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________________ जैन तीर्थ परिचायिका राजस्थान मूलनायक : श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान श्वेतवर्ण। जिला जोधपुर मार्गदर्शन : जोधपुर से, भोपालगढ़ मार्ग पर, 35 कि.मी. दूरी पर यह स्थान है। यहाँ से बनाड़ 20 कि.मी., ओसियाँ जी 30 कि.मी., कापरडाजी 65 कि.मी. दूर है। मंदिर से बस स्टैण्ड : श्री गंगाणी तीर्थ लगभग 200 मी. दूरी पर स्थित है। प्रातः 8 बजे, दोपहर 12 बजे तथा 2.30 बजे जोधपुर से गंगाणी बस जाती है। तथा प्रातः 10 बजे, दोपहर 1 बजे तथा 4.30 बजे गंगाणी से पढ़ा : जोधपुर बस सेवा है। श्री जैन श्वेताम्बर प्राचीन तीर्थ परिचय : इस मंदिर का निर्माण संप्रति राजा द्वारा किया गया था ऐसी मान्यता है। यह तीर्थ 2,250 मु. पो. गंगाणी, वर्ष प्राचीन है। बाद में कई बार इसका जीर्णोद्धार हुआ। यह मंदिर भव्य एवं दो मंजिला तहसील भोपालगढ़ है। प्रतिवर्ष यहाँ होली के पश्चात् चैत्र कृष्णा सप्तमी को मेला लगता है। पूजा का समय जि. जोधपुर (राजस्थान) जाड़ों में प्रात: 7 बजे तथा गर्मियों में 6.30 बजे है। ठहरने की व्यवस्था : यहाँ पर सुविधायुक्त धर्मशाला, भोजनशाला है। धर्मशाला में 24 कमरे हैं। भोजनशाला में भाता की व्यवस्था नहीं है। श्री ओसियाँ तीर्थ मूलनायक : श्री महावीर स्वामी सुवर्ण वर्ण। मार्गदर्शन : ओसियाँ रेल्वे स्टेशन जोधपुर-जैसलमेर मार्ग पर स्थित है। जोधपुर यहाँ से 66 कि.मी. दूरी पर है। जोधपुर से गंगाणी तीर्थ के दर्शन करते हुए भी ओसियाँ पहुँचा जा सकता है। परिचय : आचार्य श्री रत्नप्रभसूरी जी म. के उपदेश से यहाँ के राजा उपलदेव, मंत्री उहड और अनेक लोगों ने जैनधर्म अंगीकार किया था। ओसवाल वंश का यह उत्पत्ति स्थान है। यहाँ का मंदिर वीर प्रभु निर्वाण के लगभग 70 वर्ष बाद बना। समय-समय पर यहाँ जीर्णोद्धार हुआ। ओसवाल वंश का उद्गम स्थल होने के कारण इसकी बहुत मान्यता है। इस मंदिर में पुनिया बाबा के नाम से श्री अधिष्टायक देव की प्रतिमा नाग-नागिन के रूप में विराजमान पेढ़ी : 1. सेठ श्री मंगलसिंह जी रतनसिंह जी देवकी पेढी ट्रस्ट मु. पो. ओसियाँ, जिला जोधपुर (राज.) फोन : 02922-4260 2. सच्चियाय माता ट्रस्ट फान : 02922-4260 इस मंदिर से कुछ दूरी पर ओसवाल समाज की कलमाता श्री सच्चियाय (ओसिया) माता का मंदिर है। माता का मंदिर छोटी-सी पहड़ी पर है, ऊपर जाने के लिये सीढ़ियों का रास्ता बना है। जोधपुर यहाँ से नजदीक होने के कारण विदेशी पर्यटक भी यहाँ आते हैं। ठहरने की व्यवस्था : यहाँ धर्मशाला एवं भोजनशाला की सुविधा है। दर्शनीय स्थल : ब्राह्मण व जैन धर्म के 16 मन्दिरों के ध्वंसावशेष के लिए ओसियाँ की ख्याति है। 8 से 11वीं शताब्दी में निर्मित हरिहर, सूर्य महावीर, शचियामाता व जैन मन्दिर मध्ययुगीन स्थापत्य -शैली की उत्कृष्टता के अपूर्व प्रतीक के रूप में उस युग की स्मृति को ताजा कर देते हैं। वैसे, अन्तिम जैन तीर्थंकर महावीर का वैचित्र्य से भरा जैन मन्दिर ओसियाँ का अन्यतम दर्शनीय मन्दिर है। सच्चियायमाता के मन्दिर में पुत्र की कामना के लिए आज भी दूर-दराज से महिलाएं आती हैं। नागौर जोधपुर मार्ग पर जोधपुर से 74 कि.मी. दर शिव मन्दिर भी देखने योग्य है। 15वीं शताब्दी में राव जोधा द्वारा निर्मित दुर्ग, चतुर्भुज मन्दिर, विध्वस्त शिव मन्दिर के ऊपर औरंगजेब की बनायी गयी मस्जिद, दूध सागर सरोवर, मौनी बाबा का आश्रम व छतरी के लिए नागौर की प्रसिद्धि है। ठहरने के लिए डाक बंगला व धर्मशाला है। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibraryorg
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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