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जैन तीर्थ परिचायिका
मूलनायक : श्री आदीश्वर दादा ।
मार्गदर्शन : भावनगर - सुरेन्द्र नगर रेलमार्ग पर सिहोर होकर पालीताना ट्रेन द्वारा पहुँचा जा सकता है । सुबह 6.25, दोपहर 2.45, सायं 6.45 की ट्रेन सीधी पालीताना जाती है। भावनगर से पालीताना के लिए बस सेवा उपलब्ध है। भावनगर से यह 55 कि.मी. है। अहमदाबाद से पालीताना 203 कि.मी. दूर स्थित है। पालीताना से शत्रुंजय गिरि 4 कि.मी. दूरी पर है। सोनगढ़ से यह 22 कि.मी. दूरी पर स्थित है।
परिचय : श्रद्धा और कला की दृष्टि से शत्रुंजय तीर्थ जैनों का सर्वोपरि तीर्थ स्थल है। प्राचीन समय में प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदव का विहार इस स्थान पर 99 बार हुआ । इस भूमि का एक-एक कण उनके चरण-स्पर्श से पावन हुआ है। साथ ही कई जैन साधु तथा महात्मा पुरुषों ने यहाँ पर महानिर्वाण प्राप्त किया है। अपने मन के क्रोध, द्वेष, मोह, माया, लोभ आदि विकाररूपी शत्रु पर उन्होंने यहाँ पर विजय प्राप्त की, इसलिये इस तीर्थ का नाम शत्रुंजय है । इस तीर्थ के कण-कण में समाधि और कैवल्य की आभा है।
शत्रुंजय तीर्थ की ऊँचाई तलहटी से से 2000 फुट है। इस तीर्थ पर 700 मंदिर हैं। इन मंदिरों में हजारों की संख्या में जिन प्रतिमाएँ हैं ।
तलहटी से भगवान आदिनाथ की टँक तक का रास्ता लगभग 4 किलोमीटर लम्बा है, जिसमें 3750 सीढ़ियाँ हैं और बीच-बीच में सीधा रास्ता । रास्ते में जगह-जगह विश्राम के लिये स्थान बने हैं। वहाँ ठंडा या गरम पानी की व्यवस्था है। पैदल पहाड़ चढ़ने में असमर्थ यात्री डोली में बैठकर जाते हैं । डोली का किराया आदमी के वजन के अनुसार 150 से 300 रु. तक होता है जो यात्रियों के आगमन बढ़ने के साथ बढ़ जाता है। तलहटी से लगभग 3 कि.मी. चढ़ने के बाद दो रास्ते दिखायी देते हैं। एक रास्ता भगवान आदिनाथ के मुख्य मंदिर की ओर जाता है और दूसरा रास्ता नव टँक मंदिर की ओर जाता है। मुख्य टँक की ओर जाने पर सर्वप्रथम रामपोल और वाघणपोल दिखाई देते है । आगे हाथीपोल में प्रवेश करते समय सूरजकुंड, भीमकुंड और ईश्वरकुंड दिखाई देते हैं।
इस पर्वत पर बने सभी मंदिर अलग-अलग विभागों में बँटे हैं। हरेक विभाग को टँक कहते हैं। एक-एक ट्रॅक में कुछ मंदिर और उनके चारों ओर बड़ी दीवार का कोट है। छोटे टँक में 3-4 मंदिर हैं। बड़ी ट्रॅक में लगभग 10 मंदिर हैं। मोतीशा की टँक में सोलह मंदिर हैं। इसके अलावा देरीयों में जो मंदिर हैं, वह अलग हैं। सबसे ज्यादा मंदिर आदीश्वर दादा की टँक में हैं। इस प्रकार इस पर्वत पर दस टँक हैं, इनके अलावा तलहटी पर धनवसही टँक है । इसके पास ही पावापुरी जलमंदिर की सुन्दर प्रतिकृती है । इन ग्यारह दूँकों के नाम निम्नलिखित हैं
1. श्री आदिनाथ प्रभु की मुख्य टँक, 2. मोतीशा टँक, 3. बालावसी, 4. प्रेमवसी, 5. हेमवसी, 6. उजमबाई की टँक, 7. साखरवसी, 8. छीपावसी, 9. चौमुखजी या सवासोमकी टँक, 10. खरतरवसही और 11. तलहटी पर धनवसही ।
इस सबमें सवासोमकी टँक में चौमुखजी का मंदिर सबसे ऊँचा है। यहाँ मुख्य मंदिर में मूलनायक प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ है। यह मंदिर बहुत प्राचीन है।
सवासोमकी टँक : शत्रुंजय पहाड़ पर यह सबसे ऊँची टँक है।
मोतीशाकी टँक : भ. आदिनाथ जी की टँक के बाद यह सबसे बड़ी टँक है। इसमें 16 जिनमंदिर और 123 छोटी देरियाँ हैं। मोतीवसही के मंदिर नलिनीगुल्म विमान आकार के हैं, उनके चारों ओर किले जैसा दीवारों का घेरा है।
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गुजरात
श्री शत्रुंजय तीर्थ ( पालीताना )
पेढ़ी :
सेठ आनंद जी कल्याण
जी पेढी
तलहटी सड़क,
मु. पो. पालीताना,
जि. भावनगर (गुजरात) फोन : (02848) 2148
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