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________________ राजस्थान जैन तीर्थ परिचायिका मूलनायक : भगवान शान्तिनाथ जी। झालरापाटन मार्गदर्शन : झालावाड़ रोड स्टेशन से 30 कि.मी. पक्की सड़क व नियमित बस सेवा द्वारा जुड़ा झालरापाटन एक अतिशय क्षेत्र है तथा सड़क मार्ग द्वारा अजमेर, जयपुर, कोटा आदि से भी पेढ़ी: श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जुड़ा हुआ है। बसों का आवागमन निरन्तर है। यह झालावाड़ से 6 कि.मी. तथा चाँदखेड़ी जैन मन्दिर से 45 कि.मी. दूर स्थित है। यह नगर के मध्य स्थित है। झालरापाटन नगर, परिचय : यहाँ विशाल ऊँचे शिखर वाले भव्य जिन मन्दिर जिसमें मलनायक भगवान शान्तिनाथ जि. झालावाड़-326 023 जी की पौने तीन मीटर ऊँची प्रतिमा अति मनमोहक है। पजा का समय प्रातः 7 से 9 बजे (राजस्थान तक है। प्राचीन काल में इस स्थान पर सन् 1044 में निर्मित शान्तिनाथ भगवान का मन्दिर था। वर्तमान मन्दिर प्राचीन मन्दिर के स्थान पर ही बना हुआ है। द्वार पर दो विशाल श्वेत वर्ण हाथी चौकीदार की भाँति खड़े हैं। मन्दिर में तीन ओर 15 वेदियाँ हैं यहाँ हस्तलिखित ग्रन्थों का विशाल भण्डार व अनेक प्राचीन मूर्तियाँ भी दर्शनीय हैं। नगर में 4 अन्य जिन मन्दिर हैं यहाँ अनेक धार्मिक व सार्वजनिक संस्थाएँ भी कार्यरत हैं। इनमें ऐलक पन्नालाल जी द्वारा संवत् 1972 में स्थापित 'श्री ऐलक पन्नालाल दिगम्बर जैन सरस्वती भवन' उल्लेखनीय है। इसकी एक शाखा ब्यावर, उज्जैन आदि में भी है। यहाँ पर 10वीं शताब्दी में निर्मित तीनों स्थानों पर 15000 हस्तलिखित व मुद्रित पुस्तकें संग्रहीत हैं। ठहरने की व्यवस्था : नगर में लक्ष्मणलाल दिगम्बर जैन धर्मशाला समस्त सविधाओं से सम्पन्न है। चम्बल नदी के तट पर बसा कोटा शहर अपने बाँध के लिए भी प्रसिद्ध है। शहर के मध्य में जिला कोटा पुराना दुर्ग है। गढ़ (पैलेस फोर्ट) पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र है। दुर्ग के प्रवेश द्वार पर म्यूजियम है। कोटा उद्यान में मगरमच्छ का तालाब व वृक्षों को दी गयी जीव- काटा. जन्तुओं की आकृति से दृश्य अति मनोरम हो गया है। अमर निवास में चम्बल उद्यान अत्यन्त रमणीक पिकनिक स्थल है। यहाँ पर नौका विहार की सुविधा भी उपलब्ध है। टूरिस्ट बंगले के निकट ही ब्रिज राजभवन महल, राजाओं की समाधि, विलास उद्यान तथा कोटा सरोवर में द्वीप महल दर्शनीय है। दुर्लभ चतुर्मुखी शिवलिंग का दर्शन लाभ कांसुआ मंदिर में लिया जा सकता है। नाथद्वारा, जयपुर, अजमेर, जोधपुर, उदयपुर, भोपाल, इन्दौर आदि राज्यों से कोटा बस मार्ग द्वारा नियमित सम्पर्क में है। ट्रेन द्वारा यह मुम्बई, आगरा, दिल्ली आदि अनेकों प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। कोटा में हवाई सेवा भी उपलब्ध है। कोटा की साड़ी जग ख्याति प्राप्त है। यहाँ ठहरने हेतु राजस्थान टूरिज्म के होटल, अन्य अनेकों होटल उच्च एवं मध्यम दरों पर उपलब्ध हैं। शहर में धर्मशालाएँ भी हैं। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jaineli Storg
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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