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________________ राजस्थान | जैन तीर्थ परिचायिका परिचय : मालपुरा तीर्थ में तृतीय दादा गुरु श्री जिनकुशल सूरि जी म. की दादावाड़ी स्थित है। यह क्षेत्र चमत्कारिक क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है। मालपुरा में ही आदिनाथ भगवान का मन्दिर भी अत्यन्त चमत्कारिक है। यहाँ श्री वासूपूज्य भ. का मंन्दिर का निर्माण कार्य प्रगति पर है। गुरुदेव का हॉल 6200 वर्ग फिट का बिना खम्भे का बनाया गया है जिसकी भव्यता देखते ही बनती है। हॉल की छत अत्यन्त कलात्मक है। हॉल में ही गुरु चरण चौकी वाली छतरी के बाहर की ओर अष्टकोणीय आठ स्तम्भों की संगमरमर की सुन्दर कलात्मक छतरी तैयार की गयी है। दादावाड़ी के बाई ओर अम्बिका माता का मन्दिर बनाया गया है। साधु-साध्वियों हेतु यहाँ एक बड़ा उपाश्रय है। डिग्गी कस्बे में वैष्णवों का कल्याणजी का मन्दिर है जहाँ हजारों श्रद्धालु भक्त दर्शनार्थ आते हैं। ठहरने की व्यवस्था-दादावाड़ी में ठहरने हेतु कमरों की अच्छी व्यवस्था है। भोजन की व्यवस्था भी उपलब्ध है। जिला उदयपर मूलनायक : श्री शान्तिनाथ भगवान, श्यामवर्ण। । मार्गदर्शन : उदयपुर से 22 तथा सहस्रबाहु एवं एकलिंगजी से 2 कि.मी. तथा पुराना देलवाड़ा श्री अद्भुतजी तीर्थ से 7 कि.मी. तथा आयड से 20 कि.मी. दूरी पर यह तीर्थस्थान है। प्रत्येक 10 मिनट में (नागहृद) यहाँ बसों का आवागमन होता रहता है। उदयपर रेलवे स्टेशन से तीर्थ तक आने के लिए बस, टैक्सी आदि सुविधाएँ उपलब्ध हैं। पेढ़ी: श्री शान्तिनाथ जैन परिचय : किसी समय यह नगर मेवाड़ की राजधानी थी। मूलनायक प्रभु की पद्मासनस्थ विशाल श्वेताम्बर मंदिर, नागदा एवं सुन्दर प्रतिमा के दर्शन अन्यत्र दुर्लभ है। पहाड़ पर जंगल में प्राचीन मंदिरों के कलात्मक मु. पो. कैलाशपुरी, खंडहर दिखायी देते हैं। आज यहाँ खण्डहरों के रूप में अनेक जैन, विष्णु तथा शिव मन्दिर जि. उदयपुर (राजस्थान) दर्शनीय हैं। कुछ वर्षों से यतिवर्य श्री अद्भुत बाबा की प्रेरणा से यहाँ पर मंदिर जीर्णोद्धार फोन : (0294)77218 का कार्य चल रहा है। धर्मशाला का काम भी शुरू हुआ है। रिसोर्ट भी है। यहाँ से 2 कि.मी. पर बाजार है। उदयपुर में सभी सुविधाएँ हैं। यहाँ भोजनशाला में भोजन प्रात: 11 से 1 बजे एवं सायं 5 से 6.30 बजे तक उपलब्ध है। श्री आयड तीर्थ पेढ़ी: श्री जैन श्वेताम्बर महासभा जैन मंदिर आयडगाँव, मु. पो. उदयपुर (राजस्थान) मूलनायक : श्री आदीश्वर भगवान, श्वेतवर्ण। मार्गदर्शन : उदयपुर से यह तीर्थस्थान 1 कि.मी. दूरी पर है। यह उदयपुर का एक उपनगर है। परिचय : 4000 वर्ष प्राचीन संस्कृति के अवशेष यहाँ पुरातत्त्व विभाग द्वारा दिखाए जाते हैं। यह मंदिर विक्रम संवत् 1029 के पूर्व का है। इसके अलावा यहाँ चार और जिनमंदिर हैं। सारे मंदिर प्राचीन एवं कलात्मक हैं। उदयपुर ठहरकर यहाँ आना सुविधाजनक है। 108ucation International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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