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राजस्थान
जैन तीर्थ परिचायिका सरोवर के मध्य मार्ग पर एक विशाल द्वार (गेट) बना हुआ है। इसे टीलों की पोल या प्रोल कहा जाता है। जैसलमेर का एक और आकर्षण फरवरी में पूर्णिमा को होने वाला 3 दिवसीय मरु-उत्सव है। विभिन्न प्रकार के नृत्यों की ताल, गीतों के लय पर जैसलमेर झूम उठता है। उत्सवकाल में दूर-दराज के गाँवों से ग्रामीण अपनी परम्परागत पोशाकों में उत्सव का आनन्द लेने आते हैं। हस्तशिल्प की वस्तुओं की खरीद-बिक्री होती है। रेल्वे स्टेशन पार कर शहर में प्रवेश करते ही राजस्थान टूरिज्म का मूमल होटल है। आधा कि.मी. जाने पर बस स्टैण्ड है। और टैक्सी स्टैण्ड अमर सागर गेट के निकट है। बस स्टैण्ड पार करते ही बाजार तथा शहर है। बस स्टैण्ड के आसपास ही होटलों का जमावड़ा है। जैसलमेर में अक्टूबर से मार्च तक की अवधि के बाद होटलों की दरें आधी से भी कम हो
जाती है। सम के धोरे
जैसलमेर से 44 कि.मी. की दूरी पर सम के धोरे हैं। कनोई गाँव और सम गाँव के मध्य लगभग 2.5 कि.मी. लम्बे तथा 1.5 कि.मी. चौड़े विशाल रेत के टीले हैं। सायंकालीन सूर्यास्त का नयनाभिराम दृश्य तथा रंग बदलते धोरों का सायंकालीन दृश्य देखते ही बनता है। यहाँ पर आप ऊँट की सवारी कर सकते हैं। प्रति ऊँट 50/- रु. लिया जाता है। यहाँ पर आर.टी.डी.सी. का होटल भी बना है। राजस्थानी भोजन मूलसागर ढाणी पर हर समय उपलब्ध रहता है। आजकल सम में 2/- रु. प्रति दर्शक सहायता शुल्क लिया जाता है।
मूलनायक : प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ श्वेतवर्ण।
श्री अमर सागर मार्गदर्शन : जैसलमेर से लोद्रवपुर जाते हुए मार्ग पर 5 कि.मी. दूरी पर यह स्थान है। यहाँ तीर्थ
जैसलमेर रेल्वे स्टेशन 5 कि.मी. दूर है। परिचय : यह मन्दिर गाँव में तालाब के निकट स्थित है। यहाँ की प्रतिमा संप्रति राजा के समय
पेढ़ी: की मानी जाती है। इसके अतिरिक्त तालाब के किनारे अन्य दो जिनमंदिर हैं। यहाँ सक्ष्म श्राज जाली का काम दर्शनीय है। यहाँ दो दादावाड़ियाँ भी हैं जिनमें दादा गुरुदेव श्री जिनकुशल
पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर सूरीश्वर जी के चरण स्थापित हैं। शिल्पकला की दृष्टि से यह मन्दिर श्रेष्ठ है।
ट्रस्ट, महावीर भवन,
मु. पो. जैसलमेर ठहरने की व्यवस्था : यहाँ निवास की कोई व्यवस्था नहीं है। जैसलमेर में ठहरकर यहाँ आना (राजस्थान)
सुविधाजनक है।
श्री जैसलमेर लोद्रवपर
नमंदिर हैं। यहाँ सक्षम
मूलनायक : श्री सहस्रफणा चिंतामणि पार्श्वनाथ, श्यामवर्ण।
श्री लोद्रवपुर तीर्थ मार्गदर्शन : जैसलमेर से 16 कि.मी. दूरी पर यह स्थान है। यात्रीगण अपनी गाड़ी या जैसलमेर पेढी :
से टैक्सी लेकर अमर सागर, लोद्रवपुर (लोद्रुवा), ब्रह्मसागर (ब्रह्मसर) आदि तीर्थों की श्री जैसलमेर लोद्रवपुर यात्रा करते हैं।
पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर परिचय : जैसलमेर पंचतीर्थी का प्राचीनतम मंदिर लोद्रवा तीर्थ है। यह एक चमत्कारी तीर्थ के ट्रस्ट
रूप में प्रसिद्ध है। यहाँ काली कसौटी पत्थर की श्री सहस्रफणा चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान मु. पो. लोद्रवपुर, की एक जैसी दो प्रतिमाएँ हैं। जिसमें से एक प्रमुख गर्भगृह में तथा दूसरी पड़ोस के गर्भगृह जि. जैसलमेर (राजस्थान) में है। मंदिर के सामने भव्य तोरण है। यहाँ के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार दानवीर श्रेष्ठी फोन : (02992) 40165
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