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________________ राजस्थान जैन तीर्थ परिचायिका मार्गदर्शन : सवाई माधोपुर रेल्वे स्टेशन से लगभग 5 कि.मी. दूर सड़क से थोड़ा हटकर जिला सवाई माधोपर चमत्कार जी अतिशय क्षेत्र है। श्री चमत्कार जी परिचय : जनश्रुति के अनुसार विक्रम सं. 1887 में भाद्रपद कृष्णा 2 को नाथ सम्प्रदाय के एक योगी को स्वप्नानुसार एक बाग में भू-गर्भ से आदिनाथ भगवान की स्फटिक मणि की प्रतिमा प्राप्त हुई। जिस समय यह प्रतिमा प्रकट हुई उस समय यहाँ केशर की वर्षा हुई थी। बाद में यह प्रतिमा जैनों द्वारा बनवाए गये मन्दिर में प्रतिष्ठित की गई व बाग में चरण बनवाये गये। यहाँ के चमत्कारों की अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। अनेक जैन व जैनेतर बंधु यहाँ मनौती मनाने आते हैं। यहाँ के दर्शनों से सवाई माधोपुर के श्री नसीरुद्दीन व श्री सफारुद्दीन की मनोकामना पूर्ण हुई थी। उन्होंने यहाँ छतरियों का निर्माण करवाया था। ये छतरियाँ अब भी विद्यमान हैं। ठहरने की व्यवस्था : यहाँ समस्त सुविधाओं से सम्पन्न एक धर्मशाला है। यहाँ वर्ष में पाँच मेले लगते हैं। रणथम्भौर सवाई माधोपुर से लगभग 14 कि.मी. दूर रणथम्भौर का प्राचीन एवं ऐतिहासिक किला है। इस किले में एक प्राचीन जैन मन्दिर है। इसमें चन्द्र प्रभु भगवान की विक्रम संवत् 10 की श्वेत पाषाण की पद्मासन प्रतिमा है। यहाँ वन्य जीव अभयारण्य बना है। फिर भी रणथम्भौर की ख्याति इसमें दुर्ग के लिए हैं। रणथम्भौर की पहाड़ी ढाल पर पदम्, रामबाग व मिलाक तीन तालाब हैं। जहाँ जंगली पशु पानी के लिए आते हैं। पर्यटकों का आकर्षण केन्द्र यही है। उद्यान में प्रवेश योगी महल पर 10/- का टिकट खरीदने पर मिलता है। यहाँ से 5 कि.मी. दूर नीलकण्ठ महादेव मन्दिर भी देखा जा सकता है। शेरपुर रणथम्भौर से 3-4 कि.मी. दूरी पर शेरपुर है। यहाँ एक अतिशय पूर्ण जैन मन्दिर है। इसमें मूलनायक भगवान पार्श्वनाथ जी की विक्रम सं. 15 की मनोज्ञ प्रतिमा है। इसके अतिशयों की अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। खण्डार जी शेरपुर से 8-9 कि.मी. तथा सवाई माधोपुर से 30 कि.मी. दूर पहाड़ की तलहटी में स्थित खण्डार जी अतिशय क्षेत्र है। यह एक पहाड़ी क्षेत्र है तथा पहाड़ पर प्राचीन जिन मन्दिर है। यहाँ चट्टानों पर डेढ़ मीटर अवगाहना की चार प्रतिमाएँ उत्कीर्ण हैं । ये विक्रम संवत् 20 से 30 तक की बताई जाती है। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibr 95
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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