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________________ राजस्थान जैन तीर्थ परिचायिका (5) संवत् 1755 के लगभग ज्ञान विमल सूरी जी रचित "तीर्थमाला" में कोरटाई में । जीवित महावीर स्वामी की मूर्ति होनी चाहिए। (6) भोजराज के पंडितरत्न श्री धनपाल ने संवत् 1086 के करीब सत्यपूरी श्री महावीर स्वामी ग्रंथ में लिखा है। कोरटाजी तीर्थ का स्मरण किया है। अन्य विशेषता-श्री आदिनाथ मन्दिर के ठीक सामने विशाल धर्मशाला में भूगर्भ से अति प्राचीन कलाकृतियों का अनूठा संग्रहालय धर्मशाला आया हुआ है जो दर्शनीय है। कार्तिक सुद 15 (पूनम) व चैत्र महीने की पूनम को भव्य मेलों का आयोजन होता है। सैकड़ों यात्रीगण दर्शनार्थ के लिए आते रहते हैं। ठहरने की व्यवस्था : मंदिर के सामने धर्मशाला है। श्री आदिनाथ जी मन्दिर में भी धर्मशाला है। यहाँ भोजनशाला की व्यवस्था है। तथा पेढ़ी पर भाता की व्यवस्था हो जाती है। श्री तखतगढ़ तीर्थ मूलनायक : श्री आदिनाथ भगवान, श्वेत वर्ण मार्गदर्शन : तखतगढ़ सांडेराव से 16 कि.मी. सांडेराव-आहोर मार्ग पर स्थित है। तखतगढ़ से आहोर 20 कि.मी. तथा आहोर से जालोर 20 कि.मी. दूर स्थित है। परिचय : तखतगढ़ गाँव में स्थित प्राचीन मन्दिर के निकट ही अन्य मन्दिर भी दर्शनीय है। मुख्य मन्दिर में कलात्मकता एवं सौंदर्य का अत्यन्त मनमोहक साम्य है। संगमरमर का मार्ग अत्यन्त मनभावन और सुन्दर कला का नमूना है। ठहरने की व्यवस्था : जानकारी उपलब्ध नहीं। जालोर से सांडेराव आते-जाते दर्शन किये जा सकते हैं। श्री सेसली तीर्थ पेढ़ी: श्री मनमोहन पार्श्वनाथ जैन पेढी मु. पो. सेसली, ता. बाली जि. पाली (राजस्थान) फोन : 02938-22069 (सेसली); 0293822029 (बाली) मूलनायक : श्री पार्श्वनाथ भगवान, श्वेतवर्ण। मार्गदर्शन : फालना से 10 कि.मी. दूरी पर पुनडिया गाँव के पास मीठडी नदी के किनारे बसे । हुए सेसली गाँव के मध्य में यह स्थान है। भद्रंग नगर (लुणावा) यहाँ से 0.5 कि.मी. दूर। है। बाली से यह स्थान मात्र 3 कि.मी. दूर स्थित है। फालना स्टेशन से टैक्सी. रिक्शा, ताँगा आदि साधन मिल जाते हैं। परिचय : प्रभु प्रतिमा की कला मनमोहक और प्रभावशाली है। इस तीर्थ की स्थापना विक्रम संवत् 1187 में हुई थी। पूजा का समय प्रातः 7 बजे है। ठहरने की व्यवस्था : यहाँ धर्मशाला है। भोजनशाला प्रातः 11 बजे से उपलब्ध रहती है। जिला राजसमन्द मूलनायक : श्री आदिनाथ भगवान श्वेतवर्ण। __ मार्गदर्शन : उदयपुर से 89 कि.मी., फालना से 32 कि.मी. और जोधपुर से 160 कि.मी., सादड़ी श्री राणकपुर तीर्थ से 8 कि.मी., घाणेराव से 16 कि.मी. तथा हथुण्डी से 32 कि.मी. दूर यह तीर्थस्थली स्थित है। पेढ़ी : परिचय : स्थापत्यकला की दृष्टि से राणकपुर का धरणविहार मंदिर विश्व में अद्वितीय है। सेठ श्री आनंदजी कल्याणजी पेढी इस मंदिर के शिखरों, गंबजों और छतों में भी कलाविज्ञ और भक्तिशील शिल्पियों की। मु. पो. राणकपुर, मुलायम छेनियों ने कई पुरातन कथा प्रसंगों को सजीव किया है; नये शिल्प अंकित किये जि. राजसमन्द (राज.) हैं। इस मंदिर में स्थित सहस्रफणा पार्श्वनाथ तथा सहस्रकूट के कलापूर्ण शिलापट्ट अति फोन : (02934) 3619 मनमोहक एवं दर्शनीय हैं। 92 Jain Edlication International 2010 03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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