्रतिष्ठित कराया इसीलिए यह मन्दिर गुरू वसदि नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस (कर्नाटक)
मन्दिर में धवल, जयधवल एवं महाधवल नाम के महान सिद्धान्त ग्रन्थ होने के कारण इसे सिद्धांत मन्दिर भी कहते हैं। प्रभु प्रतिमा अत्यन्त सुन्दर व अतिशयकारी है। यहाँ पर नवरत्नों की 35 प्रतिमायें हैं। ऐसी प्रतिमाओं के दर्शन, अन्यत्र दुर्लभ है। इस मन्दिर के अतिरिक्त यहाँ पर 17 और अन्य मन्दिर हैं। श्री पार्श्वप्रभु की चमकती हुई प्रतिमा किस पाषाण से
निर्मित है, उसका पता लगाना कठिन है। ठहरने की व्यवस्था : ठहरने के लिए गाँव में सुन्दर सुव्यवस्थित धर्मशाला है।
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