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________________ 24 योगबिन्दु के परिप्रेक्ष्य में जैन योग साधना का समीक्षात्मक अध्ययन का पूज्य ग्रन्थ है । इसका दूसरा नाम महाव्यूह भी मिलता है। इसकी रचना प्रथम शदी ईसा पूर्व मानी जाती है। इसका चीनी अनुवाद ३०० ई० में हुआ था । सन् १९७५ में इसके कुछ अध्यायों का अनुवाद अंग्रेजी विद्वान लोफमान ने किया था जो वलिन से प्रकाशित हुआ है। इसी के १५ अध्यायों का अंग्रेजी अनुवाद भारतीय विद्वान् डा. राजेन्द्र लाल मित्रा ने सन् १८८१-१८८६ के मध्य किया था। सन् १८८४१८६२ के बीच एनल द मूसे गिने च विद्वान् ने इसका फच अनुवाद कर छः जिल्दों में प्रकाशित कराया था। डा० पी० एल० वैद्य ने दरभंगा से ललितविस्तर का देवनागरी में सम्पादन कर मल रूप में उसे प्रकाशित कराया है, जो उपलब्ध होता है और कतिपय विश्वविद्यालयों में पढ़ाया भी जाता हैं। __ललितविस्तर में भगवान् बुद्ध के अवतरण एवं उनकी पृथ्वी पर की गयी ललित क्रीड़ाओं का मिश्रित संस्कृत भाषा में विस्तार से वर्णन किया गया है। वैसे तो यह पद्यमय रचना है फिर भी इसमें पुरानी परम्परा का भी दर्शन होता है । बीच-बीच में गाथाएं भी पायी जाती हैं। गौतम बुद्ध की प्रारम्भिक ध्यान साधना इसमें द्रष्टव्य है। ९. दशभूमीश्वरसूत्र यह रचना भी नववैपुल्यों में से एक है। धर्मरक्षक ने २६७ ई० में दशभूमीश्वर का चीनी अनुवाद किया था। इस ग्रन्थ में बोधिसत्व. की साधना पर प्रकाश डाला गया है। बोधिसत्व की साधना दशमियों पर आधारित है। वे भूमियां हैं—प्रमुदिता, विमला, प्रभाकरी, अचिष्मंती, सुदुर्जया, अभिमुखी, दूरङ्गमा, अचला, साधुमती और धर्ममेघा। ध्यान साधना के क्षेत्र में दशभूमीश्वर का अपना महत्व है। इसका देवनागरी संस्करण दरभंगा से प्रकाशित हुआ है। १०. समाधिराज सूत्र यह रचना भी महायानी है और यह भी नववैपुल्यों में गिनी जाती है। इसका अपरनाम चन्द्रप्रदीप भी मिलता हैं। योगाचार की दष्टि से इसमें विभिन्न समाधियों पर विस्तार से अध्ययन किया गया है। समाधि का चरमोत्कर्ष उसके सर्वज्ञत्व की प्राप्ति में होता है। यह ग्रन्थ भी दरभंगा से प्रकाशित हुआ है । सम्पादक डा० पी० एल० वैद्य हैं। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002573
Book TitleYogabindu ke Pariprekshya me Yog Sadhna ka Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuvratmuni Shastri
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size14 MB
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