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________________ गुजरात श्री देलवाड़ा तीर्थ पेढ़ी: श्री अजाहरा पार्श्वनाथ पंचतीर्थी जैन कारखाना पेढी मु. पो. देलवाड़ा, जिला जूनागढ़ (गुजरात) जैन तीर्थ परिचायिका मूलनायक : श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ, श्वेतवर्ण। मार्गदर्शन : ऊना से 5 कि.मी. दूर यह स्थान अजाहरा से 2 कि.मी. तथा देलवाड़ा गाँव से 1 कि.मी. दूरी पर है। परिचय : यह स्थान अत्यन्त प्राचीन है। विक्रम संवत् 1734 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ था ऐसा उल्लेख मिलता है। इस गाँव के निकट दीव मार्ग पर गुजरात सरकार के पर्यटन विभाग ने अहमदपुर-मांडवी में आधुनिक पर्यटन धाम का निर्माण किया है। यहाँ यात्रियों हेतु अनेक सुविधाएँ उपलब्ध हैं। श्री अजाहरा तीर्थ मूलनायक : श्री अजाहरा पार्श्वनाथ भगवान। मार्गदर्शन : ऊना रेल्वे स्टेशन से यह स्थान 5 कि.मी. दूरी पर है। देलवाड़ा (गुजरात) से पेढ़ी: 2 कि.मी. दूर है। अजाहरा समुद्र तट पर बसा है। मंदिर तक कार-बस जा सकती हैं। श्री अजाहरा पार्श्वनाथ परिचय : अजाहरा गाँव के एक छोटे पहाड़ पर यह तीर्थस्थान है यहाँ की प्रतिमा काफी प्राचीन पंचतीर्थी जैन कारखाना पेढी है। प्राचीनकाल में महाराजा अजयपाल कई रोगों से पीड़ित थे, तब प्रभु प्रतिमा के न्हवणजल से उनके रोगों का निवारण हुआ था। तब राजा ने भक्तिभाव के साथ इस तीर्थ मु. पो. देलवाडा, की स्थापना की। यह तीर्थ अत्यन्त चमत्कारिक तीर्थ है। आज भी यहाँ के प्राचीन घण्टे जि. जूनागढ़ (गुजरात) स्वतः बजने लगते हैं तो कभी केसर की वर्षा होने लगती है। फोन : (02875) 22328 अजाहरा से 1 कि.मी. दूर आमों का बाग शाहबाग, आचार्यदेव श्री विजयदेव सूरिश्वर का समाधि स्थल, दर्शनार्थियों को आत्मिक शांति की अनुभूति कराता है। कहा जाता है कि आचार्य देव के अंतिम संस्कार के समय यहाँ सर्दियों में भी आम के वृक्षों पर आम के फल आ गये थे। ठहरने की व्यवस्था : यहाँ धर्मशाला तथा भोजनशाला है। श्री दीव तीर्थ पेढ़ी: श्री अजहरा पार्श्वनाथ पंचतीर्थी जैन कारखाना पेढी, मु. पो. दीव, जिला जूनागढ़ (गुजरात) मूलनायक : श्री नवलखा पार्श्वनाथ भगवान। मार्गदर्शन : पालीताणा से गिरनार जाते समय रास्ते में दीव, अजाहरा, देलवाडा, ऊना और प्रभासपाटण आदि तीर्थस्थानों के दर्शन का लाभ हो सकता है। यहाँ से देलवाड़ा तीर्थ । 8 कि.मी. तथा ऊनातीर्थ 15 कि.मी. दूरी पर है। दीव से सोमनाथ 84 कोदिनार 45 कि.मी. है। दीव का मूल आकर्षण इसका प्राकृतिक सौन्दर्य है। परिचय : गिरनार की पंचतीर्थी में इनकी गणना होती है। यह स्थान समुद्र के मध्य में एक द्वीप पर बसा हुआ है। यहाँ की प्राकृतिक छटा अत्यन्त मनोहारी है। कुमारपाल महाराज ने यहाँ पर श्री आदिनाथ भगवान का मंदिर बनवाया था, ऐसा उल्लेख मिलता है। दर्शनीय स्थल : चक्रतीर्थ बीच, जालंधर समुद्र तट, गंधेश्वर शिव आदि स्थल अत्यंत दर्शनीय हैं। गुजरात टूरिज्म के समुद्र बीच रिजोर्ट में ठहरने व भोजन की उत्तम व्यवस्था है। यहाँ रुककर माण्डवी समुद्र तट पर मनोरम आनन्द उठाया जा सकता है। ठहरने की व्यवस्था : यहाँ पर छोटी-सी धर्मशाला है, लेकिन भोजनशाला नहीं है। 128. Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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