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________________ जैन तीर्थ परिचायिका परिचय : यहाँ से सात बलभद्र मुनि तथा अनेकों यादव वंशी मुनि मोक्ष सिधारे, जिनमें गजसुकुमार मुनि भी थे। इसीलिए इस स्थान का नाम गजपन्था पड़ा। श्री चामराज उड़यार ने जब से इसका उद्धार करवाया तब से लोग इसे चामरलेणी कहने लगे। छोटे गाँव के जंगल में एक टेकरी पर स्थित इस मन्दिर का दृश्य अत्यधिक मनोरम प्रतीत होता शान्त, सौम्य और गंभीर मुद्रा में है। मूर्ति भी I ठहरने की व्यवस्था : तलहटी में धर्मशाला है, जिसमें बिजली, पानी व बर्तन आदि सभी सुविधाएँ उपलब्ध है । नासिक शहर में अनेकों धर्मशालाएँ एवं होटल उपलब्ध हैं। दर्शनीय स्थल : नासिक शहर पवित्र हिन्दू तीर्थ भी है । गोदावरी तट पर बसा यह शहर इतिहास की अनेकों धरोहरों को अपने में संजोये हुए है। यहाँ कपालेश्वर महादेव मन्दिर, कालाराम मन्दिर, कापर्ण कुटीर, सीताहरण गुफा आदि दर्शनीय तीर्थ स्थल हैं। रेल्वे स्टेशन के निकट नासिक रोड पर ही मुक्तिधाम मन्दिर भी दर्शनीय है । नासिक शहर में पंचवटी क्षेत्र में अनेकों धर्मशालाएँ हैं। नासिक रोड से 37 कि.मी. दूर पंचपूड़ा में त्रयम्बकेश्वर मन्दिर दर्शनीय है । नासिक - मुम्बई मार्ग पर इगतपुरी होते हुए 750 मीटर की ऊंचाई पर हिल रिजार्ट भंडारदारा का आनंद भी लिया जा सकता है। नासिक सिटी से श्री सांई बाबा का स्थल शिरडी 90 कि.मी. दूर है। यहाँ से नियमित बस सेवा उपलब्ध है। शिरडी में भी अनेक धर्मशालाएँ हैं । महाराष्ट्र राज्य में जलगाँव शहर सुवर्णनगरी के नाम से सुविख्यात है । हावड़ा-मुम्बई, दिल्ली - जलगाँव मुम्बई, दिल्ली - बैंगलोर रेलमार्ग पर महत्त्वपूर्ण स्टेशन है जलगाँव। इस सुवर्णनगरी में स्टेशन से 3 कि.मी. दूरी पर जलगाँव - धूलियन राष्ट्रीय राजमार्ग पर दादा गुरुदेव की दादावाडी का भव्य निर्माण किया गया है। इस दादावाडी निर्माण के प्रेरणास्त्रोत आत्मज्ञानी जैन कोकिला स्व. प्रवर्तिनी श्री विचक्षण श्री जी म. सा. की विदुषी शिष्या परमपूज्या प्रखर ज्योति श्री मणिप्रभाश्री जी म. सा. हैं। आज इस दादावाडी के प्रांगण में उत्तम कलामुद्रा से आकर्षक मंदिर का निर्माण हुआ है । जिसमें श्री जिनकुशल सूरि दादा गुरुदेव की भव्य मूर्ति की प्रतिष्ठा मध्य भाग में की गयी है। साथ-साथ श्री कालेभैरवजी, श्री गोरे भैरवजी, घंटाकर्ण श्री महावीर स्वामी, श्री नाकोडा भैरवजी की भी प्रतिष्ठा समाज चिंतामणी श्री सुरेशदादाजी जैन एवं उनके सभी परिवारजनों के हाथों से सुसम्पन्न हुई । इस दादावाडी के भव्य प्रांगण में दादा गुरुदेव के मंदिर के साथ-साथ एक भव्य “विचणक्ष विश्राम भवन" बनाया है जिसमें रहने की सुविधा उपलब्ध है। दादावाडी के निकट ही अत्यंत कलात्मक ढंग से श्री भाग्यवर्धन पार्श्वनाथ तीर्थ का निर्माण कार्य तेजी से प्रगति पर है । जलगाँव रेल स्टेशन से अजंता की दूरी 59 कि.मी. है। बस दो घण्टे में गंतव्य तक पहुँचा देती है। वैसे जलगाँव औरंगाबाद कह बसें (हर घण्टे सेवा) अजंता गुफा से 2 कि.मी. दूर राष्ट्रीय राजमार्ग पर ही उतार देती है । अतः अजंता के भ्रमणार्थियों को अजंता की बस से ही यात्रा करनी चाहिए । एलोरा और औरंगाबाद घूमघाम कर मानमाड होते हुए सिरडी / नासिक का परिदर्शन कर मुम्बई जाया जा सकता है। जलगाँव से 59, भुसावल से 80, औरंगाबाद से 103 कि.मी. दूर अजंता की विश्व प्रसिद्ध गुफाएँ हैं। तीनों स्थानों से अजंता के लिए नियमित बस सेवा है। अजंता की गुफाएँ अपने भितिचित्रों की मोहकता के लिए प्रसिद्ध हैं । अजंता में कुल 29 गुफाएँ हैं । Jain Education International 2010_03 महाराष्ट्र For Private & Personal Use Only 147 www.jainelibrary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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