________________
4.
१-धर्म को अधर्म समझने वाला मिथ्यात्वी २-अधर्म को धर्म समझने वाला मिथ्यात्वी
-साधु को असाधु समझने वाला मिथ्यात्वी ४-असाधु को साघु समझने वाला मिथ्यात्वो ५-मार्ग को कुमार्ग' समझने वाला मिथ्यात्वी ६-कुमार्ग को मार्ग समझने वाला मिथ्यात्वी ७-जीवको अजीव समझने वाला मिथ्यात्वी ८-अजीव को जीव समझने वाला मिथ्यात्वी ६-मुक्त को अमुक्त समझने वाला मिथ्यात्वी १०-अमुक्त को मुक्त समझने वाला मिथ्यात्वी
उपर्युक्त कहे गये दस बोलों में से एक अथवा दो यावत् दस बोलों पर विपरीत श्रद्धा रखने वाले को मिथ्यात्वी कहा जाता है। मिथ्यात्वी का दूसरा नाम मिध्यादृष्टि है। मिथ्यादृष्टि जीव है : यहाँ पर मिथ्या, वितथ, व्यलीक और असत्य एकार्थवाची नाम है। दृष्टि शब्द का अर्थ दर्शन या श्रद्धान है। जिन जीवों के विपरीत, एकान्त, विनय, संशय और अज्ञान रूप मिथ्यात्व कर्म के उदय से उत्पन्न हुई मिथ्यारूप दृष्टि होती है उन्हें मिथ्यादृष्टि जीव कहते प्रकर्षापकर्षकृत : स्वरूपभेदः, तिष्टन्त्यस्मिन् गुणा इति कृत्वा गुणानां स्थानंगुणस्थानं, मिथ्यादृष्टिगुणस्थानं मिथ्यादृष्टि गुणस्थानं, ननु यस्य भगवति सर्वज्ञ प्रत्ययनाशात्, उक्तंच___ सूत्रोक्त स्यैकस्याप्य रोचनादक्षरस्य भवति नरो मिथ्यादृष्टिः, सूत्र हि यदि तस्य न प्रमाणं जिनाभिहितं. किं पुनः शेषोभगवदर्हदभिहित यथावज्जीवाऽजीवादिवस्तुतत्वप्रतिपत्तिनिर्णयः ? ननु सकलप्रवचनार्थीऽमिरोचनात्तद्गतकतिपदार्थानां चारोचनादेषन्यायतः सम्यभिथ्यादृष्टिरेव भवितुमर्हतिकथं मिथ्यादृष्टिः ? तदऽसत्, वस्तुतत्वाऽपरिज्ञानात् ।xxx। यदापुनरेकस्मिन्नपि वस्तुनिपर्या येवाएकांततो वि. प्रतिपद्यते, तदा स मिथ्यादृष्टिरेवेत्यदोषः ।
पंचसंग्रह भाग १ । पृ० ४१ में ४३
Jain Education International 2010_03
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org