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________________ जैन तीर्थ परिचायिका | गुजरात पालीताना से तलाजा के मार्ग में यह तीर्थ आता है। पालीताना से यह स्थान 10 कि.मी. दूर, श्री शत्रंजय डेम शत्रुजय नदी से आधा कि.मी. दूरी पर स्थित है। यहाँ का सुन्दर, भव्य और अत्यन्त मनोहारी तीर्थ जिनालय दर्शनीय है। मूलनायक श्री शत्रुजय पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा बरबस ही मन मोह लेती है। यहाँ ठहरने हेतु धर्मशाला, भोजनशाला, उपाश्रय आदि सुविधाएँ उपलब्ध हैं। मूलनायक : श्री आदीश्वर भगवान, श्वेतवर्ण। श्री कदम्बगिरी मार्गदर्शन : बोदानोनेस गाँव के पास 4 कि.मी. दूर यह तीर्थस्थान है। पालीताणा शहर से यह तीर्थ 19 कि.मी. दूरी पर तथा भंडारिया से 8 कि.मी. दूरी पर छोटी-सी पहाड़ी पर स्थित है। पालीताना से बस, टैक्सी आदि सभी सुविधाएं उपलब्ध है। पेढ़ी: श्री जिनदास धर्मदास परिचय : पर्वत की चढ़ाई में लगभग एक घंटा लगता है। शत्रुजय के पंचतीर्थी में इसकी गणना धार्मिक ट्रस्ट की जाती है। इस पहाड़ी के एक ओर हस्तगिरी पर्वत है तो दूसरी ओर शत्रुजय के दर्शन बोदानोनेस, होते हैं। द्वितीय तीर्थंकर के गणधर श्री कदम्बमुनि यहाँ पर अनेक मुनियों के साथ निर्वाण मु. पो. भंडारिया, प्राप्त हुए, इसलिए इस तीर्थ को कदम्बगिरी कहते हैं । मुख्य मंदिर में मूलनायक श्री आदीश्वर व्हाया पालीताणा, जिला भावनगर (गुजरात) भगवान की लगभग 6 फुट ऊँची भव्य प्रतिमा है। इसके साथ यहाँ पर अन्य 5 भव्य मंदिर हैं। यहाँ पंच मेरू सदृश अष्टापद की रचना अद्वितीय है। ऊपर की टोंक पर श्री ऋषभदेव भगवान की प्राचीन चरणपादकाएँ हैं। श्री कदम्बमनि की चरणपादका भी यहाँ पर हैं। तलहटी के गाँव में वीरप्रभु का विशाल मंदिर है। जो अत्यन्त दर्शनीय है। ठहरने की व्यवस्था : यहाँ धर्मशाला एवं भोजनशाला की सुविधा है। मूलनायक : श्री आदिनाथ भगवान। श्री हस्तगिरी तीर्थ मार्गदर्शन : पालीताणा से यह स्थान 16 कि.मी. दूरी पर है। पेढ़ी: परिचय : शत्रुजंय नदी उत्तर में स्थित यह प्राचीन तीर्थ 1250 फुट ऊँचाई पर स्थित है। प्रकृति श्री आनंदजी कल्याणजी के शान्त वातावरण में एक छोटी-सी पहाड़ी पर यह जैन तीर्थ क्षेत्र है। इसके एक ओर पेढी, श्री हस्तगिरी तीर्थ शजय तथा दूसरी ओर कदम्बगिरी तीर्थ है। यहाँ पर आदिनाथ भगवान का अनेकों बार पेढी पदार्पण हुआ था। उनके ज्येष्ठ पुत्र भरत ने इस तीर्थ की स्थापना की। यहाँ पर चक्रवर्ती तलहटी रोड, भरत को मोक्ष प्राप्त हुआ था। उनके हाथी ने भी अनशन कर इसी स्थान पर स्वर्गगमन किया, मु. पा. पालाताणा, जिला भावनगर (गुजरात) इसलिए इस स्थान को हस्तगिरी कहते हैं। प्राचीन समय में यहाँ सिर्फ श्री आदिनाथ भगवान । की चरणपादुकाएँ थीं। अब भगवान का उत्तुंग शिखर के साथ रमणीय मंदिर बना है, जो राणकपुर की याद दिलाता है। मंदिर में बावन देवियाँ हैं। 145 फुट ऊंचे हस्तगिरी मन्दिर का निर्माण कार्य चालू है। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only | 121 www.jainelibrary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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