SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 132
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ १०५ ] कषायोपलक्षणं ततो मायिन इति किमुक्तकं भवति ? -- अनन्तानुबंधिकषायोदयवन्तः अतएव मिध्यादृष्टयः । - प्रज्ञापना पद १७/ उ १। सू ११४२ टीका अर्थात् तिर्यच योनि में प्रायः माया वाले मिध्यादृष्टि जीव उत्पन्न होते हैं । शिवशर्माचार्य ने कहा है - "उम्मार्ग का उपदेशक, मार्ग का नाशक, गूढ हृदय वाला, माया वाला, शठस्वभाव वाला और शल्म युक्त जीव ( मिथ्यादृष्टि ) तियंच के आयुष्य का बंधन करता है । माया शब्द अनंतानुबंधीय कषाय चतुष्क का उपलक्षण है । माया वाला अर्थात् अनंतानुबंधीय कषायोदय वाला मिथ्यादृष्टि होता है । जो जीव जिसका के द्रव्यों को ग्रहण करके काल करता है वह उसी लक्ष्या में जाकर उत्पन्न होता है । यहाँ यह समझना आवश्यक है कि सभी लेश्याओं की प्रथम तथा अन्तिम समय की परिणति में किसी भी जीव की परभव में उत्पत्ति नहीं होती है । लेश्या को परिणति के बाद अन्तर्मुहूत्तं व्यतीत होने पर और अन्तर्मुहूर्तं शेष रहने पर जीव परलोक में जाता है । यद्यपि fararat के भी लेश्या परिणाम की विविधता है । उसके छओं लेदया के परिणाम - तीन प्रकार के, नौ प्रकार के, सत्तावीस प्रकार के, इक्यासी प्रकार के, दो सौ तेतालीस प्रकार के, बहु, बहुप्रकार के परिणाम होते हैं ।' मिथ्यात्व के छओं लेश्याओं के स्थान प्रत्येक के असंख्यात स्थान होते हैं । मिथ्यात्वी के क्षायोपशमिक भाव रूप विशुद्ध लेक्या होती है किन्तु बोपशमिक और क्षायिक रूप नहीं । कहा है Steenbe मोहृदय खओवसमोवसमखयज जीवफंदणं भावो । - गोम्मट० जीवकांड गा ५३५ उत्तरार्ध अर्थात् मोहनीय कर्म के उदय क्षयोपशम, उपशम, क्षय से जो जीव के प्रदेशों की चंचलता होती है उसको भावलेश्या कहते हैं । अन्तद्वीपज मनुष्म जो नियमतः मिथ्याष्टि होते हैं उनमें भी शुभलेश्या का उल्लेख मिलता है । " (१) उत्तराध्ययन व ३४ | गा २० (२) लेश्याकोश पृ० ८४ १४ Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002577
Book TitleMithyattvi ka Adhyatmik Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1977
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy