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________________ महाराष्ट्र श्री अंतरिक्ष पार्श्वनाथ तीर्थ (शिरपुर) पेढ़ी: श्री अंतरिक्ष पार्श्वनाथ महाराज संस्थान डाकघर शिरपुर, जिला वासिम जैन तीर्थ परिचायिका मूलनायक : श्री पार्श्वनाथ भगवान, अर्द्ध पद्मासनस्थ। मार्गदर्शन : यह तीर्थ वासिम स्टेशन से 19 कि.मी. दूर शिरपुर गाँव के छोर पर स्थित है, जहाँ से टैक्सी व बसों की सुविधाएँ हैं। मन्दिर तक पक्की सड़क है। कार व बस मन्दिर तक जा सकती है। अकोला से यह तीर्थ 72 कि.मी. दूर है। अमरावती से यह 125 कि.मी. दूर । है। अकोला मुम्बई-नागपुर रेल्वे मार्ग पर स्थित है। अकोला से टैक्सी एवं बस का साधन उपलब्ध है। परिचय : राजा रावण के बहनोई खरदूषण के लिए पूजा के निमित्त यहाँ पर इस प्रतिमा का बालू व गोबर से निर्माण किया गया और जाते समय जलकुण्ड में विसर्जित किया था। जो कि अंत में संघ मन्दिर में प्रतिष्ठित की गयी। इसके निकट ही श्री विघ्नहरा पार्श्वनाथ भगवान का सुन्दर कलात्मक शिखरबन्ध श्वेताम्बर मन्दिर है। श्री अंतरिक्ष पार्श्वनाथ भगवान का मन्दिर भोयरे के अन्दर स्थित प्राचीनतम तीर्थ है। प्राचीन प्रतिमा होने के कारण इसकी कलात्मकता दर्शनीय है। ठहरने की व्यवस्था : मन्दिर के निकट ही श्वेताम्बर धर्मशलाएँ हैं, जहाँ सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। पास में ही दिगम्बर धर्मशाला भी है। श्री मांगीतुंगी तीर्थ मूलनायक : श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान। मार्गदर्शन : यह तीर्थ नासिक से 125 कि.मी. तथा धुलिया से 100 कि.मी. दूर है। नासिक व पेढ़ी : धुले से बस सुविधा उपलब्ध है। मनमाड रेल्वे स्टेशन से बस द्वारा सटाणा होते हुए श्री मांगीतुंगी जी दिगम्बर तहाराबाद तक 81 कि.मी. दूरी है। तीर्थ पर 10.00 बजे, 2.00 बजे, 6.00 बजे, रात्रि 8.00 जैन सिद्ध क्षेत्र बजे बसें आती हैं। तीर्थ पर भी सवारी साधन उपलब्ध हो जाते हैं। तालुका सटाणा, परिचय : गालना हिल्स के नाम से जाना जाने वाला यह पहाड़ी क्षेत्र तहाराबाद के निकट स्थित जिला नासिक-423 302 है। मांगी व तुंगी नामक, पर्वत की, दो चूलिकाएं हैं। मांगी एवं तुंगी पर गुफाएं हैं। मांगी (महाराष्ट्र) पर सीता गुफा, महावीर गुफा, श्री आदिनाथ गुफा, श्री शांतिनाथ गुफा, श्री पार्श्वनाथ गुफा एवं रत्नत्रय गुफा हैं। पर्वत के ऊपर से ही तुंगी गिरी के लिए मार्ग गया है। तुंगी मार्ग पर ही नवनिर्मित छत्रियां दर्शनीय हैं। तुंगीगिरी पर श्री राम गुफा तथा श्री चंद्र प्रभु गुफा है। लौटते वक्त दोनों पर्वतों के मध्य उतरने का मार्ग है। जो सरल सीढ़ियों का निर्माण कर सुगम बना दिया गया है। यह तीर्थ अत्यंत प्राचीन है। तलहटी में भी दो जिनालय हैं। ठहरने की व्यवस्था : क्षेत्र पर तलहटी में अटैच 50 कमरों की धर्मशाला है। यहाँ भोजन की भी व्यवस्था है। प्रातः 11.00 से 1.00 बजे तक। पहाड़ से उतरते वक्त भाता मिलता है। श्री गजपन्था तीर्थ मूलनायक : मार्गदर्शक : यह तीर्थ नासिक रोड स्टेशन से 19 कि.मी. दूर नासिक शहर के पास मसरुल की पेढ़ी : एक पहाड़ी पर स्थित है। तलहटी से पहाड़ी की चढ़ाई 1 कि.मी. है। चढ़ने के लिए सीढ़ियाँ श्री दिगम्बर जैन गजपन्था बनी हुई हैं तथा तलहटी तक पक्की सड़क है। सैन्ट्रल रेल्वे मार्ग पर मुम्बई से 190 कि.मी., तीर्थ क्षेत्र कमेटी औरंगाबाद से मनमाड होकर 218 कि.मी. दूर नासिक रोड स्टेशन स्थित है। नासिक रोड डाकघर मसरूल, से नासिक सिटी 8 कि.मी. दूर है। नासिक रोड पर सभी वाहन उपलब्ध हैं। नासिक रोड जिला नासिक (महाराष्ट्र) स्टेशन से मसरुल के लिए बस, टैक्सी, ऑटो उपलब्ध रहते हैं। मुम्बई के निकट प्रमुख उद्योग नगरी एवं दर्शनीय स्थल होने के कारण देश के सभी प्रान्तों से आने-जाने वाली गाड़ियों का यहाँ ठहराव है। 146 JanEducation International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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