SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 104
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ राजस्थान | जैन तीर्थ परिचायिका थीरूशाह ने करवाया। यहाँ की दोनों प्रतिमाएँ उन्होंने पाटण के कारीगर को मूर्ति के वजन का सोना देकर ली थीं। दोनों मूर्तियाँ बहुत ही सुन्दर हैं। साथ ही यहाँ की कल्पवृक्ष की रचना दर्शनीय है। लकड़ी के इस कल्पवृक्ष पर पत्ते, फल और पक्षी बने हैं। यहाँ के पत्थरों पर बारीक जालियों की विविधता कलाकारों की उच्च ज्ञान की साक्षी हैं। मन्दिर के बाहर छोटे-छोटे 4 मन्दिर बने हैं। ठहरने की व्यवस्था : मंदिर के नजदीक धर्मशाला, भोजनशाला है। श्री ब्रह्मसागर तीर्थ मूलनायक : श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथ, श्वेतवर्ण । मार्गदर्शन : जैसलमेर से 15 कि.मी. दूरी पर बागसा मार्ग पर यह तीर्थस्थान है। लोद्रवपुर से भी पेढ़ी: यहाँ जा सकते हैं । लोद्रवपुर तीर्थ यहाँ से लगभग 10 कि.मी. है। जैसलमेर से प्रातः से शाम श्री दादा जिन तक बसों का आवागमन रहता है। ट्रस्ट कशलधाम, पो. ब्रह्मसर, परिचय : ब्रह्मसर गाँव में मन्दिर के निकट ही वैशाखी नामक वैष्णव तीर्थ स्थल है जो जि. जैसलमेर (राजस्थान) बौद्धकालीन है। श्री दादागुरु जिनकुशलसूरी जी म. की दादावाड़ी है। दादावाड़ी में पानी का फोन : 02992-52171 कुंड है जो अकाल के समय भी हमेशा स्वच्छ, निर्मल जल से भरा रहता है। (पी.पी.) ठहरने की व्यवस्था : एक धर्मशाला है। जिसमें 40 कमरे अटैच्ड बाथ, 4 बड़े हॉल हैं। भोजनशाला उपलब्ध है। नाश्ता प्रात: 9 बजे तथा भोजन 11 से 2 बजे एवं 5 बजे से सूर्यास्त तक उपलब्ध रहता है। श्री रामदेवजी तीर्थ जैन और जैनेतर समाज में श्री रामदेव जी बाबा की बहुत मान्यता है। यहाँ भक्तजन दर्शन करने और मनौती हेतु पधारते हैं। यह स्थान जैसलमेर से 126 कि.मी. तथा पोकरण से 10 कि.मी. दूरी पर स्थित है। जैसलमेर से पोकरण, रामदेवरा होते हुए फलोदी, ओसियाँ से जोधपुर पहुँचा जा सकता है। रामदेवरा से फलोदी 58 कि.मी. तथा फलोदी से ओसियाँ 68 कि.मी. तथा ओसियाँ से जोधपुर 66 कि.मी. दूरी पर स्थित है। मंदिर की ओर जाने वाले रास्ते के दोनों तरफ दुकानें एवं होटल हैं। यहाँ ठहरने हेतु धर्मशाला है। श्री पोकरण तीर्थ मूलनायक : श्री पार्श्वनाथ भगवान, श्वेतवर्ण। मार्गदर्शन : जैसलमेर बीकानेर राष्ट्रीय मार्ग (15) पर जैसलमेर से 112 कि.मी. दूरी पर यह पेढ़ी: स्थान है। यहाँ का रेल्वे स्टेशन पोकरण मंदिर से लगभग 1 कि.मी. दूर स्थित है। श्री जैसलमेर लोद्रवपुर पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर परिचय : मंदिर की प्रतिष्ठा विक्रम संवत् 1548 में हुई थी। बाद में इसका जीर्णोद्धार होकर फिर ट्रस्ट से विक्रम संवत् 1883 में प्रतिष्ठा संपन्न हुई। यह जेसलमेर पंचतीर्थी का एक स्थान माना मु. पो. पोकरण, जाता है। यहाँ पर लाल पत्थर की बनी इमारतों में नक्काशी का काम देखने योग्य है। इनके जि. जैसलमेर (राजस्थान) अतिरिक्त यहाँ दो अन्य मंदिर हैं तथा गाँव के बाहर दादावाडी है। ठहरने की व्यवस्था : मंदिर के पास सुविधायुक्त धर्मशाला है। 76 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy