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________________ राजस्थान जिला करौली श्री महावीरजी तीर्थ (श्री चांदनपुर तीर्थ) पेढ़ी: श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी मु. पो. श्री महावीरजी, (चांदनपुर गाँव) जि. करौली (राजस्थान) फोन : 07469-24323 जैन तीर्थ परिचायिका मूलनायक : श्री महावीर स्वामी भगवान, ताम्रवर्ण। मार्गदर्शन : यह तीर्थ राजस्थान के जिला करौली में स्थित है। करौली को हाल ही जिला बनाया गया है। पूर्व में यह तीर्थ जिला सवाईमाधोपुर में था। मुम्बई-दिल्ली रेल्वे मार्ग पर श्री महावीर जी रेल्वे स्टेशन है। विश्व प्रसिद्ध अतिशय तीर्थ क्षेत्र श्री महावीर जी पश्चिमी रेल्वे के भरतपुर-गंगापुर रेल्वे मार्ग पर श्री महावीर जी रेल्वे स्टेशन से 7 कि.मी. दूर चाँदनपुर गाँव के गंभीर नदी के तट पर स्थित है। स्टेशन से मन्दिर तक का मार्ग पक्की सड़क द्वारा जुड़ा है। ताँगे की सवारी भी उपलब्ध रहती है। स्टेशन पर कई गाड़ियाँ रुकती हैं। प्रत्येक गाड़ी पर यात्रियों हेतु बड़े मंदिर तक जाने व स्टेशन आने के लिए निःशुल्क बस सेवा उपलब्ध है। करौली जिले में स्थित इस क्षेत्र से सड़क मार्ग द्वारा जयपुर 140 कि.मी., आगरा 170 कि.मी., दिल्ली 300 कि.मी. तथा महुआ 60 कि.मी. दूर स्थित है। दिल्ली, आगरा, जयपुर, तिजारा, भरतपुर. मथुरा हस्तिनापुर, पदमपुरा, ग्वालियर, सोनागिरी, मेरठ आदि स्थानों से नियमित बस सेवा द्वारा जुड़ा हुआ है। परिचय : यह अतिशय क्षेत्र राजस्थान का सर्वाधिक व्यवस्थित एवं उन्नतिशील तीर्थ माना जाता है। यह प्रतिमा एक टीले पर भूगर्भ से प्राप्त हुई थी। कहा जाता है कि एक ग्वाले की गाय उस टीले पर जाकर सारा दूध झर देती थी। वहाँ पर खोदकर देखा गया, तब यह प्रतिमा मिली। इस प्रतिमा के दर्शन करने से ही भक्तजनों की मनोकामना पूर्ण होने लगी, इसलिए यहाँ भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। यहाँ चैत्र शुक्ला त्रयोदशी से वैशाख कृष्ण प्रतिपदा तक बड़ा मेला लगता है। इस अवसर पर लाखों की संख्या में जैन-जैनेतर लोग अपने श्रद्धासुमन चढ़ाने आते हैं। श्री महावीर जी का मन्दिर एक सुन्दर कटले के मध्य में हैं। अन्य देवालय-यहाँ तीर्थ क्षेत्र के मुख्य जिन मंदिर के अतिरिक्त तीन जिनालय (मंदिर) और हैं। गम्भीर नदी के दोनों तटों पर स्थित जिनालयों में शांतिवीर नगर में बना विशाल मंदिर बहदाकार खडगासन जिन प्रतिमाओं का दर्शनीय केन्द्र है। यहाँ मंदिर के विशाल प्रांगण में प्रतिष्ठित 16वें तीर्थंकर श्री शान्तिनाथ की श्वेत संगमरमर पाषाण की प्रतिमा है। मंदिर में अन्य खड़गासन प्रतिमाओं के अतिरिक्त लघु वेदियों में विभिन्न 24 तीर्थंकरों एवं जैन देव-देवियों की प्रतिमाएँ हैं। एक जिनालय इस मंदिर के सामने है जो श्री कीर्ति आश्रम के नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त श्री पार्श्वनाथ जिनालय भी है जिसमें काँच की सुन्दर रंगीन पच्चीकारी-चित्रकारी में जैन तीर्थंकरों एवं मुनियों के विभिन्न भावों को दर्शाया गया है। इस मंदिर के साथ ही ब्रह्मचारिणी कमला बाई द्वारा संचालित आदर्श महिला महाविद्यालय है। इसके अतिरिक्त मुख्य मंदिर के पश्चिम में कृष्णा बाई का आश्रम है एवं जिन मंदिर है। चलती ट्रेन से भगवान के दर्शन-दिल्ली-बम्बई ब्रॉडगेज लाइन पर स्थित श्री महावीरजी रेल्वे स्टेशन पर चलती ट्रेन से भगवान श्री के दर्शन की व्यवस्था की गयी है। स्टेशन के प्लेटफार्म पर एक पन्द्रह फीट ऊँचे विशाल चित्र स्तम्भ में स्थाई रूप से भगवान महावीर के 4 x 6 फीट साइज के बड़े चित्र, तीर्थ क्षेत्र के विहंगम चित्रों के साथ लगाये गये हैं। स्तम्भ के दोनों ओर चित्र हैं और यात्रीगण बिना प्लेटफार्म पर उतरे, बैठे-बैठे ही ट्रेन से भगवान महावीर के दर्शन कर अपने आपको सौभाग्यशाली समझते हैं। क्षेत्र कमेटी ने ही "महावीर दर्शन" नामक इस चित्र स्तम्भ का निर्माण किया है। राजस्थान के कत्थई रंग के ग्रेनाइट पत्थर से बने इस स्तम्भ के बीच किंक्रल ग्लास में जड़ित बड़े चित्र लगाये गये हैं। रात्रि के समय दोनों ओर से चित्र स्पष्ट दिखाई दे सकें, इसके लिए रोशनी का आवश्यक प्रबन्धक भी किया गया है। यह स्तम्भ अत्यन्त मनोहर, कलापूर्ण और आकर्षक है। Jai 82 ufation International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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