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________________ जैन तीर्थ परिचायिका | गुजरात मूलनायक : श्री स्तंभन पार्श्वनाथ भगवान, नीलवर्ण, पद्मासनस्थ। जिला आनंद मार्गदर्शन : खंभात रेल्वे स्टेशन से मंदिर 1 कि.मी. दूर स्थित है। स्टेशन से टैक्सी, बस, रिक्शा आदि सभी सुविधाएँ उपलब्ध है। यहाँ से मातर तीर्थ 50 कि.मी., कलीकुंड तीर्थ 65 कि.मी. श्री खंभात तीर्थ दूर स्थित है। बड़ोदा से यह स्थान 80 कि.मी. दूरी पर है। यहाँ प्रात: 4.30 बजे से रात्रि पेढ़ी: 8 बजे तक बसों का आवागमन रहता है। यहाँ से श्रीमद् राजचन्द्र धाम 4 कि.मी. तथा श्री स्तंभन पार्श्वनाथ जैन शकरपुर तीर्थ 3 कि.मी. है। देरासर पेढी परिचय : यह एक प्राचीन नगरी है। इसी शहर के खारवाड़ा मोहल्ले में यह तीर्थ है। यहाँ पर खारवाड़ा, मु. पो. खंभात, अनेक चमत्कारी घटनाएँ घटी हैं। इसी प्रतिमा के न्हवणजल से श्री अभयदेवसूरी का शरीर वाया आनंद, जिला आनंद आ था। यहाँ का इतिहास गौरवशाली तथा प्राचीन है। कलिकाल सर्वज्ञ श्री (गुजरात) हेमचंद्राचार्य ने विक्रम संवत् 1125 में यहाँ पर दीक्षा ग्रहण की थी। मंत्री उदायन यहीं के फोन : 02698-20221, थे। जिन्होंने उदयन वसही नामक मंदिर निर्माण कराया था। विक्रम संवत् 1277 में वहाँ के 21816 दंडनायक वस्तुपाल ने ताड़पत्री पर कई ग्रंथ लिखवाये । यहाँ पर जगद्गुरु श्री हीरविजयसूरी जी, श्री सोमसुन्दर जी, श्री विजयसेन सूरी जी आदि आचार्यों ने अनेक जिनमंदिरों की प्रतिष्ठा करवायी तथा कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की। कविवर श्री ऋषभदास जी की भी यह जन्मभूमि है। यहाँ के दानवीर सेठ वाजीया, राजीया, श्रीराम और पर्वत आदि श्रेष्ठियों ने अकाल में अनेकों दानशालाएँ तथा भोजनशालाएँ खुलवाई थीं। यहाँ पर प्रतिवर्ष फाल्गुन शुक्ला तृतीया को वार्षिकोत्सव मनाया जाता है। पूजा का समय प्रातः 7 बजे है। ठहरने की व्यवस्था : ठहरने के लिये धर्मशालाएँ उपलब्ध हैं। 1. श्री जैन श्वेताम्बर धर्मशाला एवं भोजनशाला, फोन : 20477 2. श्री भांजेलाल अंबालाल जैन यात्रिक भवन एवं भोजनशाला, फोन : 20117 मार्गदर्शन : अंबाजी तीर्थ वैसे तो गुजरात में स्थित वैष्णव तीर्थ है परन्तु पर्यटन के दृष्टिकोण से जिला बनासकांठा इसे आबू के साथ देखा जाना सुविधाजनक है। आबू रोड स्टेशन से यह मात्र 23 कि.मी. दूर स्थित है। यहाँ से अंबाजी के लिए नियमित बस सेवा है। स्टेशन पर जीप, टैक्सी आदि श्री अंबाजी तीर्थ भी उपलब्ध हैं। अहमदाबाद, मेहसाणा से भी अंबाजी के लिए बस सेवा है। यह कुंभारिया जी से 1 कि.मी. दूर है। पेढ़ी: श्री अंबिका जैन भवन परिचय : प्रतिवर्ष यहाँ हजारों की संख्या में हिन्दू तथा जैन समाज के लोग आते हैं। मंदिर में अंबाजी, जि. बनासकांठा दर्शन के लिये बड़ी कतार लगती है। (गुजरात) पहाड़ी शहर अंबाजी में प्राचीन मंदिर के मूल स्थल पर ही सफेद धवल संगमरमरी पत्थरों फोन : (027412) 3109 से नया मन्दिर बना है। यहाँ की अधिष्टायिका देवी दुर्गा है। नटमन्दिर में एक विशाल कड़ाहे में पुरातन से दीपशिखा प्रज्ज्वलित हो रही है। मन्दिर के पीछे पवित्र देवी कुण्ड है। कुण्ड में स्नान के पश्चात् लोग देवी दर्शन करते हैं। प्रात: 8 से 12 तथा फिर शाम को मन्दिर के पट खुलते हैं। मन्दिर से 5 कि.मी. दूर आरण्यक पहाड़ी मार्ग पर देवी का मुख्य पीठ गहवर है। कहा जाता है कि पहाड़ी पर देवी दुर्गा ने हजार वर्षों तक शिव के लिए उपासना की थी। यहाँ माँ दर्गा का छोटा मन्दिर है मन्दिर तक खडी सीधी सीढियां हैं। डोली भी मिलती हैं। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibjar113
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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