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महाराष्ट्र
श्री कुम्भोजगिरि तीर्थ तथा श्री बाहुबली तीर्थ
पेढ़ी
श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथ
जैन श्वेताम्बर मन्दिर ट्रस्ट कुंभोजगिरि तीर्थ
डाकघर बाहुबली, तालुका हाथकलंगड़े
:
जिला कोल्हापुर फोन: 0230-484445
श्री बाहुबली विद्यापीठ ब्रह्मचार्याश्रम एवं बाहुबली विद्यापीठ
'पोस्ट बाहुबली,
तालुका हाथकलंगड़े जिला कोल्हापुर - 416 110 फोन: 0230-484422
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जैन तीर्थ परिचायिका
दर्शनीय है। मुख्य मन्दिर में काले वर्ण की भगवान महावीर की 5 फुट 5 इंच की अत्यंत मन भावक प्रतिमा विराजमान है। मंदिर की चौखट पर सुन्दर चांदी की कारीगरी अत्यंत मनमोहक है। निकट ही भगवान पार्श्वनाथ का सुन्दर मन्दिर है। गुफा मन्दिर में विदेह क्षेत्र के बीस तीर्थंकरों की श्वेत पाषाण से निर्मित प्रतिमाएँ विराजित हैं। गुफा मन्दिर से बाहर निकलने पर बायें हाथ पर भगवान बाहुबली की प्रतिमा स्थित है। यहाँ की कला अत्यंत सुन्दर है।
ठहरने की व्यवस्था : मन्दिर में सुविधा सम्पन्न धर्मशाला है। पूर्व सूचना देने पर भोजन की व्यवस्था हो जाती है ।
मूलनायक : श्री बाहुबली भगवान, पार्श्वनाथ भगवान, पद्मासनस्थ । (कुम्भोजगिरि बाहुबली) मार्गदर्शन : यह तीर्थ हाथकलंगडे स्टेशन से 6.5 कि.मी. दूर स्थित है। स्टेशन पर बस, टैक्सी, रिक्शा आदि साधन उपलब्ध हैं। तीर्थ पर प्रात: 6.30 बजे से रात्रि 8.45 बजे तक बसों का आवागमन होता रहता है । यहाँ से कोल्हापुर 30 कि.मी., सांगली 32 कि.मी. दूर है। यहाँ से निकटवर्ती दर्शनीय स्थल पंडार हिल स्टेशन 46 कि.मी., वडगांव 13 कि.मी., दादावाड़ी 23 कि.मी., इचलकरंजी 16 कि.मी. तथा जयसिंहपुर 20 कि.मी. है। धर्मनगर यहाँ से 12 कि.मी. तथा नांदणी 15 कि.मी. दूर है ।
परिचय : इस मन्दिर का उद्धार विक्रम संवत् 1926 माघ शुक्ला 7 को हुआ था । कार्तिक
पूर्णिमा, चैत्र पूर्णिमा व पोष कृष्णा 10 को यहाँ पर मेला लगता है। इसके अतिरिक्त एक और दिगम्बर मन्दिर है। इन नूतन मन्दिर की प्रतिष्ठापना परम पूज्य 108 आचार्य श्री समन्तभद्रजी महाराज की निश्रा में दिनांक 8.2.1963 को सम्पन्न हुई थी । इस मन्दिर के अहाते में ही विभिन्न सिद्ध क्षेत्रों की प्रतिकृतियाँ व समवसरण बड़े ही सुन्दर व कलात्मक ढंग से आकर्षक बने हुए हैं। यह स्थान जंगल में स्थित पहाड़ी की ओट में अत्यधिक सुन्दर व मनोरम प्रतीत होता है। समवसरण की रचना कलात्मक व भावात्मक ढंग से की गयी है। बाहुबली में भ. बाहुबली की 28 फुट ऊँची भव्य चित्ताकर्षक प्रतिमा विराजमान है। यहाँ गुरुकुल में जरूरतमन्द मेधावी छात्रों को शिक्षा दी जाती है। यहाँ 400 छात्र हैं। इसकी कर्नाटक में 3 शाखाएँ हैं । स्कूल में आसपास के विद्यार्थी भी शिक्षा ग्रहण करके आते हैं।
ठहरने की व्यवस्था : धर्मशाला में 70 कमरे हैं। जहाँ बिजली, पानी व भोजनशाला आदि सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। यहाँ आधुनिक सुविधायुक्त 29 ब्लॉक हैं। भोजनशाला में प्रातः 11.30 से 1.30 एवं सायं 5.00 से 6.30 बजे तक भोजन व्यवस्था रहती है। पहाड़ पर भाता प्रातः 8.30 से 4.00 बजे तक उपलब्ध होता । दिगम्बर मन्दिर में भी धर्मशाला एवं भोजनशाला की सुविधा हैं। भोजन व्यवस्था प्रातः 10 से 12 तथा सायं 5.00 से 6.30 तक उपलब्ध है।
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