SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 156
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गुजरात | जैन तीर्थ परिचायिका वस्तुपाल-तेजपाल की दूंक : यहाँ पर मेरठ वसही ट्रॅक, संग्राम महाराज ट्रॅक, संप्रति महाराज ट्रॅक आदि जैन मंदिर भी हैं। इस पहाड़ पर दामोदर कुंड, रेवतीकुंड, भीमकुंड, गजपद कुंड आदि पानी के कुछ कुंड भी हैं। जिनका पानी बहुत मीठा है। अंबाजी की ट्रॅक : भगवान नेमिनाथ के प्रमुख ट्रॅक के दर्शन कर आगे जाते हुये रथनेमि का मंदिर आता है, जो नेमिनाथ के भाई थे। उन्होंने यहाँ पर तपश्चर्या कर मोक्षप्राप्ति की। उसके आगे जाने पर अंबाजी की ट्रॅक आती है। अंबाजी भगवान नेमिनाथ की अधिष्टायिका देवी हैं। यहाँ पर श्वेताम्बर समाज की तरह दिगम्बर समाज के भी मंदिर हैं। विवाह के बाद भक्तजन अंबाजी के मन्दिर में कपड़ा बाँधने आते हैं और मंगल वैवाहिक सुख की कामना करते हैं। तलहटी में स्थित एक शिव मन्दिर भी दर्शनीय है। ठहरने की व्यवस्था : यात्रियों के लिये यहाँ पर तलहटी में ही कई धर्मशालाएँ हैं । जहाँ ओढ़ने बिछाने का सामान मिलता है। दिगम्बर समाज की भी यहाँ धर्मशाला है। जूनागढ़ ठहरकर यहाँ आना भी सुविधाजनक है। जूनागढ़ एवं तलहटी में भोजनशाला है। श्री वन्दीलाल . दिगम्बर जैन धर्मशाला जूनागढ़ में है। श्री देवचंद लक्ष्मीचंद ब्लॉक तलहटी में है। तलहटी में ही श्री नेमिजिन धर्मशाला है। जूनागढ़ जूनागढ़ का प्रमुख आकर्षण यहाँ का किला जूनागढ़ फोर्ट है। राजपूत राजाओं का कीर्तिस्तम्भ यह दुर्ग ऊँची प्राचीरों से घिरा है। यहाँ की बावड़ी अर्थात् कुंआ देखने योग्य है। दुर्ग में नीलम तोप भी अति दर्शनीय है। जूनागढ़-गिरनार जी के रास्ते में शोलापुरी, दामोदर कुण्ड, राजेश्वरी मूर्ति आदि अत्यंत दर्शनीय हैं। इनके अतिरिक्त जूनागढ़ में रंगमहल, सखेर बाग, कृष्ण मन्दिर भी देखने योग्य हैं। ठहने हेतु जूनागढ़ में अनेक होटल भी हैं। गिर अरण्य (सासन गिर) जूनागढ़ से 60 कि.मी. दूरी पर स्थित सासन गिर भी दर्शनीय स्थल है। सिंहों को देखने हेतु यह सर्वोत्तम स्थल है। वैसे एशिया में केवल सासन गिर पर ही सिंह देखने को मिलते हैं । यहाँ वन विभाग द्वारा पर्यटकों हेतु इसकी व्यवस्था की गयी है। सायंकाल में वन विभाग की गाड़ी इस प्रयोजन हेतु उपलब्ध रहती हैं। मार्ग में अन्य जंगली पशु भी दिखाई दे सकते हैं. स्वच्छंद वातावरण में सिंहों को विचरते देखने का अलग ही रोमांच एवं आनन्द आता है। वन विभाग की ओर से अक्टूबर से जून तक सिंहावलोकन की व्यवस्था है। अरण्य में ठहरने हेतु एक डाक बंगला भी है। वेरावल, विसावदर होते हुए जूनागढ़ के लिए यहाँ से रेलमार्ग गया है। गिर के लिए वेरावल से ट्रेन भी आती हैं। 126 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy