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________________ योगबिन्दु के रचयिता : आचार्य हरिभद्रसूरि ३. सुमति गणीकृत वृत्ति गणधर सार्धशतक ( वि०सं० १९६८ ) ४. प्रभाचन्द्र का 'प्रभावक चरित' (वि०सं० १३३४) ५. राजशेखरसूरिकृत ( प्रबन्ध कोष ) अपर नाम चतुविशति प्रबन्ध ( वि० सं० १४०५ ) 47 ६. भद्रेश्वर की कहावली (वि०सं० १४६७ ) में लिखित ताड़ - पत्रीय पोथी (खण्ड- २, पत्र ३०० पर, पाटन के संघवी के० पाडे के जौन भण्डार से प्राप्त ) । १. हरिभद्रसूरि का जन्म स्थल भद्रश्वर की कहावली के आधार पर हरिभद्रसूरि का जन्म स्थान 'पिवंगु इएवं भपुणी' नाम की ब्रह्मपुरी नगरी थीं जबकि दूसरे ग्रंथों में हरिभद्रसूरि का जन्म स्थान चितौड़ बतलाया गया है। इन दोनों में भिन्नता होने पर भी वस्तुतः इसमें विशेष विरोध ज्ञात नहीं होता । 'पिवंगुइए' ऐसा मूल नाम शुद्धरूप में उल्लिखित हो अथवा फिर कुछ विकृत रूप में प्राप्त हुआ हो, यह कहना कठिन है, किन्तु उसके साथ जो 'बंभपुणी' का उल्लेख है, वह तो 'ब्रह्मपुरी' का ही प्राकृत रूप है । इस तरह यह ब्रह्मपुरी कोई छोटा देहात या कस्बा अथवा कोई उपनगर हो सकता है फिर भी वह चित्तौड़ के आस-पास ही रहा होगा । इसीलिए उत्तर कालीन ग्रंथों में अधिक प्रख्यात चित्तौड़ का नाम निर्देश तो रह गया और 'ब्रह्मपुरी' गौण बन गया अथवा अधिक प्रचलित स्थान का नाम ही बाद में ग्रहण कर लिया गया होगा । * २. हरिभद्रसूरि के माता-पिता हरिभद्रसूरि के माता पिता का नामोल्लेख केवल ' कहावली' में ही उपलब्ध होता है । उसमें माता का नाम गंगा और पिता का नाम शंकर २. ३. ४. १. पिर्वगुइए बंभपुणीए पाटन के संघवी के पाडे के जैन भण्डार की वि० सं० १४९७ में लिखित ताड़ पत्रीय पोथी, पत्र ३०० । तथा मि० हरि० प्रा० क०सा० आ०परि० पृ० ४८ समदर्शी आचार्य हरिभद्रसूरि पृ० ६ पर पाद टिप्पण- 11 वही वही Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002573
Book TitleYogabindu ke Pariprekshya me Yog Sadhna ka Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuvratmuni Shastri
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size14 MB
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