SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 195
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 138 योगबिन्दु के परिप्रेक्ष्य में जैन योग साधना का समीक्षात्मक अध्ययन व्रतमहाव्रतसमन्वितस्य' अर्थात् अणुव्रत और महाव्रतादि का पालन करने से भी अध्यात्मपुष्ट होता है। (ग) वचनात्तत्त्वचिन्तनम् इसकी टीका में टीकाकार ने लिखा हैं कि-'वचनाज्जिनप्रणीतात् तत्वचिन्तनं जीवादिपदार्थसार्थपर्यालोचनम्' अर्थात् जिन भगवान् द्वारा प्रणीत जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आस्रव, संवर, निर्जरा, बन्ध और मोक्ष आदि तत्त्वों का अर्थ सहित चिन्तन मनन करने से भी अध्यात्म की पुष्टि होती है। (घ) मंत्र्यादिसारम् इसकी टीका में टीकाकार ने लिखा है कि मैत्रीप्रमोदकरुणामाध्यस्थ्यप्रधानैः सत्त्वादिषु अत्यन्तमतीव किमित्याह अध्यात्म-योगविशेषम् अर्थात् प्राणी जगत् के प्रति मैत्री आदि भावनाओं का चिन्तनमनन और आचरण करने से भी अध्यात्मयोग पुष्ट होता है ।। आचार्य हेमचन्द्र के मतानसार इन भावनाओं के चिन्तन से उत्पन्न रसायन से ध्यान की पुष्टि भी होती है । आचार्य उमास्वाति ने इन भावनाओं को अहिंसादि महाव्रतों के पालन में उपयोगी मानकर तत्त्वार्थसूत्र में इनका उल्लेख किया है । आचार्य पतञ्जलि ने भी इन चार भावनाओं को चित्त की प्रसन्मता में उपयोगी मान कर इनका उल्लेख किया है। उपयुक्त विश्लेषण से यह स्पष्ट हो जाता है कि मैत्री आदि इन चार अध्यात्म भावनाओं के अत्यधिक उपयोगी होने से ही आचार्य हरिभद्रसूरि ने योगभूमि में उन्हें स्थान दिया है, जिससे ये आध्यात्मिक १. दे० योगबिन्दु, श्लोक ३५८ पर संस्कृत टीका, पृ० २४६ २, भैत्रीप्रमोदकारुण्यमाध्यस्थानि नियोजयेत् । धर्म-ध्यानमुपस्कर्तुं तद्धि तस्य रसायनम् ॥ योगशा०, ४.११ ३. मैत्रीत्रनोदकारुण्यमाध्यस्थानि सत्त्वगुणाधिक क्लिश्यमानाऽविनयेषु । तत्त्वार्थसूत्र ७.६ ४. मैत्रीकरुणामुदितोपेक्षाणां सुख-दुःख, पुण्यापुण्यविषयाणां भावनातश्चित्तप्रसादनम् ॥ पा० यो०, ४.११७ Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002573
Book TitleYogabindu ke Pariprekshya me Yog Sadhna ka Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuvratmuni Shastri
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy