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व्यंजन
व्यंजन की दृष्टि से प्राकृत में श, ष, विसर्ग नहीं होते। ङ, ञ अपने वर्ग के व्यंजन के साथ ही प्रयुक्त होते हैं। इस प्रकार प्राकृत में २५ स्पर्शवर्ण, ४ अन्तस्थवर्ण, २ उष्मवर्ण और अनुस्वार स्वीकृत हैं। व्यंजन की दो स्थितियां
हैं
१. संयुक्त व्यंजन, २. असंयुक्त व्यंजन संयुक्त व्यंजन
जिन दो या दो से अधिक व्यंजनों के मध्य स्वर न हो उसे संयुक्त व्यंजन कहते हैं। प्राकृत में संयुक्त व्यंजन कुछ नियमों से आबद्ध हैं
१. दो से अधिक संयुक्त व्यंजन नहीं रहते। २. दो महाप्राण एक साथ प्रयुक्त नहीं होते। ३. अघोष अल्पप्राण घोष अल्पप्राण का संयुक्त प्रयोग नहीं होता।
जैसे-क्ग्, । ४. अघोष अल्पप्राण घोष महाप्राण के साथ भी प्रयुक्त नहीं होता।
जैसे-क्च्, च्झ् ५. घोष अल्पप्राण घोष महाप्राण के साथ और अघोष अल्पप्राण
___ अघोष के साथ ही प्रयुक्त होते हैं। यथा क्ख, ज्झ।
संयुक्त व्यंजन की तीन स्थितियां हैं१. आदि स्थित सयुंक्त व्यंजन
प्राकृत में आदि में संयुक्त व्यंजन नहीं पाए जाते। अपवाद के रूप में ण्ह, म्ह आदि का प्रयोग भी मिलता है। आदि स्थित संयुक्त व्यंजनों में परिवर्तनस्यात् > सिया
(१/४०) ग्लानः > गिलाणो (५/११) स्नेहम् > सिणेहं (६/४) स्तेनः >
(७/५) स्तुति > थुइ
(२६/४२) स्वाध्यायेन > सज्झाएणं (२९/१९)
A AA AA A
तेणे
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उत्तराध्ययन का शैली-वैज्ञानिक अध्ययन
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