________________
गुजरात
श्री तलाजा तीर्थ ( तालध्वजगिरि
तीर्थ )
पेढ़ी :
श्री तालध्वज जैन श्वे. तीर्थ कमेटी
श्री जैन धर्मशाला, नदीकाडे, मु. पो. तलाजा, जिला भावनगर - 364140 फोन : (02842) 22030, 22313
श्री घोघा तीर्थ
पेढ़ी
सेठ काला मीठानी पेढी श्री नवखंडा पार्श्वनाथ जैन देरासर, मु. पो. घोघा, जिला भावनगर (गुजरात) फोन : (02781) 82335
श्री दाठा तीर्थ
पेढ़ी :
श्री वीसा श्रीमाली जैन
महाजन
मु. पो. दाठा,
जि. भावनगर (गुजरात) फोन : (02842) 83324
श्री महुवा तीर्थ
पेढ़ी :
श्री महुवा वीसा श्रीमाली तपागच्छीय
श्वे. म. जैन संघ,
मु. पो. महुवा बंदर,
जिला भावनगर (गुजरात)
फोन : (02844) 22571
122
Jain Education International 2010_03
जैन तीर्थ परिचायिका
मूलनायक : श्री साचादेव सुमतिनाथ भगवान, श्यामवर्ण, पद्मासनस्थ।
मार्गदर्शन : पालीताणा से यह स्थान 32 कि.मी. दूरी पर है। भावनगर से यह स्थान 54 कि.मी. दूर है। यहाँ किले में भी कुछ मंदिर हैं। ऊपर पहाड़ पर मन्दिर की चढ़ाई लगभग 20-25 मिनट की सरल चढ़ाई है ।
परिचय : भगवान सुमतिनाथ की प्रतिमा यहाँ भूगर्भ से प्राप्त हुई है। कहा जाता है कि इस तीर्थ के स्थापित होने पर गाँव में व्याप्त भीषण महामारी का प्रकोप समाप्त हो गया। तलाजा ग्रामवासियों ने भक्ति भाव से गाँव में स्थित पवर्त पर इस मन्दिर को स्थापित किया तब से यह तालध्वजगिरी नाम से जाना जाने लगा । यहाँ श्री पार्श्वनाथ प्रभु, धर्मनाथ जी एवं गौतम स्वामी के भव्य मन्दिर भी दर्शनीय है। चौमुख जी के टोंक पर अत्यन्त स्वर्गिक आनन्द की अनुभूति होती है । यहाँ किले में अन्य मन्दिर भी दर्शनीय I
ठहरने की व्यवस्था : यहाँ धर्मशाला तथा भोजनशाला की सुविधा हैं ।
मूलनायक : श्री नवखंडा पार्श्वनाथ भगवान ।
मार्गदर्शन : भावनगर से 19 कि.मी. दूरी पर घोघा बंदरगाह के पास यह तीर्थस्थान है।
परिचय : यहाँ का मंदिर विशाल है। यहाँ की प्रभु प्रतिमा चमत्कारी है। यह तीर्थस्थल खम्बात की खाड़ी के तट पर है। यह स्थल 12वीं सदी से पूर्व का है। इसके अलावा यहाँ अन्य दो मंदिर है। इस गाँव में अति प्राचीन, कलात्मक और विशिष्ट महत्त्वपूर्ण प्रतिमाओं के दर्शन होते हैं ।
ठहरने की व्यवस्था : यहाँ धर्मशाला तथा भोजनशाला हैं ।
मूलनायक : श्री शान्तिनाथ भगवान, पद्मासनस्थ ।
मार्गदर्शन : पालीताणा से तलाजा होकर महुवा जाते हुये यह तीर्थ आता है। तलाजा महुवा रोड पर 8 कि.मी. अंदर दाठा गाँव में जाना पड़ता है।
परिचय : यहाँ पर काँच की सुन्दर कारीगरी की गयी है। इस कलाकृति में अनेक जैन प्रसंगों को दर्शाया गया है।
मूलनायक : श्री महावीर स्वामी, श्वेतवर्ण ।
मार्गदर्शन : यह तीर्थ तलाजा से 45 कि.मी. दूर, सावरकुन्डला से 60 कि.मी. दूर स्थित है। ऊना से नागेश्री होते हुए 55 कि.मी. दूरी पर यह तीर्थस्थली है।
परिचय : यहाँ की प्रतिमा को जीवित स्वामी कहा जाता है। यह प्राचीन तीर्थ सागर किनारे पर,
नारियल के कई पेड़ों के बीच नैसर्गिक सौन्दर्य से परिपूर्ण है । शत्रुंजय की पंचतीर्थी में इसकी गणना होती है। शत्रुंजय तीर्थ का तेरहवाँ उद्धार करने वाले श्री जावड शाह, आचार्य श्री नेमिसूरीश्वरजी, आचार्य श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी आदि महान् पुरुषों की यह जन्मभूमि है। यहाँ के मन्दिरों में रंगों की छटा अत्यन्त निराली है।
ठहरने की व्यवस्था : यात्रियों की सुविधा हेतु यहाँ धर्मशाला तथा भोजनशाला की व्यवस्था हैं।
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org